Monday, April 28, 2025
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तीन मंजिला मकान गिरा, छह की मौत

  • जाकिर कालोनी में 50 साल पुराना था मकान, एक परिवार के दर्जन भर लोग दबे

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: महानगर के लोहिया नगर थाना क्षेत्र के तहत जाकिर कालोनी गली नंबर सात में तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के चलते तीन मंजिला मकान ढह गया। करीब 50 साल पुराना मकान काफी जर्जर हालत में था। इसमें ऊपर परिवार रहता था और नीचे डेयरी चल रही थी। मकान ढहने से परिवार के दर्जनभर लोग मलबे में दब गये। इनमें दो दर्जन से ज्यादा गाय और भैंसे भी दबी हैं। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही साथ एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर पहुंची और रेस्क्यू कर फिलहाल 8 लोगों को बाहर निकाला गया जबकि छह की मौत हो गई है।

डीएम दीपक मीणा ने बताया कि हादसे में अब तक मरने वालों में साजिद (40), साजिद की बेटी सानिया (15), डेढ़ साल की बच्ची सिमरा, शाकिब (11) और रिजा (07) साल शामिल हैं। घटना शाम करीब साढ़े चार बजे की है। यहां 90 साल की बुजुर्ग महिला नफो गद्दी का करीब 50 साल पुरान मकान है। मकान में नफो के अलावा उनके दो बेटे साजिद और गोविंदा अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं। इसी मकान के निचले हिस्से में ग्राउंड फ्लोर पर डेयरी चलाते हैं। गाय और भैंसे भी यहीं बंधती हैं। तीन दिन से लगातार बारिश हो रही है।

ऐसी स्थिति में पुराना जर्जर मकान एकाएक ढह गया और सभी लोग मलबे में दब गए। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंच गए। एसएसपी विपिन ताड़ा के अलावा डीएम दीपक मीणा भी पहुंच गए। फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर आ गए। बाद में कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. और आईजी नचिकेता झा भी पहुंच गए और बचाव कार्य को तेज कराया। लगातार बारिश होने के चलते बचाव कार्य में परेशानी खड़ी होती रही।

अमरोहा और सहारनपुर से एनडीआरएफ की टीमें भी बुला ली गयीं जो मलबे को हटाने में लग गयीं। चूंकि यह शहर की घनी आबादी का क्षेत्र होने के साथ ही साथ तंग गलियों का एरिया है, ऐसे में जेसीबी मशीन पहुंचने में दिक्कत हुई। बाकी को निकालने का काम जारी है। मुख्यमंत्री ने भी हादसे का संज्ञान लिया है और बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये हैं।

मलबे ने लील लीं छह जिंदगियां

मेरठ: शनिवार की शाम, समय 4:30 बजे, जगह जाकिर कालोनी की गली नंबर आठ और नफीसा पत्नी स्व. अलाउद्दीन का मकान का गिरना। इनमें देर रात तक छह की मौत की पुष्टि हो चुकी है। भवन के गिरने से तीन परिवारों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा और मिनटों में 20 लोग मलबे में दब गए। जाकिर कालोनी में नफीसा की डेयरी भैंसों के दूध निकालने की तैयारी की जा रही थी। नफीसा नमाज के लिए वजू करके अजान का इंतजार कर रही थी, जबकि डेयरी के ऊपर नफीसा का पुत्र साजिद टीवी देख रहा था। उसके बच्चे रिया 6 वर्ष, साकिब 8 वर्ष खेल रहे थे।

15 वर्षीय सानिया पढ़ रही थी। नदीम, शारिक, नईम और आबिद परिवार में बच्चे खेल रहे थे। परिवार की महिला खाना बन रही थी और कोई चाय बना रही थी। अचानक तीन मंजिला मकान गिर गया। साजिद ने भागकर जान बचाने की कोशिश की, लेकिन उसके ऊपर पिलर गिरा। पिलर के नीचे दबकर उसकी मौत हो गई। पास ही उसकी पुत्री मलबे में दबी थी। डेयरी के ऊपर घर में जो भी वह न तो खुद भागने में कामयाब रहा और न ही किसी अन्य की जान बचाने के लिए कुछ कर पाया। मलबे में दबे लोगों की चीत्कार से पूरी गली गूंज उठी। लोग घरों से बाहर निकल आए, खौफनाक मंजर देखने को मिला। लोग मलबे में दबे हैं।

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक जान बचाने की गुहार कर रहे हैं, लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा था। मलबे में जगह-जगह खून बिखरा नजर आया। जिन तीन परिवारों में हंसी खुशी का माहौल था, वह मातम में बदल गया। तीनों परिवारों पर मुसीबत का पहाड़ टूट गया। यह मंजर देखकर हर शख्स की आंखें भर आर्इं। जो वहां से गुजर रहा था, उस मंजर को देखकर उनका कलेजा कांप गया। लोग अपनी आंखों से आंसुओं को रोक नहीं पाए।

सायमा का होगा चेहरे, सिर और पैर का आॅपरेशन

जाकिर कालोनी की घटना में घायल हुई सायमा पत्नी साजिद गंभीर रूप से घायल हुई है। उसके चेहरे, सिर और टांग में गंभीर चोट आई है। उसके कई आपरेशन होंगे। उधर, घायल सूफियान पुत्र पप्पू की टांग की हड्डी टूट गई और कंधे व कलाई में चोट है। दोनों को हापुड़ रोड स्थित संतोष हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा है।

2016 में निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स गिरने से दबे थे तीन मजदूर

वर्ष 2016 में मित्र लोक कालोनी में एक निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स गिरने तीन मजदूर मलबे में दब गए थे, लोगों ने मलबे से तीनों को बाहर निकालने का प्रयास किया था, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी। इसके बाद एसडीआरएफ की टीम बुलवाया गया था, जिसने खासी मशक्कत कर तीनों मजदूरों को सकुशल बाहर निकाला था।

सोता रहा मेडा, बन गर्इं कई मंजिल

जाकिर कॉलोनी में अधिकांश मकान बिना नक्शा पास कराए बनाए गए। इस भवन का भी नक्शा कहीं से पास नहीं है। करीब 40 वर्ष पूर्व इस भवन की पहली मंजिल बनी, जिसमें डेयरी संचालित की गई, तब नीचे के दो कमरों में अलाउद्दीन अपने परिवार के साथ रहता था। अलाउद्दीन के नौ बच्चे हुए। छह पुत्र व तीन पुत्रियां। बच्चों के बड़े होने पर अलाउद्दीन ने डेयरी पर तीन कमरे बनाए। दो वर्ष पूर्व तीसरी मंजिल पर दो कमरे और बना दिए गए। कई माह तक निर्माण कार्य चला, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी सेटिंग करके कुंभकर्णी नींद सो गए। इसका नतीजा आज एक बड़े हादसे के रूप में सामने आ गया।

मलबे में जिंदा दफन निकल रहे थे लाश बनकर

नफीसा की डेयरी पर शाम करीब पांच बजे से बड़ी संख्या में लोग दूध लेने के पहुंचने लगते हैं। गनीमत ये रही कि 4.30 यह हादसा हुआ। आसपास के लोगों ने बताया कि सुबह और शाम के वक्त दूध लेने आने वालों में दो घंटे तक 25 से 30 लोग वहां मौजूद रहती हैं। यदि यह हादसा और आधे घंटे या फिर एक घंटे बाद हुआ होता तो अंदाजा लगाइए कि डेयरी पर उस वक्त क्या नजारा होता है। किसी भी हादसे में किसी का दुनिया से यूं चले जाना कभी भी अच्छा नहीं माना जा सकता।

रात के करीब 11.15 बजे तक हादसे में चार की मौत हो चुकी थी। डेयरी के ऊपर बने मकान के ढहने से मलबे में दफन साइमा को यदि अपवाद मान लिया जाए तो रात के करीब 11 बजे तक जो भी निकला वो लाश बनकर निकला। वहां चीख-पुकार मची हुई थी। लोगों अपनों के लिए रो रहे थे और कलप रहे थे, उनके अपने जो मलबे में जिंदा दफन हो गए थे, उनकी सलामती के लिए रो-रोकर दुआएं मांग रहे थे।

राहत और बचाव दल के लोगों से मिन्नतें कर रहे थे कि कुछ भी कर उनके अपनों को जिंदा व हिफाजत के साथ निकाल लें। जैसे-जैसे रात चढ़ रही थी, वैसे ही वैसे लोगों की उम्मीद की डोर नाजुक होती जा रही थी। साइमा के बाद जिन्हें भी मलबे से निकाला गया, उनकी सांसों की डोर टूट चुकी थी।

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