Sunday, May 11, 2025
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सीवर लाइन बिछाकर बिना भराव के बिछाई थी टाइल्स

आखिर कौन जिम्मेदार? बनने के साथ ही धंस गई शहर सराफा की सड़क

दुकानों के साथ इमारतें गिरने का भी खतरा

 जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एशिया की सबसे बड़ी मंडी सराफा बाजार के व्यापारी इन दिनों भारी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। पहले जीएसटी की मार फिर कोरोना से लगे लॉक डाउन में दुकानें बंद| अब जैसे तैसे कारोबार शुरू किया तो पांच दिन पूर्व बिछी सीवर लाइन के साथ यहां की सड़कें भी धंस गई इससे यहां की इमारतों और दुकानों के धंसने का खतरा हो गया है।

जान हथेली पर लेकर दुकानदार इस उम्मीद पर बैठे हैं कि कुछ तो काम-धंधा चले, लेकिन धंसी सड़क देखकर ग्राहक इस बाजार से नदारद हो गये हैं। पूरे दिन खाली बैठकर मक्खी मारने के अलावा यहां के दुकानदारों को कुछ काम नहीं रह गया है।

वैली बाजार से मिला हुआ शहर सराफा पूरे एशिया में सोने की सबसे बड़ी मंडी के रूप में विख्यात है। यहां से सोना-चांदी के जेवरात लेने के लिए आसपास के जिलों व दूसरे राज्यों के व्यापारी भारी संख्या में आते थे। यहां के ज्वैलरी के डिजाइन पूरी दुनिया में मशहूर हैं।

लेकिन सरकारी नीतियों ने इस बाजार का ऐसा बेड़ा गर्क कर दिया है कि अब यहां के दुकानदार उस वक्त को कोस रहे हैं, जब उन्होंने यहां की अपनी पुश्तैनी दुकानों में अधिक पैसा लगाया और अब पूरे दिन खाली बैठे रहने से उनका काम धंधा चौपट हो गया है।

वर्ष-2017 में केन्द्र सरकार ने जब जीएसटी लगाया और उसके बाद नोटबंदी की तो यहां का काम धंधा एकदम से मंदा हो गया। इसके बाद गत वर्ष मार्च माह से कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लगाये गये लॉकडाउन ने जैसे-तैसे चल रहे इस कारोबार का दम ही तोड़ दिया है।

पार्किंग न होने से हो रही दिक्कतें

इस बाजार की सबसे बड़ी समस्या यहां पार्किंग की व्यवस्था न होना है। दूर दराज से व्यापारी यहां आते हैं तो गाड़ी सराफा बाजार में भीतर नहीं ला सकते। घंटाघर पर गाड़ी पार्क करके आते हैं तो यहां अंदर आना बिल्कुल सुरक्षित नहीं रह गया है। यहां लगभग 400 दुकानें तथा लगभग 15 काम्पलैक्स हैं।

हर कॉम्पलेक्स में लगभग 70-80 दुकानें हैं। लॉकडाउन के बाद जैसे-तैसे पिछले महीने से दुकानें कुछ चलना शुरू हुई तो यहां की धंसी हुई सड़क ने फिर से यहां कारोबार चौपट कर दिया है।

सीवर लाइन के साथ धंसी सड़क

यहां जल निगम ने लगभग पांच दिन पूर्व सीवर लाइन बिछाई थी। इसके बाद ऐसे ही जल्दबाजी में मिट्टी भरकर उसके ऊपर इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछा दी। दो दिन पूर्व हुई बारिश से यहां की सड़क जगह-जगह से पूरी नीचे धंस गई है। सीवर लाइन भी नीचे बैठ गई है।

साथ ही सबसे बड़ा खतरा यहां की दुकानों को हो गया है। क्योंकि इन दुकानों के फ्रंट पर ही सड़क धंसने से यह दुकानें खुद असुरक्षित हो गई हैं। पुराने शहर में शामिल यहां की दुकानें भी पुरानी और लगभग 50-50 साल से ज्यादा पुरानी हैं। अब अगर यहां की सड़क की जल्द ढंग से मरम्मत नहीं हुई तो यहां की दुकानें भी रह पाना मुश्किल होगा।

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