Sunday, January 19, 2025
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ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए टिप्स

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नीतू गुप्ता |

कैंसर एक भयावह रोग है। रोगी तो जैसे टूट जाता है, उसके निकट संबधी भी हर समय डरे रहते हैं। समय रहते अगर कैंसर रोग की पहचान हो जाए तो सही इलाज से जिंदगी के काफी साल आराम से निकाले जा सकते हैं। अगर हम लोग कुछ बातों का उम्र के साथ ध्यान रखें तो इस रोग से स्वयं को काफी हद तक बचा सकते हैं। आइए जानें ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए क्या कदम हम उठा सकते हैं।

वजन को रखें नियंत्रण में: अगर आपका वजन अधिक है और मेनोपॉज स्टेज से आप उबर चुके हैं तो ऐसी महिलाओं को कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है। सबसे पहले अपने वजन को नियंत्रण में रखने हेतु अपनी डाइट पर पूरा ध्यान दें। तले हुए भोज्य पदार्थों का सेवन कम से कम कर दें, नमक और चीनी का सेवन भी कम करें, पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें औेर शरीर को सक्रि य रखने हेतु कुछ व्यायाम नियमित करें। घर के कामों में स्वयं को बिजी रखें ताकि शरीर चुस्त बना रहे और वजन बढ़ने न पाए।

धूप का सेवन करें: धूप का नियमित सेवन करें। थोड़ी धूप सेहत के लिए बहुत लाभप्रद होती है। विटामिन डी का सबसे अच्छा न्नेत है धूप सेवन। एक शोध अनुसार स्तन कोशिकाएं विटामिन डी को ऐसे हार्मोन में बदलती हैं जो कैंसर से लड़ते हैं। प्रात: की धूप और शाम की धूप का सेवन अवश्य करें।

जांच करवाना जरूरी: अगर परिवार में मां, मासी, नानी को ब्रेस्ट कैंसर हो तो 35 वर्ष की आयु से हर वर्ष मेमोग्राम टेस्ट करवाएं ताकि समय रहते बीमारी पकड़ में आ सके। प्रारंभिक स्तर पर स्तन कैंसर की पहचान होने पर ठीक होने की संभावना काफी होती है। 40 वर्ष की आयु के पश्चात महिलाओं को मेमोग्राम टेस्ट करवाना प्रारंभ कर देना चाहिए।

अल्कोहल का सेवन न करें: कुछ महिलाएं नियमित अल्कोहल का सेवन करती हैं। उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना अन्य महिलाओं के मुकाबले में 6 प्रतिशत अधिक होती है। अल्कोहल लेने वाली महिलाओं को धीरे-धीरे अल्कोहल की मात्रा को कम कर देना चाहिए ताकि खतरे से स्वयं को बचा सकें।

सैर खूब करें: सैर करने से या पैदल चलने से एक तो वजन कम बढ़ता है, दूसरा शरीर चुस्त रहता है, तीसरा शरीर में वसा कोशिकाएं कम होती हैं जिससे ओस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन का न्नव कम होता है। वसा वाली कोशिकाएं टयूमर बढ़ाने में मदद करती हैं। इसलिए पैदल चलना हर सूरत में लाभप्रद होता है।

हार्मोन रीप्लेसमेंट थेरेपी: जो महिलाएं किसी कारणवश हार्मोन रीप्लेसमेंट थेरेपी करवाती हैं उन्हें स्तन कैंसर और गर्भाशय का कैंसर होने की आशंका 63 प्रतिशत अधिक होती है। विभिन्न शोध भी हार्मोन रीप्लेसमेंट थेरेपी को कैंसर का कारण मानते हैं। अगर इस थेरेपी की मजबूरी न हो तो बचें।


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