नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत सात ऋषियों को समर्पित होता है, जिनमें वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्र्वामित्र और भारद्वाज हैं। बता दें कि यह व्रत गणेश चतुर्थी के अगले दिन रखा जाता है। तो आइए जानते हैं पूजा विधि और महत्त्व के बारें में….
ऋषि पंचमी व्रत का महत्व
ऋषि पंचमी व्रत स्प्त ऋषियों के लिए रखा जाता हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी प्रकार कि पापों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि ऋषि पंचमी के दिन ब्राह्मणों को दान करना अच्छा माना जाता है। वहीं, इस व्रत को रखने से जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
ऋषि पंचमी व्रत पूजा-विधि
ऋषि पंचमी व्रत वाले दिन जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें। फिर मंदिर की साफ सफाई कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सप्तऋषियों की तस्वीरें स्थापित करें। इसके बाद सप्तऋषियों की प्रतिमा के सामने पूजन सामग्री रख दीप जलाएं और विधि विधान से पूजा अर्चना करें। अंत में आरती करें और मनोंकामना मांगे।
ऋषि पंचमी के दिन करें यह काम
कहा जाता है कि ऋषि पंचमी के दिन गौमाता को चारा खिलाना चाहिए। ऐसा करने से कमजोर ग्रह मजबूत होते है। इस दिन गरीबों को वस्त्र दान करें, ध्यान रखें कि हरे, लाल, पीले ही वस्त्रा दान करें। ऐसा करने से सभी प्रकार के दोष से मुक्ति मिलती है। ऋषि पंचमी के दिन हरे रंग की चीजों को दान करना बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए इस रंग की वस्तु ही दान करें।