नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। यह दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी का तप और समर्पण का आदर्श हमें जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देता है। मां ब्रह्मचारिणी का रूप नौ देवी का दूसरा स्वरूप है। ब्रह्राचारिणी दो शब्दो से मिलकर बना है। ‘ब्रह्रा’ का मतलब घोर तपस्या से है और ‘ चारिणी’ का अर्थ होता है आचरण से। यानी माता का दूसरा स्वरूप तप का आचरण करने से होता है। उनका नाम ही उनके तपस्वी जीवन की गवाही देता है, और उनकी पूजा से हमें मानसिक, आत्मिक और भौतिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां दुर्गा के नव शक्तियों के इस दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में जब हिमालय के घर में पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं तब नारद के उपदेश से इन्होने भगवान शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। इस कठोर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से समस्त जगत में पूजा जाता है।
कैसा है मां ब्रह्राचारिणी का स्वरूप?
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सुंदर और ममतामय है। वह सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं उनके एक हाथ में कमंडल और एक हाथ में माला है। माता ब्रह्मचारिणी अपनी पूजन-अर्चन करने वाले भक्त को ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं और उसे सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है।
मां ब्रह्राचारिणी की आराधना से होती है फल की प्राप्ति
देवी दुर्गा के साधक नवरात्रि के दूसरे दिन अपने मन को स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती हैं। इनकी आराधना से अनंत फल की प्राप्ति होती हैं। मां ब्रह्राचारिणी की पूजा-आराधना से जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता।
पूजा विधि और मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का विधान होता है। दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए देवी को पंचामृत से स्नान कराएं व माँ को सुन्दर वस्त्र पहनाकर चुनरी अर्पित करें। फिर फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल या गुड़हल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं। मिश्री या सफ़ेद मिठाई से मां को भोग लगाएं एवं माता की कपूर से आरती करें एवं हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें ।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र
हीं श्री अंबिकायै नमः