Saturday, June 7, 2025
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तीन माह बाद खत्म हो जाएगा टोल

  • ठेकेदार ने नहीं दी रकम, उल्टा कैंट बोर्ड ने दिये 16 लाख, एक साल के लिए दिया था वसूली का ठेका

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: वाहन एंट्री फीस वसूली के नाम पर छोड़े गए टोल के ठेकेदार से करोड़ों की वसूली मामले में बजाए सख्ती के कैंट बोर्ड प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि ठेकेदार से बजाए रकम वसूली के कैंट बोर्ड उसको करीब 16 लाख का भुगतान भी कर चुका है।

यानि के बजाए लेने के ठेकेदार को उल्टे लाखों की रकम देनी पड़ गयी। हैरानी की बात तो यह है कि जिस काम की एवज में यह रकम ठेकेदार ​को दी गयी है, उसका कैंट ऐक्ट में कोई प्रावधान नहीं बल्कि यदि कैंट ऐक्ट की बात की जाए तो उसमें इस कृत्य को सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण की संज्ञा दी जाती है।

बीते साल माह नवंबर की तारीख 13 को हुई कैंट बोर्ड की बैठक के संकल्प संख्या 207 पर विचार के उपरांत अनिता सिंह को वाहन एंट्री फीस वसूली का ठेका दिया गया।

यह ठेका प्रतिदिन 4,21,750 रुपये प्रतिदिन की दर से दिया गया। ठेके की शर्तों में टोल वसूली के कुछ 11 प्वाइंट दिए गए। हालांकि पूर्व में जो ठेके कैंट बोर्ड द्वारा दिए गए हैं। उनमें वसूली के कुल पांच ही प्वाइंट थे। इन्हें में छह नए प्वाइंट की वृद्धि कर कुल 11 कर दिए गए।

बोर्ड बैठक में लिए गए फैसले के विरोध में ठेकेदार हाईकोर्ट में चला गया। बोर्ड के खिलाफ मुकदमा संख्या 42817/2019 दायर कर स्टे हासिल कर लिया। 20 दिसंबर 2019 को कोर्ट के स्टे की कापी कैंट बोर्ड में रिसीव करा दी गयी।

साथ ही अगले दिन 21 दिसंबर से टोल नाकों पर वाहनों से एक बार फिर दमखम के साथ वसूली शुरू कर दी। ठेकेदार से प्रतिदिन के हिसाब से 4,21,758 प्रतिदिन की दर से जमा किए जाने की शर्त तय की गयी थी। इस पर 4.1 डेवलपमेट चार्ज अतिरिक्त था। कोरोना संक्रमण के चलते 21 मार्च को एक दिन का लॉकडाउन ऐलान होता है। उसी रात से संपूर्ण लॉकडाउन का भी ऐलान कर दिया जाता है।

इसके चलते छह मई से 15 मई तक की अवधि के ठेकेदार की ओर से 50 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से जमा कराने शुरू किए गए। साथ ही सर्वे कराकर छूट की मांग की। बोर्ड ने सर्वे कराया। 30 मई की बैठक में 22 मार्च से 30 मई तक 90 हजार प्रतिदिन की दर से जमा कराने के आदेश दिए गए।

ठेकेदार ने थमाया 26 लाख वसूली का बिल

इस बीच ठेकेदार ने टोल वसूली स्थल पर निर्माण के नाम पर कैंट बोर्ड को 26 लाख का बिल थमा कर उसकी रकम एडजेस्ट करने को कहा। इतना ही नहीं इसमें से 18 लाख की रकम बोर्ड ने एडजेस्ट भी कर दी। बजाए लेने के उल्टे देने पड़ गए। छह जुलाई की बोर्ड बैठक में सर्वे का निर्णय लिया गया। टोल नाकों पर कर्मचारी लगा दिए गए।

कोर्ट न जाने का वादा कर घसीटा कोर्ट में

पूरे विवाद में ठेकेदार ने कोर्ट न जाने का समझौता कर कैंट बोर्ड अफसरों को कोर्ट में घसीट डाला। पूरे विवाद की यदि बात की जाए तो ठेकेदार ही कैंट बोर्ड पर भारी पड़ा। ठेके की मियाद पूरी होने को आयी, लेकिन अभी भी ठेकेदार बोर्ड के खिलाफ फ्रंट फुट पर खेल रहा है।

रेवेन्यू एडजेस्ट में फंसा है पेंच

कैंट बोर्ड की ओर से ठेकेदार को जो आर्थिक छूट दी गयी हैं उनको एडजेस्ट करने में रेवेन्यू सेक्शन तकनीकि तौर पर भी फंस सकता है। दरअसल ठेके से पूर्व मंत्रालय को जो प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था उसमें ठेके के सापेक्ष्य होने वाली आमदनी का जिक्र किया गया। अब सवाल उठता है कि जो नुकसान हुआ है उसकी लिखा पढ़ी कैसे और कहां से की जाएगी।

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