- पांच प्वाइंटों पर सुबह से शुरु होता है वसूली का खेल
- एडीजी की सख्ती से एक महीने बंद रही थी संगठित लूट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पहले कोरोना ने पर्यटन व्यवसाय को मारा और अब मेरठ की ट्रैफिक पुलिस रही सही कसर दूसरे राज्यों की गाड़ियों से चेकिंग के नाम पर लूट से कर रही है। एडीजी के सख्त रवैये को देखकर एक माह तक ट्रैफिक पुलिस खामोश हो गई थी, लेकिन कभी न सुधरने का संकल्प ले चुकी ट्रैफिक पुलिस ने फिर से लूट करनी शुरू कर दी है। पुलिस के इस रवैये से परेशान होकर लोग पूरे सिस्टम को कोसते हुए निकल रहे हैं।
प्रदेश के पुलिस मुखिया ने सख्त आदेश दिये हुए है दूसरे राज्यों की गाड़ियों को चेकिंग के नाम पर परेशान ने किया जाए। जब तक कोई संदेह न हो। अगर गाड़ी में महिलायें और बच्चे बैठे हुए हैं तो उनसे जरूरत हो तो कागज मांग सकते हैं, लेकिन मेरठ में डीजीपी के आदेश कोई मायने नहीं रखते है।
मवाना रोड, परतापुर तिराहा, कंपनी गार्डन, कंकरखेड़ा फ्लाईओवर के पास और मोदीपुरम आदि जगहों पर ट्रैफिक पुलिस के सिपाही बाहरी राज्यों की गाड़िया देखकर उनको रोक लेते हैं और चेकिंग के नाम पर न केवल मनचाही वसूली करते हैं बल्कि प्रताड़ित भी करते हैं।
दिन भर में ऐसे कई वाकये सामने आते है जब दूर से आ रहे लोग हरिद्वार, देहरादून या फिर पहाड़ों पर जाने के लिये निकलते है और उनको चेकिंग के नाम पर परेशान किया जाता है। ट्रैफिक पुलिस की लूट के लिये बदनाम इन प्वाइंटों के बारे में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भी जानकारी है और समय समय पर सख्ती भी होती है, लेकिन लूट के लिये बदनाम हो चुके सिपाही मानने को तैयार नहीं है।
कोरोना काल में एडीजी राजीव सभरवाल ने सख्त निर्देश दिये थे कि बाहरी गाड़ियों की चेकिंग न की जाए। इसका असर ये हुआ था कि शहर के सारे चौराहे सूने पड़ गए थे और ट्रैफिक पुलिस बेरोजगार सी लगने लगी थी। एक महीने बाद ही गाड़ी पुराने ढर्रे पर चलने लगी।