Wednesday, July 3, 2024
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जनवाणी ने की थी भ्रष्टाचार पर चोट, विवादित सम्पत्ति अधिकारी का तबादला

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  • लखनऊ के आला अफसरों ने लिया संज्ञान, जनवाणी ने की थी भ्रष्टाचार पर चोट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आवास विकास परिषद के विवादित सम्पत्ति अधिकारी पर आखिर तबादले की गाज गिर ही गई। सम्पत्ति अधिकारी अनिल गुप्ता पर प्लॉट नीलामी में घूस मांगने का आरोप लगा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पोर्टल पर भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी, जिसकी जांच भी कराई जा रही है।

इसी मामले को लेकर कार्रवाई की गाज नहीं गिर जाए, इससे बचने के लिए ही अनिल गुप्ता दो दिन से लखनऊ में डेरा डाले हुए थे। निलंबन से तो विभागीय अफसरों ने सम्पत्ति अधिकारी को बचा लिया, लेकिन मेरठ से आगरा तबादला कर दिया गया। तबादला करना कोई सजा नहीं है।

क्योंकि सम्पत्ति अधिकारी पर प्लॉट नीलामी में भ्रष्टाचार करने के गंभीर आरोप लगे हैं। एक नहीं, बल्कि कई मामले प्लॉट आवंटन में घपलेबाजी के सामने आये है। सभी की जांच होती है तो सम्पत्ति अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी की जा सकती है, मगर विभागीय अफसरों ने सम्पत्ति अधिकारी को बचाने के लिए सिर्फ मेरठ से आगरा तबादला कर दिया।

बता दे कि जनवाणी ने प्लॉट नीलामी में भ्रष्टाचार का मामला उजागर किया था। इसमें पूरा खेल सम्पत्ति प्रबंधक अनिल गुप्ता के स्तर से चल रहा था। यह सब जगजाहिर हो चुका है। उन पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। शिकायत के बावजूद सम्पत्ति प्रबंधक अपने बचाव में लखनऊ में डेरा डाल गए थे।

यह मामला है 25 सितंबर 2020 का है। जागृति विहार सामुदायिक केन्द्र में खुली नीलामी हुई थी, जिसमें बोली दाताओं ने बोली लगााई थी। इस खुली बोली में सपना भारद्वाज ने भी 184 वर्ग मीटर का प्लॉट संख्या 5/61 जागृति विहार एक्सटेशन में मिला था। सपना भारद्वाज ने इसकी बोली 25,520 रुपये प्रति वर्ग मीटर से बढ़ाकर 30 हजार प्रति वर्ग मीटर लगा दी थी। इस नीलामी पर भी सम्पत्ति प्रबंधक ने प्रत्येक मीटर पर एक हजार रुपये की मांग की।

ऐसा आरोप सम्पत्ति अधिकारी पर लगा है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री को भी की गई। पूरा मामला जनवाणी में प्रकाशित हुआ तो भ्रष्टाचार में गर्दन फंसती देखकर सम्पत्ति अधिकारी अपनी जान बचाने के लिए लखनऊ पहुंच गए थे। वहां अपने आका से फाइल को दबाने की गुहार लगा रहे थे, इसी बीच विभागीय आला अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने के चक्कर में सम्पत्ति प्रबंधक अनिल गुप्ता का मेरठ से आगरा तबादला कर दिया।

उनके तबादले के आदेश गुरुवार को आवास विकास परिषद में पहुंचे। उनके तबादले के बाद आवास विकास परिषद आॅफिस में हड़कंप मच गया। क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी अधिकारी के मामले को शासन स्तर पर गंभीरता से लिया गया। यही नहीं, अब इसकी जांच पड़ताल भी कराई जाएगी। इसकी जांच कौन करेगा, दो दिन बाद पता चल जाएगा। क्योंकि इसकी रिपोर्ट शासन स्तर पर मांगी गई है।

पीएम आवास के लिए एमडीए के पास नहीं है बजट

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गरीबों को आवास देने का ड्रीम प्रोजेक्ट है, मगर एमडीए खाली हाथ है। एमडीए के पास गरीबों के लिए मकान बनाने के लिए धनाभाव है। यही वजह है कि पीएम आवास का प्रोजेक्ट बीच में ही लटक गया है। जो पहले आवासों का निर्माण चालू किया था, वो आवास भी अधूरे पड़े हैं।

कहा जा रहा है कि सरकार से दूसरी किश्त एमडीए को नहीं मिली है, जिसके चलते आवासों का निर्माण अधर में लटक गया है। क्योंकि एमडीए की भी आर्थिक स्थिति कुछ अच्छी नहीं है। एमडीए का खजाना खाली है, जिसके चलते पीएम आवास का प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

एमडीए ने परतापुर बराल में भी एक हजार आवास बनाने के लिए टेंडर निकाले थे, लेकिन टेंडर लेने के लिए ठेकेदार नहीं आये। आॅन लाइन टेंडर लेने के लिए आवेदन ही नहीं किये। क्योंकि ठेकेदारों को मालूम हो गया है कि आवासों का पहले जो काम किया था, उसका भी भुगतान नहीं हुआ है।

ऐसे में नया टेंडर लेकर पैसा ही फंसाना है। इसी के चलते कोई ठेकेदार एमडीए के टेंडर नहीं ले रहा है। यह हालत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की हो रही है। इस प्रोजेक्ट पर पूरा फोकस अधिकारियों का होना चाहिए, मगर यह प्रोजेक्ट लगातार पिछड़ता जा रहा है। हालांकि आवास विकास परिषद का पीएम आवास का प्रोजेक्ट तेजी से काम कर रहा है, वहां पर 800 मकान बनाकर आवंटित भी कर दिये गए हैं, लेकिन एमडीए में स्थिति पिछड़ रही है।

समाजवादी आवासों पर खर्च हो चुके 150 करोड़

समाजवादी आवास भी एमडीए के लिए सफेद हाथी से कम नहीं है। इस प्रोजेक्ट पर 150 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन एक भी मकान बिक नहीं रहा है। दो दिन पहले ही प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी ने समाजवादी आवासों का दौरा किया था। उनका कहना है कि समाजवादी आवास योजना का नाम तो नहीं बदला जाएगा, इसमें निर्मित मकानों को किसी तरह से सेल करने के लिए प्रयास किये जाएंगे। इसके लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा। क्योंकि एमडीए की बड़ी धनराशि इस प्रोजेक्ट पर खर्च हो चुकी है।

एमडीए वीसी के औचक निरीक्षण में 80 कर्मचारी मिले गायब

मेरठ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी गुरुवार को एक्सन मोड में दिखाई दिये। गुरुवार की सुबह ठीक 10 बजे आॅफिस पहुंचे और प्राधिकरण में कर्मचारी समय से पहुंचते है या फिर नहीं? यह चेकिंग शुरू कर दी। जैसे ही ज्यादातर कर्मचारी उन्हें नदारद मिलने लगे तो वह अधीनस्थ अफसरों पर नाराजगी व्यक्त करने लगे।

वीसी का औचक निरीक्षण करीब एक घंटे तक चला, जिसमें 80 कर्मचारी नदारद मिले। इतनी बड़ी तादाद में कर्मचारियों के निर्धारित समय से ड्यूटी पर नहीं आने से वीसी सख्त नाराज हो गए तथा संबंधित अधिकारियों से कहा कि क्या हर रोज इस तरह से कर्मचारी विलंब से आॅफिस आते हैं।

यह गंभीर लापरवाही है। भविष्य में ऐसा नहीं चलेगा। इसको लेकर अधिकारियों व कर्मचारियों को भी खूब हड़काया। वीसी के इस दौरे से अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। क्योंकि बड़ी तादाद में इंजीनियर गाजियाबाद से आना-जाना करते हैं। इसलिए गाजियाबाद से आने वाले ज्यादातर इंजीनियर दोपहर 12 बजे तक ही आॅफिस आ पाते हैं।

मेरठ विकास प्राधिकरण कर्मचारी समय से आफिस नहीं पहुंचते हैं, ऐसी शिकायत वीसी को मिली थी, जिसके बाद ही वीसी ने इंजीनियरिंग विंग,  संपत्ति अनुभाग, अकाउंट सेक्शन,जोनल आफिस, रिकॉर्ड रूम समेत कई अनुभगों का औचक निरीक्षण किया, जिसमें 80 कर्मचारी गायब मिले।

वीसी ने दो टूक कह दिया कि यह प्रथम लापरवाही है। यदि दोबारा से कर्मचारी अनुपस्थित मिले तो सीधे निलंबन की कार्रवाई की जाएगी। वीसी ने उपस्थिति रजिस्टर भी चेक किया, जिसमें कुछ कर्मचारी गैर हाजिर मिले।

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