- साल भर भी नहीं चली निगम की क्लीन स्वीप मशीनें
- कमीशन हड़पने को अधिकारी करा रहे फालतू खरीद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सवाल जब रकम हड़पने का होता है तब यह देखा जाता है कि कौन-सी ऐसी सूरत अपनाई जाये। ताकि मुंहमांगी मुराद पूरी हो जाये। जेब भर जाये और किसी को पता भी नहीं चले। कुछ ऐसी ही बानगी के तहत नगर निगम ने 1.25 करोड़ रुपये की दो-दो क्लीन स्वीप मशीनें खरीदीं, लेकिन झूठ के पैर नहीं होते हैं। ऐसा ही कुछ इन करोड़ों रुपये की मशीनों के साथ भी हुआ। यह मशीनें चलते हुए अभी छह महीने ही हुए हैं कि इनकी असलियत सबके सामने आ गई है। करोड़े रुÞपये की यह मशीनें अब सड़क पर ही हांफने लगती हैं।
आज भी यह मशीन सड़क पर चली तो सड़क की सफाई करना तो दूर, खुद इसको मरम्मत और सफाई की जरूरत पड़ गई। सुबह से लेकर दोपहर बाद तक इंजीनियर इस मशीन को सही करने में जुटे रहे। अब जैसे-तैसे मशीन चलने की हालत में तो हो गई है, लेकिन इसकी दुर्दशा देखकर चालक ने इस मशीन को सूरजकुंड डिपो पहुंचाकर खड़ा कर दिया है। फिलहाल मशीन सूरजकुंड डिपो पहुंच गई है तथा आज के सूरत-ए-हाल के बाद इस बात की संभावना कम ही है कि इसको सड़क पर चलते हुए देखा जायेगा।
क्रांतिधरा को स्मार्ट सिटी का जैसे-तैसे दर्जा मिल तो गया है, लेकिन स्मार्ट सिटी को बनाने का जिस नगर निगम महकमे पर जिम्मेदारी है। वह अगर ईमानदारी से काम करे तो मेरठ हमेशा के लिए ही स्मार्ट बना रहेगा। जनता भी इसके लिए पूरी तरह जागरूक है, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने तो जैसे ठान ही रखा है कि स्मार्ट सिटी मेरठ बने या न बने, लेकिन उनके लिए ऐसे इंतजाम होते रहें कि नित नई मशीनें और सामान खरीदे जाते रहें। इसके पीछे तर्क कमीशन का होता है। फिर सामान चाहे घटिया से घटिया श्रेणी का हो, अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं होता है। उनको तो मतलब सिर्फ अपने कमीशन से होता है।
सफाई कर्मियों की भारी भरकम है फौज
नगर निगम में 2200 से अधिक संविदा सफाई कर्मचारी हैं। जबकि इसके अलावा स्थाई सफाई कर्मचारी अलग हैं। सभी कर्मचारी नियमित रूप से शहर के सभी वार्डों में जनसंख्या बल के आधार पर लगाये गये हैं। शहर में दो पालियों में सफाई का कार्य होता है। इसमें झाडू से सड़कों और गलियों की सफाई करने वाले कर्मचारी अलग हैं। सड़कों और गलियों के नाले और नालियों की सफाई करने वाले अलग हैं तथा ढलाव घर की सफाई करने वाले कर्मचारी अलग हैं। इसके साथ-साथ नगरीय सीमा के अन्तर्गत आने वाले मुख्य राजमार्गों पर सफाई करने के लिए अलग से कर्मचारियों को लगाया जाता है।
रोड स्वीपिंग मशीनों से की जाती है सफाई
भारत में रोड स्वीपिंग की शुरुआत ने सड़क निर्माण उद्योग में क्रांति ला दी है और असंख्य कार्यों को सरल बना दिया है, जिन्हें पूरा करने के लिए पहले कई रोड स्वीपरों की आवश्यकता होती थी। स्वचालित रोड स्वीपिंग मशीन एक अत्यधिक विशिष्ट और कुशल मशीन है, जिसमें एक बाजार में इसकी भारी मांग है और इसलिए उद्योग में इसकी बड़ी प्रासंगिकता है। इनकी कंटेनर क्षमता 2000 लीटर से लेकर 5500 लीटर तक होती है। फुटपाथों, सड़कों और अन्य कठोर सतहों को साफ और मलबे से मुक्त रखने के लिए उन्नत सुविधाओं के साथ आता है।
यह एक बड़े वैक्यूम क्लीनर की तरह काम करता है जिसमें सभी धूल और गंदगी को इकट्ठा करने की बड़ी क्षमता होती है। महीन धूल के कणों से लेकर प्लास्टिक की थैलियों तक, मेकेनिकल रनवे स्वीपर सब कुछ साफ कर सकता है। मेकेनिकल रोड स्वीपर सड़कों को प्रभावी ढंग से साफ करने और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है। भारत के बड़े महानगरों में इन मशीनों से सफाई का कार्य निर्बाध रूप से चल रहा है।
बिना तकनीकी ज्ञान के खरीद ली मशीनें
नगर निगम प्रशासन ने बिना तकनीकी ज्ञान लिये 15वें वित्त आयोग से एक करोड़ 20 लाख रुपये की लागत से दो-दो क्लीन स्वीप मशीनें खरीद लीं। इनमें से एक मशीन को नगर निगम के सूरजकुंड डिपो तथा एक मशीन को दिल्ली रोड वाहन डिपो को सौंपा गया हे। बिना तकनीकी ज्ञान के इन मशीनों की खरीद सिर्फ इस उद्देश्य से की गई थी कि इसमें खरीद करने वाले अधिकारियों को मोटा कमीशन मिल रहा था। लिहाजा इन दो मशीनों को खरीदने के बाद दोनों ही डिपो पर सीधे भेजा गया।
छह माह में ही मशीन सड़क पर हुई खराब
नगर निगम की सूरजकुंड वाहन डिपो की क्लीन स्वीप मशीन बुधवार को सवेरे निकालकर एल ब्लॉक तिराहे पर भेजी गई। इस मशीन को एल ब्लॉक तिराहे से सफाई करते हुए हापुड़ अड्डे होते हुए बेगम पुल तक सफाई का कार्य करना था। जब यह मशीन हापुड़ रोड पर तिरंगा गेट के पास पहुंची तो यह खुद सड़क पर जाम हो गई। पहले चालक ने खुद ही मशीन को स्टार्ट करके देखा तो वह पूरी तरह जाम हो गई। लिहाजा उसने सुबह नौ बजे डिपो प्रभारी को फोन कर मशीन के खराब होने की जानकारी दी।
चार घंटे में मशीन को खोलकर की मरम्मत
नगर निगम ने इस क्लीन स्वीप मशीन को सही करने के लिए पहले तो निगम कार्यशाला से मिस्त्री भेजे। लेकिन वह नाकाम हो गये तो फिर कंपनी इंजीनियरों को फोन किया गया। इंजीनियरों ने चार घंटे तक इस मशीन को खोलकर इसकी पूरी ओवर हॉलिंग की। दोपहर बाद मशीन इस स्थिति में तो पहुंच गई कि चल सके। तब चालक इस मशीन को सीधे सूरजकुंड वाहन डिपो लेकर पहुंच गया तथा वहीं पर इसे खड़ा कर दिया। अब यह मशीन शो पीस बनकर डिपो में ही खड़ी है।
नगर निगम के पास पहले से ही मौजूद हैं तीन मशीनें
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नगर निगम के तीन वाहन डिपो सूरजकुंड डिपो, दिल्ली रोड डिपो तथा कंकरखेड़ा डिपो है। तीनों डिपो पर लगभग 12 वर्ष पूर्व क्लीन स्वीप मशीनें खरीदी गई थीं तथा तीनों ही डिपो पर वह मशीनें कार्य कर रही हैं। आवश्यकता न होने के बावजूद यहां दो मशीनें और खरीदी गर्इं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि दो-दो मशीनों की खरीद की गई, लेकिन इसके लिए न तो नगर निगम की कार्यकारिणी और न ही बोर्ड से कोई प्रस्ताव आया और न ही किसी पार्षद ने यह प्रस्ताव रखा। अधिकारियों ने खुद ही अपनी मनमर्जी से इनकी खरीद कर ली।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम मेरठ क्षेत्र की सड़कों की सफाई करने के लिए रोड क्लीन स्वीपिंग मशीन से कराने का निर्णय खुद ही लिया गया। इसके लिए पार्षदों या कार्यकारिणी से अनुमति भी नहीं ली गई। साफ जाहिर है कि कमीशन के लिए खेल हुआ है। हम इन मशीनों के संबंध में कमिश्नर दरबार में शिकायत करेंगे। -अब्दुल गफ्फार, पूर्व पार्षद, नगर निगम।
रोड स्वीपिंग मशीन की खास बात यह है कि मशीनों से सफाई करने से केवल कचरा ही नहीं बल्कि सड़क किनारे जमने वाले धूल भी साफ होगी। यह मशीनें पूर्व में खरीदी गई हैं। वह इन मशीनों की खरीद की फाइलें मंगवाकर देखेंगे। इसमें जो भी जिम्मेदार या कसूरवार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करायेंगे। -हरिकांत अहलूवालिया, महापौर, नगर निगम।