जनकराम साहू
काल का पहिया निरंतर घूमता ही रहता है। समय कब बीतता है, पता ही नहीं चलता। पुराने कैलेंडर की विदाई और नए कैलेंडर का स्वागत होता है अर्थात नए वर्ष का आगमन होता है। इस नए वर्ष के आगमन पर खुशियों की नई शुरूआत भी होती है जिसके स्वागत के लिए हर व्यक्ति बेताब रहता है। सब व्यक्ति रात्रि में जागरण करके खुशियां मनाते हैं और एक दूसरे को नये वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। विगत से कुछ सीखकर आगत को सफल बनाने हेतु नया संकल्प करते हैं, सुख समृद्धि हेतु प्रार्थना एवं पूजा करते हैं।
पुराना वर्ष तो अपने 365 दिन के पंखों को आहिस्ता-आहिस्ता समेटकर कुछ खट्टे-मीठे अनुभव देकर चला जाता है और बारी आती है-नए वर्ष की जो हमें आशा, उमंग, भाईचारा, सद्भावना की लहर लाने और आदर्शो के ऊंचे पथ पर चलने का संदेश देता है, देश की एकता और अखंडता की प्रेरणा देता है। इस नव वर्ष को दुनिया के सभी नागरिक अपनी-अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुसार मनाते हैं, हर्षोल्लास से उसका स्वागत करते हैं। प्रस्तुत हैं दुनिया में नववर्ष मनाने की अनोखी, विचित्र दिलचस्प जानकारी।
भारत: इस दिन यहां के बड़े-बड़े होटल, रेस्टारेंट चकाचौंध से भर जाते हैं। सामान्य लोग भी अपने घर रंग-बिरंगे कागज के तोरण लटकाते हैं, फूलों से सजाते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। कई लोग अपने इष्ट देवों के दर्शन करते हैं।
कनाडा: रोमन कैथोलिक मत मानने वाले लोग रात्रि में चर्च में प्रार्थना करते हैं, नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं और पुरुष वहां मौजूद महिलाओं के चुंबन लेते हैं। इसके पीछे उनकी यह भावना होती है कि आने वाला अगला वर्ष बहुत ही सुखदायक, मंगलदायक साबित होगा।
रोम: यहां इस दिन उपहार बांटने की परंपरा है। एक जनवरी को ही उपहार बांटने की परंपरा की शुरूआत रोम के एक बादशाह ने की थी, जो आज भी प्रचलित है। इस दिन यहां खूब आतिशबाजी होती है जिसके धमाकों से आकाश भी गूंज उठता है।
जापान: इस दिन यहां व्यंजन बनाने और घरों को बांस और चीड़ की लकड़ियों से सजाने की परंपरा है। इस उत्सव को जापान के लोग पांच दिन तक मनाते हैं। सुबह ही लोग नदियों व कुंओं से स्वच्छ जल लाकर चावल का व्यंजन बनाते हैं। यहां के लोग घर को सजाये जाने वाले बांस को दृढ़ता एवं सच्चरित्रता एवं चीज को जीवन का प्रतीक मानते हैं।
लंदन: इस दिन लंदन का टेऊफलगर स्क्वायर खुशी से शोर मचाते लोगों से भर जाता है। दीवाली की तरह सारा शहर जगमगा उठता है। रात्रि के ठीक 12 बजते ही एक धमाके के बाद रंग-बिरंगी टोपियां पहनकर मस्ती से नाचते-गाते हैं। खूब आतिशबाजी करने की भी परंपरा है।
बर्मा: बर्मा में नववर्ष का उत्सव तीन दिन तक मनाते हैं जिसे ‘तिजान’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन यहां के लोग भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर सुगंधित जल छिड़कते हैं। तत्पश्चात मिठाई बांटकर खुशी जाहिर करते हैं।
ईरान: ईरान के लोग नववर्ष का स्वागत 21 मार्च को करते हैं, वह भी बड़े रोचक ढंग से। ये लोग 15 दिन पूर्व जौ तथा गेहूं बोते हैं और अंकुरित होने देते हैं। फिर इसे नववर्ष के दिन प्याली में डालते हैं। ऐसा करना वे शुभ मानते हैं और यही यहां की मुख्य परंपरा भी है।
चीन: चीन में इस दिन आतिशबाजी करने की परंपरा है। रात्रि में जागरण करते हैं। फिर दूसरे दिन सभी को पकवान खिलाते हैं। यहां की ताए जाति के लोग नववर्ष का उत्सव पांच दिन तक मनाते हैं। पहले भगवान बुद्ध की वंदना करते हैं, तत्पश्चात एक दूसरे पर होली की तरह सादा पानी डालते हैं जिसे ‘छपाका’ कहा जाता है। इसके पीछे इनकी भावना होती है कि यह छपाका इंसान को स्वस्थ रखता है।
स्पेन: स्पेन में इस दिन रात्रि के 12 बजे के बाद एक दर्जन ताजे अंगूर खाने की परंपरा है। इनकी मान्यता है कि ऐसा करने से वे साल भर स्वस्थ रहते हैं।
अर्जेंटीना: इस दिन परिवार का मुखिया अपने हाथों से एक केक काटता है जिसका एक-एक टुकड़ा प्रत्येक सदस्य खाता है। उनकी यह भावना होती है कि वे एक-दूसरे के स्वास्थ्य और समृद्धि की मंगल कामना करते हैं। महिलाएं सुहाग की प्रतीक वस्तुओं का आदान-प्रदान कर सुख-समृद्धि की कामनाएं करती हैं।
मलेशिया, चिली, सुमात्र, थाइलैंड: इन देशों के नागरिक इस दिन अपने-अपने देवी-देवताओं की पूजा करते हैं ताकि खुश होकर उन्हें सुख-समृद्धि दे सकें।
पश्चिम जर्मनी: इस दिन यहां के पिता द्वारा अपनी-अपनी पुत्रियों को एक हजार पिन या उतने ही कीमत के उपहार देने की परंपरा है, जिसे पिनपनी के नाम से जाना जाता है। ऐसा करना वे सुख-समृद्धि तथा भविष्य की शुभकामना समझते हैं। हैं न विचित्र प्रथाएं।