- स्कूल रामभरोसे, फाजलपुर में 2001 में बनी थी नगर शैक्षिक संसाधन की बिल्ंिडग
- 2014 से कोई अधिकारी और कर्मचारी नहीं पहुंचा यूआरसी में
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शिक्षा विभाग में किस तरह से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। इसका एक और उदाहरण है फाजलपुर में बनी नगर शैक्षिक संसाधन (यूआरसी) की बिल्ंिडग। इस बिल्ंिडग के निर्माण के लिए शासन ने 2001 में 10 लाख रुपये खर्च किये थे।
यूआरसी में सभी स्टाफ की नियुक्ति भी हुई थी, लेकिन 2014 के बाद से यहां ताला लटका हुआ है। जबकि बड़ी संख्या में यूआरसी के आधीन प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालय आते हैं। मगर इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य को लेकर जरूरी सभी कार्य बीएसए कार्यालय में बैठे खंड शिक्षा अधिकारी करते हैं।
50 से अधिक विद्यालय यूआरसी के अधिकार में
मोदीपुरम के पल्हैड़ा से लेकर परतापुर के काशी तक 50 से अधिक सरकारी विद्यालय इसी यूआरसी के आधीन है। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के आधारकार्ड से लेकर शिक्षा दिलाने तक जरूरी योजनाओं से जुड़ सभी कार्य फाजलपुर में स्थित यूआरसी में होने चाहिए, लेकिन पिछले आठ सालों से यूआरसी में ताला लटका है। ऐसे में विद्यालयों का स्टाफ अपने काम के सिलसिले में 10 किमी दूर बीएसए कार्यालय में बैठने वाले अधिकारी के पास जाता है।
ये होना चाहिए स्टाफ
बंद पड़ी यूआरसी फाजलपुर में एक मुखिया खंड शिक्षा अधिकारी, एक एआरपी (एजुकेशन रिसोर्स पर्सन), एक कंप्यूटर आॅपरेटर, एक क्लर्क व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति की गई है, लेकिन यह स्टाफ कहां है, यह कोई नहीं जानता। बिना स्टाफ के किस तरह यूआरसी में शिक्षण से जुड़े कार्य होते होगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
इन विद्यालयों में शिक्षक नहीं
यूआरसी फाजलपुर के आधीन आने वाले प्राथमिक कन्या विद्यालय थापरनगर व प्राथमिक विद्यालय मकबरा-द्वितीय में करीब 326 छात्रों को शिक्षा मिलती है, लेकिन गजब बात यह है कि इन दोनो विद्यालयों में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं है। केवल शिक्षामित्रों से काम चलाया जा रहा है।
वहीं, प्राथमिक विद्यालय फाजलपुर में प्राथमिक कन्या विद्यालय थापरनगर के छात्रों को किसी तरह शिक्षा दी जा रही है। जबकि यहां पर छात्रों के बैठने के लिए जगह भी नहीं है।
प्राथमिक विद्यालय फाजलपुर के प्रधान अध्यापक विनोद त्यागी का कहना है कि इन दिनों छात्रों को डीबीटी समेत अन्य योजनाओं के लिए जरूरी आधार कार्ड बनाने का कार्य चल रहा है। ऐसे में विद्यालय में दो स्कूूलों के छात्रों की पढ़ाई जारी रखना काफी मुश्किल हो रहा है।