Sunday, July 7, 2024
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बरसात में सब्जी की खेती

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सब्जी आज से नहीं पहले से ही किसान के लिए एक फायदामंद का सौदा रहा है  किसान को जब कभी लगता है, कि अब इस खेती में किसान को किसी प्रकार का फायदा नहीं होने वाला है। तभी किसान के लिए सब्जी एक वरदान के रूप में मुख्य रूप से काम करती है। आज के दौर में मुख्यत: सभी किसान थोड़े क्षेत्र में अपना पालन पोषण करने के लिए किसी न किसी प्रकार की सब्जी की खेती जरूर ही करता है। वैसे तो भारत में पूरे साल में अलग-अलग प्रकार की सब्जियां उगाई जाती हैं, लेकिन मुख्य रूप से बरसात में सब्जी की खेती की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा सब्जी का उत्पादन किया जाता है, और सबसे मुख्य कारण यह है की इस समय मानसून के पानी में पौष्टिक तत्वों की बारिश होती है। जिसके फलस्वरूप सब्जियों का अच्छा उत्पादन होता है।

वैसे तो सभी को पता है कि सभी सब्जियों को लगाने का अलग-अलग सीजन होता है जैसे कि सर्दी में सब्जी की खेती, गर्मी में सब्जी की खेती और बरसात में सब्जी की खेती, इन तीनों सीजन में मुख्य रूप से अलग-अलग प्रकार की सब्जियां लगाई जाती हैं। परन्तु आपके जानकारी के लिए बता दे की कुछ सब्जियां ऐसी भी होती हैं जिनकी खेती आप पूरे वर्ष कर सकते हैं। जैस- फ्रेंच बीन्स की खेती , फ्रेंच बींस, मूली की खेती, पालक की खेती, पत्ता गोभी की खेती, बैंगन की खेती आदि।

अगर बरसात में सब्जी की खेती की बात करें तो इसमें फसल का उत्पादन अच्छा देखा गया है, वही बात करे बहुत सारे किसान जो की बिना मौसम की सब्जी की खेती करते हैं, उनका उत्पादन तो बहुत कम होता है, और लागत भी ज्यादा लगता है, लेकिन बात करे इसकी मांग और कीमत की तो वह बहुत अधिक मुनाफा देती है े जिससे की किसान को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

बरसात में सब्जी की खेती की बात करें तो यह जून से लेकर अगस्त तक होता है। ऐसे में बरसात में मुख्य रूप से कुछ सब्जियों की नर्सरी तैयार की जाती है तो वहीं बहुत प्रकार की सब्जियों की मुख्य खेतों में बुआई की जाती है े इस मौसम में मुख्य रूप से कद्दू, ब्रोकोली, पालक, शकरकंद, खीरा, मकई, बैंगन, अदरक, लहसुन, चुकंदर, और सब्जियों का सेवन उचित होता है।

इसके साथ ही साथ पालक की खेती, भिंडी की खेती, ककड़ी की खेती, ग्वार की खेती, शिमला मिर्च की खेती, शकरकंद की खेती, खीरा की खेती, आलू की खेती, लौकी की खेती, करेला की खेती, गाजर की खेती, टमाटर की खेती आदि की खेती करना लाभदायक होता है।

जून से अगस्त तक का महीना खरीफ की सब्जियों की खेती या बरसात में सब्जी की खेती की बुवाई का सही समय होता है। इन महीनो में सब्जीया लगाने से पहले हमे कई बातों का ध्यान भी रखना चाहिए। जैसे कि वातावरण में नमी व अधिक तापमान, जलवायु व एरिया को देखते हुए सब्जियों के किस्मों का चयन सही रूप से करना चाहिए।

इस समय आप कद्दू वर्गीय सब्जियो की खेती जैसे लौकी की खेती, करेला की खेती, खीरा की खेती आदि फसलों को भी लगा कर लाभ कमा सकते हैं और इतना ही नहीं इसके साथ ही टमाटर की खेती, मिर्च की खेती, फूलगोभी की खेती, प्याज की खेती, भिण्डी की खेती जैसी सब्जियों की खेती कर मुनाफा कमा सकते हैं।

इस समय का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु और सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह होती है कि सब्जी के किस्मों का चयन मौसम के अनुसार से ही करें। आपको बाता दे कि बारिश में वायरस से होने वाले रोगों का प्रकोप बहुत ज्यादा रहता है इसलिए किसान भाईयो को मुख्य रूप से कीट व रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चयन करना चाहिए।
बरसात में सब्जी की खेती के लिये खेत की तैयारी

बरसात में सब्जी की खेती के लिए हमें पहले खेत की तैयारी करनी होगी, इसके लिए हमे खेत को अच्छी तरह से जुताई करके समतल करना चाहिए और बरसात में सब्जी की खेती के लिए पौधों की रोपाई मेढ़ों पर ही करना चाहिए। प्याज की खेती के लिए किसान को सामान्य रूप से खेत में एक मीटर चौड़ी और 15 सेमी उठी हुई पट्टियां बनाकर उन पर रोपाई करनी चाहिए जिससे की जल निकासी में सुगमता हो।

कद्दूवर्गीय सब्जियों और टमाटर की फसल को खरीफ के मौसम में वर्षा के पानी से नुकसान होने की संभावना रहती है। इससे साथ ही पौधों में कई प्रकार के रोग तथा उसकी उत्पादन की गुणवत्ता में भी हानि होने की संभावना बढ़ जाती हैं । इसलिए किसान भाइंयो को खेत में 10-15 फीट की दूरी पर बांस लगाकर उन पर लोहे के तार को सामान्य रूप से कस देना चाहिए। अब इन तारों पर प्रत्येक पौधों को धागा या सुतली की सहायता से बांध दे। इस विधि को मचान विधि भी बोलते है और इसका सीधा प्रभाव सब्जी के उत्पादन, वजन, और आकार पर पड़ता है जोकि किसान भाइयो को उच्च गुणवत्ता की सब्जी दिला सकता है।

बरसात में सब्जी की खेती के लिए निराई-गुड़ाई

बरसात में सब्जी की खेती के लिए निराई-गुड़ाई बहुत जरूरी प्रक्रिया है जिसका अर्थ खेत की साफ-सफाई करना होता है। इसका मूल उदेश्य यह है कि मुख्य फसल की वृद्धि अच्छी हो सके। समय-समय पर खरपतवारों को निकालने से मुख्य फसल को पानी और पोषक तत्वों के लिए एक दुसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ती है।

खरपतवार नियंत्रण के लिए मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले कृषि उपकरण खुरपी, कुल्पा, वीडर होते है। इसके साथ ही बाजार में रसायनिक खरपतवार नाशक भी मिलते है जिनका प्रयोग फसल विशेष को ध्यान रखते हुए किया जा सकता है।
वर्तमान में खरपतवार नियंत्रण के लिए मुख्यत: 25 माइक्रोन मोटाई वाली प्लास्टिक मल्च फिल्म का प्रयोग किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस विधि में किसान मेढ़ पर रोपाई के पहले प्लास्टिक फिल्म को खेत में बिछा देते है और रोपाई करते समय इनमें निश्चित दूरी पर छेद करके पौधों की रोपाई की जाती है।

बरसात में सब्जी की खेती के लिए सिंचाई

बरसात में सब्जी की खेती में सिचाई वर्षा को ध्यान में रखते हुए ही की जाती है। इसमें सामान्यतया 6-8 दिनों के में ही सिंचाई करते हैं। आजकल आधुनिक कृषि में दिन प्रतिदिन नवीनीकरण को देखते हुए बहुत से माध्यम से सिचाई की जा सकती है लेकिन आप अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार ही इसका चुनाव करे। वैसे खर्च को ध्यान में रखते हुवे आजकल जो भी किसान सब्जी के उदेश्य के लिए खेती कर रहे है वे सिंचाई के लिए मुख्य रूप से टपक सिंचाई का उपयोग कर ज्यादा लाभ कमा रहे हैं। टपक सिंचाई में आपको पानी तथा उर्वरकों की बचत के साथ-साथ मजदूरों की भी कम आवश्यकता होती है। साथ ही साथ इसमें पानी को सीधे पौधों की जड़ों के पास बूंद-बूंद के रूप में पहुंचा दिया जाता है। सीमांत और छोटे किसान भी इस टपक सिचाई का फायदा ले सकते हैं।


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