- सिवाया टोल के जाम ने कर दिया हलकान
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: सिवाया टोल प्लाजा कहने को तो वीआईपी प्लाजा है, लेकिन यह प्लाजा वीआईपी की श्रेणी में जरूर शामिल है। यहां जाम का दंश इस प्लाजा की साख पर बट्टा लगा रहा है। प्लाजा पर आए दिन जाम की समस्या अब आम बात हो गई है। पिछले तीन दिन से छुट्टी होने के कारण यहां लगातार जाम लग रहा है। जाम लगने के कारण घंटों तक यात्रियों को इसमें फंसे होने के कारण परेशानियों से जूझना पड़ता है।
सुबह से लेकर शाम तक यह स्थिति प्लाजा पर छुट्टी के दिन बनी रहती है, लेकिन अभी तक इस जाम के लिए कोई पुख्ता बंदोबस्त टोल प्रबंधन का अभी तक दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि टोल प्रबंधन ने दावा करते हुए कहा कि जाम की समस्या को देखते हुए दो अतिरिक्त लाइनों का निर्माण प्लाजा पर किया जा चुका है और अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है, लेकिन छुट्टी के दिन हाइवे पर यात्रियों की तादाद में बढ़ोतरी होने के कारण प्लाजा पर जाम लग जाता है।
जिसके चलते यात्रियों को परेशानी से जूझना पड़ता है। टोल सूत्रों के मुताबिक टोल प्लाजा की प्रतिदिन की इनकम में बढ़ोतरी हुई है। पहले एक दिन की वसूली 25 लाख रुपये के आसपास थी, लेकिन यह वसूली 30 से 35 के बीच पहुंच गई है। जबकि छुट्टी के दिन यह वसूली 40 से 45 लाख रुपये के बीच पहुंच जाती है। यात्रियों की संख्या दिन प्रतिदिन इस हाइवे पर बढ़ रही है।
उत्तराखंड जाने वाले सैलानियों को इससे गुजरकर जाना होता है, लेकिन इस टोल पर जाम लगे रहने के कारण यहां से गुजरने वाले यात्रियों को कई-कई घंटे टोल पर जाम में खड़े भी रहना पड़ता है। कई बार जाम की समस्या को लेकर टोल पर हंगामे भी हुए, लेकिन उसके बाद भी टोल पर इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
टोलवे कं पनी के सुरक्षा अधिकारी मनिंदर विहान का कहना है कि छुट्टी के दिन अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए जाते हैं। टोल प्लाजा पर नई दो लाइनों का निर्माण भी कराया जा चुका है, लेकिन सैलानियों की बढ़ती तादाद के चलते अक्सर जाम लग जाता है। हालांकि प्रबंधन इस समस्या से निपटने के लिए और भी प्रयास कर रहा है।
23 कर्मचारियों की बर्खास्तगी तय
मेरठ: नगर निगम में सफाई कर्मी व अन्य पदों पर कार्यरत 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति का मामला जोकि सीबीसीआईडी के पास जांच के लिये शासन के द्वारा भेजा गया था। सूत्रों की माने तो इस मामले में सीबीसीआईडी की जांच अंतिम दौर में पहुंच चुकी है और जल्द ही रिपोर्ट आने के बाद मामले में कोई बड़ा एक्शन लिया जा सकता है। जिसमें जांच में दोषी पाये जाते ही इन सभी 23 कर्मचारियों की बरखास्तगी लगभग तय मानी जा रही है।
हालांकि इस मामले में नगर निगम का कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है कि 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति के मामले में जो जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई है। उसके बाद वह कर्मचारी नगर निगम में बराबर कार्य कर रहे हैं या फिर वह किस स्थिति में हैं। हालांकि एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दो कर्मचारियों के बारे में उन्हे पता है कि दो कर्मचारी डिपो में कार्यरत हैं। एक कंकरखेड़ा व एक मेडिकल क्षेत्र में तैनात है।
अन्य के बारे में कोई जानकारी नहीं है। फिलहाल नगर निगम 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति के मामले में पूर्व में जो जांच हुई उन्हे भी मीडिया से दबाये रखा और अब मामला सीबीसीआईडी के पास जांच के लिये भेजा गया और सूत्रों की माने तो निगम के अधिकारियों के पास जो जानकारी है। उसमें लगभगत फर्जी नियुक्ति के मामले में सभी 23 कर्मचारियों की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है, लेकिन अभी इस बड़े भ्रष्टाचार के मामले को निगम के द्वारा मीडिया से दूर रखा है।