नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में मुंबई की एनआईए कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी या बम की आपूर्ति लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने की थी।
जज ने फैसले में क्या कहा?
“धमाके में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल के प्रज्ञा ठाकुर की होने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला। चेसिस नंबर मिटा दिया गया था और इंजन नंबर संदिग्ध स्थिति में था।”
“न यह सिद्ध हुआ कि बाइक उनके कब्जे में थी और न ही उसमें बम रखने का कोई सबूत मिला।”
“कर्नल पुरोहित के खिलाफ ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि उन्होंने आरडीएक्स इकट्ठा किया, घर में रखा या बम तैयार किया।”
“यह भी साबित नहीं हो सका कि कश्मीर से आरडीएक्स लाया गया।”
“ब्लास्ट साइट पर आरडीएक्स की मौजूदगी अभियोग पक्ष साबित नहीं कर पाया।”
“केस की जांच कई एजेंसियों ने की, लेकिन ठोस सबूत नहीं मिले।” लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के खिलाफ ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि उन्होंने आरडीएक्स इकट्ठा किया, घर में रखा या बम तैयार किया।”
अदालत ने कहा कि सबूत संदेह से परे नहीं हैं और इसीलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 227 के तहत आरोपियों को बरी किया जाता है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि गवाहों के बयान बार-बार बदले गए और सबूतों की विश्वसनीयता कमजोर थी।
अदालत में क्या बोलीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर?
2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अदालत में भावुक होकर अपने दिल की बात कही। उन्होंने कहा कि उन्होंने 13 दिन तक टॉर्चर और अपमान सहा, लेकिन फिर भी कानून पर विश्वास बनाए रखा। सुनवाई के दौरान साध्वी ने अदालत से कहा, “मैं एक सन्यासी जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे आतंकवादी बना दिया गया। मुझे 13 दिन तक टॉर्चर किया गया। साध्वी कोर्ट में रो रही थी… इतना अपमान सहा, फिर भी कुछ नहीं बोली।”
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने आगे कहा, “भगवा को कलंकित किया गया। लेकिन आज, अदालत ने मेरे दुख-दर्द को समझा। ये केस मैंने नहीं जीता, ये भगवा की जीत है, हिंदुत्व की विजय हुई है।” उन्होंने कहा “17 वर्षों से संघर्ष कर रही हूं। “जिन लोगों ने ‘हिंदू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ कहा, उन्हें दंड मिलेगा।”
क्या था मामला?
29 सितंबर 2008 को मालेगांव की एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। इस घटना को हिंदू आतंकवाद से जोड़कर देखा गया था, और यह मामला लंबे समय तक राजनीतिक बहस और विवादों में रहा।