बरसात का मौसम शुरू होते ही पौधारोपण और वृक्षारोपण होने लगता है। इस मौसम में लगाए गए पौधे तेजी के साथ विकसित होते हैं। पौधे लगाने के बाद उनकी देखभाल जरूरी है।
’ पौधा गड्ढे में उतनी गहराई में लगाना चाहिए, जितनी गहराई तक वह गमले में या पोलीथीन की थैली में था। अधिक गहराई में लगाने से तने को हानि पहुंचती है और कम गहराई में लगाने से जड़ें मिट्टी के बाहर जाती हैं, जिससे उन्हें क्षति पहुंचती है।
’ पौधा लगाने के पूर्व उसकी अधिकांश पत्तियों को तोड़ देना चाहिए, लेकिन ऊपरी भाग की चार-पांच पत्तियां लगी रहने देना चाहिए। पौधों में अधिक पत्तियां रहने से वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है अर्थात पानी अधिक उड़ता है। पौधा उतने परिमाण में भूमि से पानी नहीं खींच पाता, क्योंकि जड़ें क्रियाशील नहीं हो पाती हैं। अत: पौधे के अंदर जल की कमी हो जाती है और पौधा मर भी सकता है।
’ पौधे का कलम किया हुआ स्थान अर्थात मूलवृन्त और सांकुर डाली या मिलन बिन्दु भूमि से ऊपर रहना चाहिए। इसके मिट्टी में दब जाने से वह स्थान सड़ने लग जाता है और पौधा मर सकता है।
’ जोड़ की दिशा दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर रहना चाहिए। ऐसा करने से तेज हवा से जोड़ टूटता नहीं है।
’ पौधा लगाने के बाद उसके आस-पास की मिट्टी अच्छी तरह दबा देनी चाहिए, जिससे सिंचाई करने में पौधा टेढ़ा न हो पाए।
’ पौधा लगाने के तुरंत बाद ही सिंचाई करनी चाहिए।
’ जहां तक संभव हो पौधे सायंकाल लगाए जाने चाहिए।
’ यदि पौधे दूर के स्थान से लाए गए हैं तो उन्हें पहले गमले में रखकर एक सप्ताह के लिए छायादार स्थान में रख देना चाहिए। इससे पौधों के आवागमन में हुई क्षति पूरी हो जाती हैं। इसके बाद उन्हें गड्ढों में लगाना चाहिए। तुरंत ही गड्ढे में लगा देने से पौधों के मरने का भय रहता है।
’ पौधे की उम्र कम से कम एक वर्ष होनी चाहिए। दो वर्ष से अधिक उम्र के पौधे भी नहीं लगाना चाहिए, उनके मरने का अधिक भय रहता है।
’ पौधे यथासंभव गूटी विधि से या कलिकायन या उपरोपण विधि से तैयार किए हुए होने चाहिए। ऐसे पौधे कलमी या ग्राफ्टेड पौधे कहलाते हैं। ऐसे पौधों में अपने पैतृक वृक्ष से कम से कम
’ पौधे अपने किस्मों के अनुसार सही होने चाहिए। अत: पौधे विश्वसनीय नर्सरी से ही मंगाए जाने चाहिए।
’ किसी भी प्रकार के रोग से संक्रमित नहीं होने चाहिए।
’ एक तने वाले सीधे, कम ऊंचाई वाले, फैले हुए उत्तम रहते हैं।
’ पौधों का मिलन बिंदु अच्छी तरह जुड़ा होना चाहिए।
’ पौधा पोलीथीन या गमला में लगा हुआ हो। ऐसे पौधे लगाने पर कम मरते हैं।
’ यदि पौधे नर्सरी से उखाडे गए हों तो उनकी जड़ों में पर्याप्त मिट्टी का पिंड होना चाहिए।