Thursday, January 16, 2025
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Kharmas 2024: कब से शुरू हो रहा खरमास? इस माह में क्यों करनी चाहिए सूर्य ​देव की उपासना, यहां जानें..

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में खरमास की जल्द ही शुरूआत होने वाली है। दरअसल, 15 दिसंबर 2024 में इसकी शुरूआत होने वाली है। जहां इस दिन रात 10 बजकर 19 मिनट पर सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिसका समापन साल 2025 में मकर संक्रांति के दिन होगा।

ज्योतिषाचार्या के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्यदेव जब भी गुरु की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तो खरमास लगता है। यह समय साल में दो बार आता है, जिसकी अवधि एक माह की होती हैं। खरमास में सूर्यदेव का तेज कम होता है, जिस कारण पृथ्वी पर भी उनका तप कम पड़ता है।

खरमास के दौरान सूर्य की स्थिति कमजोर होने के कारण घरों में शादी-विवाह, सगाई और ग्रह प्रवेश जैसे अन्य मांगलिक कार्यों पर भी रोक लगा दी जाती है। हिंदू धर्म में सूर्य के प्रभाव को बेहद शुभ माना गया है, उनकी कृपा से व्यक्ति के यश, सौभाग्य, सुख-समृद्धि और प्रभाव में वृद्धि होती हैं।

इसलिए खरमास में भी सूर्य उपासना करनी चाहिए। पूजा के दौरान कुछ शक्तिशाली मंत्रों का जाप अवश्य करें, इससे कुंड़ली में उनकी स्थिति मजबूत होती हैं, साथ ही साधक को करियर, व्यापार और नौकरी में मनचाहे परिणाम हासिल होते हैं। ऐसे में आइए इन मंत्रों के बारे में जानते हैं।

सूर्य ग्रह के 12 मंत्र

  • ॐ आदित्याय नमः।
  • ॐ सूर्याय नमः।
  • ॐ रवेय नमः।
  • ॐ पूषणे नमः।
  • ॐ दिनेशाय नमः।
  • ॐ सावित्रे नमः।
  • ॐ प्रभाकराय नमः।
  • ॐ मित्राय नमः।
  • ॐ उषाकराय नमः।
  • ॐ भानवे नमः।
  • ॐ दिनमणाय नमः।
  • ॐ मार्तंडाय नमः।

सूर्य का वेदोक्त मंत्र

  • ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनद:
    सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोग: ।
  • मंत्र : ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च ।
    हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।

सूर्य गायत्री मंत्र

1.ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात् ।
2.ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात् ।

अर्थ- मंत्र ‘ऊँ एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो तेजोराशि जगत्पते ।
करूणाकर में देव गृहाणाध्र्य नमोस्तु ते ।

शक्तिशाली मंत्र

ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः

ॐ घृणि सूर्याय नम:

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ

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