Tuesday, October 15, 2024
- Advertisement -

महंगाई का विसर्जन कब होगा?

Samvad 1

31 1इस समय देश में त्योहारों का सीजन चल रहा है। मंगलवार को विग्नहर्ता भगवान गणेश जी का विसर्जन तो हो गया। अब जनता पूछ रही है कि बढ़ती महंगाई का विसर्जन कब होगा? सरकार को सोचना चाहिए कि देश में योहार केवल अमीर लोग ही नहीं मनाते, बल्कि गरीब से गरीब से लेकर हर व्यक्ति, हर परिवार और हर वर्ग मनाता है और हमारे देश में त्योहारों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन और पूजा पाठ का भोग भी लगता है। ऐसे में बढ़ती महंगाई त्योहारों की रंगत फीकी कर देती है। त्योहारों की शुरुआत में ही खाद्य तेलों में तेजी आ गई है और सभी खाद्य तेल दस प्रतिशत की वृद्धि में आ गए हैं।

गौरतलब है कि गत दिनों आर्थिक विकास के आंकड़ों ने आजादी के अमृतकाल को एक नई सकारात्मक ऊर्जा प्रदान की थी। बताया जाता है कि अब भारत विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यकीनन, यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। अब हमसे आगे जर्मनी, जापान, चीन और अमेरिका ही रह गए हैं। यह बात भी सत्य है कि आर्थिक आंकड़े मात्र तुलनात्मक आधार का एक पक्ष प्रस्तुत करते हैं, उनसे संपूर्ण तस्वीर स्पष्ट नहीं होती है। आर्थिक आंकड़ों ने दूसरी खुशी तब प्रदान की जब चालू वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही के जीडीपी के आंकड़े सामने आए। यह दर इस दौरान 13.5 प्रतिशत रही। हालांकि इस आंकड़े ने एक बहस को भी जन्म दिया। रिजर्व बैंक आफ इंडिया के अनुमान के मुताबिक यह दर 16.2 प्रतिशत के आसपास होनी चाहिए थी। इसलिए कहा गया कि अब भी शायद भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के बाद सुधार के वास्तविक मिजाज में नहीं आई है। याद रहे कि पिछले दो वित्तवर्षों की पहली तिमाही में बहुत विकट स्थिति थी।

2020-21 की पहली तिमाही में तेईस प्रतिशत की नकारात्मक दर थी, तो उसी में वर्ष जनवरी में शुरू हुई महामारी की तीसरी लहर का असर उस समय के जीडीपी के आंकड़ों पर देखा गया था। इस पक्ष में यह बात भी गौरतलब है कि यह आर्थिक आंकड़ा भी समाज के विकास की संपूर्ण तस्वीर नहीं प्रस्तुत कर रहा है, क्योंकि बेरोजगारी तथा महंगाई के लगातार बढ़ते आंकड़े इस संदर्भ में एक नकारात्मक रुख बनाए हुए हैं। आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक समृद्धि की आधारशिला का मुख्य पक्ष चालू वित्तवर्ष बनेगा। शुरुआती दिनों में इस वर्ष के लिए कई वैश्विक एजेंसियों ने भारत की आर्थिक दर नौ प्रतिशत के आसपास अनुमानित की थी। बाद में रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के बढ़े मूल्यों के कारण यह सात से आठ प्रतिशत के आसपास अनुमानित की गई।

भारत के लिए चालू वित्तवर्ष इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है कि इस दौरान लगातार देखा जा रहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने यहां बढ़ती महंगाई की परेशानी से गुजर रहा है, जिसके कारण वहां आम आदमी इन दिनों अपनी क्रय क्षमता को नियंत्रण करने में लगा हुआ है। इन दिनों चीन के हालात भी बहुत अच्छे नहीं दिख रहे हैं। बहुत हद तक वहां आर्थिक मंदी की सुगबुगाहट है। चीन की अर्थव्यवस्था का आधार मुख्यत: निर्माण और विनिर्माण का क्षेत्र है। पिछले कुछ समय से देखा जा रहा था कि कोरोना महामारी का असर चीन के आर्थिक विकास पर अब भी दिख रहा है। भारत इस समय आर्थिक विकास का मुख्य आधार तभी बन पाएगा जब आगामी तीन तिमाहियां अपनी बड़ी विकास दर लगातार बनाए रखें, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था औसतन आठ प्रतिशत के आसपास की विकास दर साल के अंत में प्राप्त कर सके।

इन दिनों त्योहारों की धमक है। हर वर्ष अगस्त माह से इसकी शुरूआत होती है, जो दिसंबर के अंत तक रहती है। यानी वित्तवर्ष की दो तिमाहियां इस समय से संबंधित होती हैं और ये तिमाहियां अच्छा मुनाफा दर्ज कर सकती हैं, अगर इस दौरान प्रति व्यक्ति क्रय क्षमता और उपभोग क्षमता उच्चतम स्तर पर हो। यह त्योहारी सीजन हर वर्ष लगभग सभी कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि दर्ज कराता है। पिछले दिनों सीएमआइई द्वारा किए गए उपभोक्ताओं की क्रय क्षमता के सर्वे में पता चला कि जुलाई में भारतीय निवेशकों तथा उपभोक्ताओं ने अपनी क्रय क्षमता पर बहुत अधिक विश्वास जताया है तथा आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले चार महीनों में इस दौरान तकरीबन 6.7 प्रतिशत के आसपास की वृद्धि दर दर्ज की गई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास वृद्धि के हिसाब से कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में कायापलट कर देने वाले सूचक के रूप में देखा जा सकता।

पिछले पांच महीनों में यह वृद्धि दर मात्र फरवरी के महीने में आकर्षक थी, जब यह पांच प्रतिशत दर्ज हुई थी। उसके बाद तो यह 3.7 प्रतिशत मार्च में, 3 प्रतिशत अप्रैल में, 0.8 प्रतिशत मई में तथा मात्र एक प्रतिशत जून माह में दर्ज हुई। इस संदर्भ में रोचक तथ्य यह है कि जुलाई की इस वृद्धि दर का मुख्य सहारा ग्रामीण क्षेत्र से आया है, जो कि इस दौरान 7.3 प्रतिशत रहा, जबकि शहरी क्षेत्र में यह 4.8 प्रतिशत ही था। इसका कारण स्पष्ट है। शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी की दर अधिक है तथा कोविड पश्चात की आर्थिक सबलता लोगों में अभी नहीं आई है, क्योंकि वार्षिक वेतन वृद्धि इस दौरान पांच से छह प्रतिशत के आसपास ही आंकी गई है। ग्रामीण क्षेत्र का अधिक सक्षम होना इस दौरान इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि सितंबर माह तक मानसून मध्य और दक्षिण भारत में अपनी गति को अच्छे ढंग से बनाए हुए है, जिसका सकारात्मक प्रभाव कृषि क्षेत्र पर दिख रहा है।

सरकार ने कृषि क्षेत्र हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मानसून पर आधारित खरीफ फसलों के लिए चार से आठ प्रतिशत तक बढ़ाया है। मनरेगा के आंकड़े भी ग्रामीण आर्थिक विकास स्थिति को अलग ढंग से स्पष्ट कर रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष के जुलाई माह में करीब 2.04 करोड़ ग्रामीण मनरेगा पर निर्भर थे, जबकि उसके पिछले माह के दौरान यह आंकड़ा तकरीबन 3.16 करोड़ था। मानसून तथा अन्य रोजगार के अवसरों की उपलब्धता के कारण जुलाई माह तथा इसे आगे वाले समय में ग्रामीण व्यक्तियों की निर्भरता मनरेगा पर कम हुई है तथा उनके पास आर्थिक जीवन चक्र के लिए दूसरे संसाधन उपलब्ध हुए हैं जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक प्रगति का अच्छा आधार बना है।

अब आवश्यकता है कि महंगाई की दर को सरकार नियंत्रित करे, अन्यथा हो सकता है कि त्योहारों के मौसम में इसका विपरीत असर आम व्यक्ति की क्रय क्षमता पर देखने को मिले तथा जिसके परिणाम स्वरूप जीडीपी के आंकड़ों में भी कमी दर्ज हो। वैश्विक रिपोर्टों के मुताबिक पिछले तीन माह से कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य में उतनी अधिक तेजी नहीं देखी जा रही है जो रूस और यूक्रेन की समस्या शुरू होने के बाद फरवरी-मार्च के महीनों में थी। मगर भारतीय घरेलू बाजार में आज भी पेट्रोल, डीजल तथा रसोई गैस के मूल्य उच्च स्तर पर हैं, जिसका विपरीत असर हर तरह की महंगाई पर देखने को मिल रहा है, जिसमें खाद्य पदार्थों से लेकर रसोई में उपयोग होने वाले समान तथा परिवहन की लागत मुख्य तौर से सम्मिलित हैं। अगर सरकार घरेलू स्तर पर महंगाई को विसर्जित करने की कोशिश करती है तो यह संभव है कि आने वाले त्योहारी दिनों में भारतीय उपभोक्ता की क्रय क्षमता अपने उच्चतम स्तर पर दर्ज होगी तथा आर्थिक विकास को एक नया बल मिलेगा

janwani address

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

केरल की वायनाड लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी प्रियंका गांधी

जनवाणी ब्यूरो | नई दिल्ली: प्रियंका गांधी केरल की वायनाड...

Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड में 13 और 20 नवंबर को होगा मतदान, 23 को आएंगे नतीजे

जनवाणी ब्यूरो | नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने झारखंड विधानसभा...

Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होगा मतदान, 23 को आएंगे चुनाव परिणाम

जनवाणी ब्यूरो | नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की...
spot_imgspot_img