वैसे तो देशभर में रेप की घटनाएं हर जगह हो रही हैं, जिन्हें नियंत्रित करने में शासन-प्रशासन फेल होता दिखाई दे रहा है। लेकिन त्रिपुरा में बीते चार दिन में दो रेप की दो घटनाओं ने राज्य को उबाल कर रख दिया। पहला मामला अभी शांत नही हुआ था कि दूसरे मामले से जनता और आक्रोशित हो गई। दरअसल मामला यह है कि त्रिपुरा में एक कक्षा पांच की छात्रा को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने की घटना सामने आई है। घटना उत्तरी त्रिपुरा जिले की है। बेलोनिया महिला थाने में मामला दर्ज किया गया है और पुलिस जांच में जुटी है। बीते कुछ दिनों में ही त्रिपुरा में सामूहिक दुष्कर्म की यह दूसरी घटना है। इससे पहले दक्षिण त्रिपुरा जिले में भी ऐसी घटना घटी थी। इन घटनाओं से यह तो तय हो जाता है कि हमारे देश में एक साल से लेकर सत्तर साल तक की महिलाएं सुरक्षित नही हैं। रेप इतने सख्त कानून भी बने हैं लेकिन बावजूद इसके अपराधियों में कोई खौफ नहीं।
आखिर देश में कितने निर्भया कांड होते रहेंगे? शहर, कस्बा या गांव, कहीं भी महिलाओं सुरक्षित नहीं हैं। बीते महीने पश्चिम बंगाल में डॉक्टर के साथ दरिंदगी हुई, जिसको लेकर पूरे देश में बवाल मचा और उसको लेकर अभी तक कोई हल नहीं निकला। केंद्र सरकार महिला सुरक्षा को लेकर तमाम वादे करती है, उसके बावजूद भी ऐसी घटनाएं मुंह पर तमाचा मारने जैसी लग रही हैं। बच्चियां न घर में सुरक्षित, न बाहर और न ही स्कूल में। ज्ञात हो कि बीते वर्ष हरियाणा के जींद जिले के एक सरकारी स्कूल में करीब 60 स्कूली छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। घटना की स्थिति कितनी भयावह थी यह छात्राओं के सहमे हुए चेहरों ने बता दिया था। पीड़ित छात्राओं ने बताया था कि उनके स्कूल में हर रोज छात्राओं के साथ रेप होता था ओर विरोध करने पर फेल करने या जान से मारने की धमकी दी जाती थी और इस मामले में पूरा स्कूल प्रशासन मिला हुआ था। सिलसिला काफी समय से जारी था लेकिन कुछ समय बाद छात्राओं सबने हिम्मत जुटाकर इसका विरोध किया था तब जाकर हकीकत सामने आई थी।
ऐसी घटनाओं को देखकर लगता है कि विकृत सोच के लोग किस तरह खुलेआम बच्चियों के साथ अनर्थ कर रहे हैं। ये खबरें पढ़कर मात्र कुछ समय तक इसका असर रहता है, लेकिन जो पीड़िता के साथ होता है, क्या उनके दिमाग से यह कभी निकल पाएगा? निश्चित तौर पर नहीं। गुस्सा और पीड़ा दोनों आता है, यह सब देखकर कि हमारा समाज लड़कियों व महिलाओं को किस नजरिए से देखता है। सरकार के अनुसार हम आज हाईटैक दौर में जी रहे हैं, लेकिन जहां हम अपनी बच्चियों की अस्मत नहीं बचा पा रहे, वहां किसी भी तरक्की का क्या फायदा। रेप जैसी घटनाओं ने हिलाकर रख दिया। हर घंटे 3 महिलाओं का रेप। इस साल भी रेप के ऐसे कई मामले आए, जिनसे पूरा देश थर्रा गया।
एनसीआरबी की रिपोर्ट-2023 के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा रेप केस राजस्थान में सामने आए। इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का नंबर आता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर दिन 87 महिलाओं और बच्चियों से रेप के मामले सामने आए। यह तो वो आंकडे जो रजिर्स्टा होते हैं, इसके अलावा सालाना करोड़ों केस ऐसे हैं, जो किसी के सामने ही नहीं आते। कुछ लोग अपने वर्चस्व के चलते रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होने देते। बहुत सारी पीड़िताएं समाज के डर से रिपोर्ट नहीं कराती हैं। इसके अलावा महिलाओं की मजबूरी का भी फायदा उठाया जाता है। प्राइवेट सैक्टर में बहुत हाल खराब है और मजबूरी में महिलाएं कुछ नहीं कर पातीं। हम महिलाओं को बराबरी के क्षेत्र में लाने की बात करते हैं, उनके उत्थान की बात करते हैं, लेकिन यह बातें सिर्फ बातें ही लगती हैं। धरातल पर सच्चाई क्या है यह सबको पता लगने लगा। जिस भी बच्ची, लड़की व महिला के साथ यह दुष्कर्म होता है, वह पूरी जिंदगी किस परिस्थिति से गुजरती होगा, यह कल्पना करने से मन विचलित हो जाता है। हर किसी देश के नागरिकों की सरकार से सबसे पहली जरूरत सुरक्षा होती है और यदि वो ही न मिले तो जिंदगी जीने में नकारात्मकता आ जाती है। रेप जैसी घटनाओं को लेकर सरकार को बडेएक्शन आॅफ प्लान की जरूरत है अन्यथा मन कुंठित होता है और ऐसा लगता है कि क्या लड़कियों का पैदा होना ही अपराध है, क्योंकि इतना असुरक्षा के साथ कैसे भेड़ियों से बच्चियों को बचाएंगे? हम महिलाओं से संबंधित पुरानी प्रथाओं से नाखुश थे, लेकिन उस कालखंड में कम से कम रेप जैसी घटनाएं तो नहीं होती थीं। आज तो हम दिल व दिमाग से संपूर्ण रूप से संपन्न हैं इसलिए सरकार ने सख्त कानून तो बना दिए, लेकिन इनको अमल लाकर आरोपियों को तुरंत ऐसी सजा मिले जिससे रेप करने वाला कई बारे सोचे, तभी जाकर एक स्वच्छ देश का निर्माण हो पाएगा, अन्यथा लोग खुद फैसले पर उतर आए तो परिस्थितियां विपरीत हो जाएंगी।