नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में महाकुंभ के मेले को लोग उत्सव की तरह मनाते हैं। यह हिंदू धर्म में महाकुंभ के मेले का विशेष महत्व बताया गया है। वहीं, अब इस बार ये मेला अगले साल यानि साल 2025 में लगने जा रहा है। महाकुंभ का आयोजन 12 साल बाद होता है जहां पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ का आयोजन चार तीर्थ स्थानों पर ही किया जाता है। इसका आयोजन प्रयागराज के संगम , हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, और नासिक में गोदावरी नदी पर किया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान पवित्र नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष और पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं साल 2025 में कब से कब तक लगेगा महाकुंभ और कहां लगेगा महाकुंभ का मेला।
इस बार कहां लगेगा महाकुंभ?
साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाएगा। आपको बता दें महाकुंभ 12 साल में एक बार लगता है।
कब तक लगेगा महाकुंभ ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन महाकुंभ आरंभ होगा और महाशिवरात्रि के साथ ही यह समाप्त होगा। साल 2025 में महाकुंभ 13 जनवरी से आरंभ होगा और 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। यह महाकुंभ पूरे 45 दिन तक रहेगा।
शाही स्नान की तिथियां
13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा स्नान
14 जनवरी 2025- मकर संक्रांति स्नान
29 जनवरी 2025- मौनी अमावस्या स्नान
03 फरवरी 2025- बसंत पंचमी स्नान
12 फरवरी 2025- माघी पूर्णिमा स्नान
26 फरवरी 2025- महाशिवरात्रि स्नान
मेले के लिए कैसे होता है स्थान का चयन?
- महाकुंभ लगने का निर्णय देवताओं के गुरु बृहस्पति और ग्रहों के राज्य सूर्य की स्थिति के हिसाब से किया जाता है। आइए जानते हैं किस स्थान पर मेला लगेगा इसका निर्णय कैसे होता है।
- हरिद्वार- जब देवगुरु बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्यदेव मेष राशि में होते हैं तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
- उज्जैन- जब सूर्यदेव मेष राशि में और गुरु ग्रह सिंह राशि में होते हैं कुंभ मेले का आयोजन उज्जैन में किया जाता है।
- नासिक- जब गुरु गृह और सूर्य देव दोनों ही सिंह राशि में विराजमान रहते हैं तो महाकुंभ मेले का आयोजन स्थल नासिक होता है।
- प्रयागराज- जब गुरु ग्रह बृहस्पति वृषभ राशि में और ग्रहों के राजा मकर राशि में होते हैं तो महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है।