भारतीय मीडिया विशेषकर इलेक्ट्रानिक मीडिया इन दिनों जितने निम्नस्तर पर जाकर अपने दर्शकों को उकसा और वरगला कर उनमें धार्मिक उन्माद व नफरत पैदा कर रहा है वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। ऐसा लगता है कि पिछले दस वर्षों से मीडिया को देश में नफरत फैलाने और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की खुली छूट मिली हुई है। झूठी खबरें प्रसारित करना, टीवी एंकर्स द्वारा झूठे ट्वीट करना फिर अपने उसी ट्वीट को डिलीट कर देना, अपनी विचारधारा से मेल न खाने वाले टीवी वार्ता के पैनल्स के सदस्यों को अपमानित करना, उनके साथ गली गलौच करना और यदि वह मुसलमान है तो उसे सीधे तौर पर मुल्ले, कटुवे आतंकवादी, पाकिस्तानी, जिहादी आदि कुछ भी कहकर संबोधित करना बिल्कुल आम बात होती जा रही है। नफरती संस्कारों में परवरिश पाने वाले यह लोग अपने अपनी उम्र व अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि देखे बिना कभी किसी उच्चाधिकारी को अपमानित कर बैठते हैं तो कभी भारत के मुख्य न्यायाधीश तक के प्रति ऐसे अपशब्द अपने मुंह से निकालते हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के बहराइच में महराजगंज क्षेत्र में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में शामिल सैकड़ों लोग मुस्लिम बाहुल्य इलाके से डीजे पर तेज आवाज में कुछ आपत्तिजनक गाने बजाते हुए गुजर रहे थे। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने जुलूसों में डीजे के प्रयोग पर पाबंदी लगा रखी है। उसके बावजूद डीजे पर तेज आवाज में धर्म विशेष को अपमानित करने वाले गाने बजाये जा रहे थे। खबर है कि मुसलमानों की तरफ से कुछ लोगों ने डीजे बंद करवाने के लिए कहा, परंतु भीड़ ने डीजे तो बंद नहीं किया परंतु उग्र जरूर हो गई। इसके बाद मुसलमानों के घरों को निशाना बनाते हुए तोड़फोड़ व आगजनी शुरू हो गई। इसी बीच राम गोपाल मिश्रा नामक एक गरीब नव विवाहित युवक जो भंडारों में लंगर बनाने का काम करता है, वह आवेश में एक मुस्लिम व्यक्ति के घर की छत पर चढ़ गया। उसने छत पर इस्लामी प्रतीक के रूप में लगे झंडे को गिराने की कोशिश की जिससे झंडे के साथ ही छत की रेलिंग भी टूट गई। इसके बाद आक्रोशित मुसलमानों की तरफ से गोलीबारी हुई जिसमें राम गोपाल मिश्रा की गोलियां लगने से मौत हो गई।
डीजे पर तेज आवाज में आपत्तिजनक गाने बजना, राम गोपाल मिश्रा का आवेश में आकर किसी मुस्लिम व्यक्ति के घर की छत पर चढ़ना, इस्लामी प्रतीक झंडे को गिराना, हिंसा के लिए भीड़ को उकसाना आदि सब कुछ गैर कानूनी तो जरूर है, परंतु इनका जवाब गोलीबारी करना या किसी की हत्या कर देना हरगिज नहीं। यह हत्या भी उतनी ही निंदनीय है, जितना भीड़ द्वारा धर्म विशेष के लोगों को हिंसा के लिए उकसाया जाना। परंतु बहराइच की इस हिंसा के बाद जो नफरतपूर्ण भूमिका टीवी चैनल्स, इनके नफरती एंकर्स, यहां तक कि इस विषय पर आयोजित परिचर्चा में भाग लेने वाले पक्षपाती पैनल्स द्वारा अदा की गई, उसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वयं को मुख्यधारा का मीडिया बताने वाला यह नेटवर्क दरअसल देश में अमन शांति व सद्भाव का पैरोकार नहीं, बल्कि देश को नफरत व हिंसा की आग में झोंकने के लिए दिन रात एक किए हुए है। सबसे बड़ा नफरती खेल इस गैर जिम्मेदार मीडिया व सोशल मीडिया द्वारा राम गोपाल मिश्रा की मौत के बाद आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर खेला गया, जिससे जलती आग में और घी डाला जा सके और दंगों को पूरे प्रदेश व देश में फैलाया जा सके। विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि राम गोपाल के शरीर में कई छर्रे लगे, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हुआ जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गयी। परंतु मीडिया चीखता चिल्लाता रहा कि मृतक राम गोपाल पर तलवारों से हमला किया गया, उसके नाखून खींचे गए, उसे करंट लगाया गया उसकी लाश के साथ बर्बरता की गई आदि। इन अफवाहों के बाद बहराइच पुलिस को स्वयं सामने आना पड़ा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच्चाई को अपने एक्स हैंडल से जारी करते हुए अफवाहों से दूर रहने व भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित न करने की अपील करनी पड़ी।
एक टीवी चैनल पर इसी विषय पर आधारित एक परिचर्चा में उत्तर प्रदेश के पूर्व एडीजी पी विभूति नारायण राय जब अपने जीवन के लगभग चार दशक के आईपीएस के रूप में अपनी सेवा के अनुभव के अनुसार अपनी बात कह रहे थे उसी समय भाजपा का एक प्रवक्ता साफतौर पर यह कहता सुनाई दिया कि मैं धर्मनिरपेक्ष नहीं हूं, बल्कि मैं केवल हिंदू हूं। उसके बाद उसने विभूति नारायण राय के प्रति भी अपशब्दों का इस्तेमाल किया, जबकि वह प्रवक्ता शायद उम्र के मामले में राय साहब की उम्र से आधा भी नहीं होगा। स्वयं को सुप्रीम कोर्ट का वकील बताने वाला परिचर्चा का वही प्रतिभागी एक मुस्लिम राजनैतिक विश्लेषक को सरेआम मुल्ले, आतंकवादी कहकर व गंदी गालियां देकर बुला रहा था। अफवाह, सांप्रदायिक तनाव व सनसनी फैलाने की गोया इन एंकर्स व प्रवक्ताओं को पूरी ट्रेनिंग हासिल है। वैसे भी कई राजनैतिक विश्लेषकों का मत है कि चूंकि उत्तर प्रदेश में अगले कुछ दिनों में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, इसीलिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए ही कुंठाग्रस्त लोग अपने कटु विमर्श के द्वारा देश की फिजा खराब करने में जुटे हुए हैं।