डूब रहा है अपना अरमान
साहिल बनने की पहल कौन करे?
मरते रहे एक होने के लिए
एक होने की पहल कौन करे?
दुश्मन बने हैं एक-दूसरे के लिए,
अपनापन की पहल कौन करे?
घनघोर अंधेरी रात में
उजाले की पहल कौन करे?
धूल भरी है दिलों में नफरतों की
बनकर घटा प्यार की बारिश कौन करे?
चूमना है अब हमें आसमान को
अंदर की खामियां दूर कौन करे?
फूल लगाए ही नहीं उपवन में
फिर शूलों से शिकायत कौन करे?
खीचें पड़े हैं बेएतिबारी की लकीरें
बनकर एतबार लकीर मिटाने की अब पहल कौन करे?
भटक रहे हैं जीवन पथ से
सही राह लाने की पहल कौन करे?
छलकतें हैं अंबक से मोती प्रेयसी
बनकर प्यार की सिसकियां कौन भरे?
मन में उठ रहे जेठ के बवंडर को मिटाने की
बनकर सावन का रिमझिम बौछार कौन करे?
उन्माद है मिट जाए नफरतों की दूरियां
प्यार की सेतु बनने की पहल कौन करे?
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