हरियाणा के हिसार में लापता बेटी की खोज में परेशान एक पिता ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मिलने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस ने सीएम के पास जाने से रोका तो दंपती ने आत्मदाह करने का प्रयास किया। घटना उस समय हुई जब मुख्यमंत्री का काफिला हिसार दौरे पर था। पिता ने खुद पर पेट्रोल डालकर आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने उसे समय रहते रोक लिया। गीता कॉलोनी निवासी के अनुसार 29 सितंबर से उसकी 16 साल की बेटी लापता है। थाने में शिकायत देकर गुमशुदगी दर्ज करवा चुके हैं। उसने बताया कि वह गाड़ी चलाता है, बेटी नौवीं कक्षा तक पढ़ी है। बताया कि 29 सितंबर की सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर वह घर से निकली थी। लेकिन लगभग चार माह बाद भी बेटी नहीं मिली। सरकार के तमाम दावों के बावजूद भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध रुक नहीं रहे हैं। इसका एक मुख्य कारण इस मुद्दे को लेकर सभी राजनीतिक दलों में रुचि की कमी है।
भारत में बेटियों की सुरक्षा हमेशा से ही सबसे गंभीर मुद्दा रहा है। इसे लेकर कई कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन बावजूद इसके देश में लड़कियों के लापता होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार के अनुसार भारत में पिछले दो साल के बीच 15.13 लाख से ज्यादा लड़कियाँ और महिलाएं लापता हुर्इं हैं। अब ये महिलाएं कहां गर्इं, इनके साथ क्या हुआ, इसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता है। इन लापता लड़कियों में 18 साल से कम और उससे ज्यादा दोनों उम्र की महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर रोज 345 लड़कियां गायब हो जाती हैं। इनमें 170 लड़कियां किडनैप होती हैं, 172 लड़कियां लापता होती हैं और लगभग 3 लड़कियों की तस्करी कर दी जाती हैं। इनमें से कुछ लड़कियां तो मिल जाती हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लापता, किडनैप और तस्करी की गई लड़कियों का कुछ पता नहीं चलता। इस संख्या की गणना गुमशुदा महिलाओं और लड़कियों के सम्बंध में पुलिस स्टेशनों में दर्ज रिपोर्टों के आधार पर की है।
हालांकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि असल संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि कई परिवार सामाजिक कलंक समेत विभिन्न कारणों से लापता लड़कियों की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा महिलाएं मध्य प्रदेश से लापता हुर्इं हैं। एमपी के बाद लिस्ट में दूसरा स्थान बंगाल का है। इन राज्यों के अलावा राजधानी दिल्ली में भी लड़कियों और महिलाओं के गायब होने के कई मामले सामने आए हैं। आंकड़ों की मानें तो केंद्र शासित प्रदेशों में राजधानी दिल्ली इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट चौंकाने वाली है। जो लड़कियां गायब होती हैं, उनमें से अधिकतर का पता नहीं चल पाता कि उनके साथ क्या हुआ है? वे कहां गर्इं हैं? लापता होने के पीछे राज क्या है? 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली के निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े कई कठोर कानून बनाए गए, लेकिन सवाल ये है कि क्या कानूनों के बनाए जाने के बाद भी देश में महिलाओं की स्थितियां सुधरी हैं या महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में कोई कमी नजर आई है भारत में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कई कानून बनाए गए हैं।
देश में हो रहे यौन अपराध को रोकने के लिए पुराने कानूनों में संशोधन भी किया गया और उसे कठोर भी बनाया गया है। इसके अलावा देश में 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप की घटना में दोषी को मृत्युदंड सहित कई कठोर दंडात्मक प्रावधान भी तय किए गए हैं। देश भर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई पहल की हैं, जिसमें यौन अपराधों के खिलाफ प्रभावी रोकथाम के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 शामिल है। इसके अलावा, आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के दुष्कर्म के लिए मौत की सजा सहित और भी अधिक कठोर दंड प्रावधानों को-को निर्धारित करने के लिए अधिनियमित किया गया था। अधिनियम में बलात्कार के मामलों में दो महीने में जांच पूरी करने और आरोप पत्र दाखिल करने और अगले दो महीने में सुनवाई पूरी करने का भी आदेश दिया गया है। सरकार ने आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली शुरू की है, जो सभी आपात स्थितियों के लिए एक अखिल भारतीय, एकल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नंबर (112) आधारित प्रणाली प्रदान करती है, जिसमें संकटग्रस्त स्थान पर फील्ड संसाधनों को कंप्यूटर सहायता से भेजा जाता है।
स्मार्ट पुलिसिंग और सुरक्षा प्रबंधन में सहायता के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए, पहले चरण में आठ शहरों-अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई में सुरक्षित शहर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। फिर भी भारत में महिलाएं आज से 10 साल पहले भी यौन अपराधियों का शिकार बनती रही हैं और आज भी हालात कुछ बहुत ऐसे ही हैं। देश में छेड़छाड़, अपहरण और दुष्कर्म जैसे मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। सरकार के तमाम दावों के बावजूद भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध रुक नहीं रहे हैं। इसका एक मुख्य कारण इस मुद्दे को लेकर सभी राजनीतिक दलों में रुचि की कमी है। देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हर महिलाओं और लड़कियों को कुछ कानूनों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। इन कानूनों में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, महिला सुरक्षा कानून, पॉक्सो एक्ट कानून शामिल है।