- नौचंदी मेला आयोजन समिति की मीटिंग में स्थाई समाधान के दिये सुझाव
- स्थाई समाधान को लेकर कम खर्च पर बड़ी आमदनी का फार्मूला भी बताया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नौचंदी मेला समिति की जो मीटिंग बुधवार को निगम के सभागार में आयोजित हुई, उस मीटिंग में जहां एक तरफ सफल मेले के आयोजन को लेकर लोगों ने सुझाव दिये। वहीं सैकड़ों वर्षों से मेले का संचालन प्रतिवर्ष होता आ रहा है, लेकिन उस मेले के परिसर एवं भवन का स्थाई रखरखाव नहीं रखे जाने को लेकर भी उन्होंने अधिकारियों से नाराजगी जताई।
मीटिंग में उन्होंने कहा कि यदि अधिकारी चाहें तो कम खर्च पर बड़ी आमदनी का जरिया नौचंदी मेला परिसर निगम व जिला पंचायत के लिये बन सकता है। यदि वह उनके द्वारा दिये गये सुझाव पर गौर फरमायें। नहीं तो प्रतिवर्ष इसी तरह जनता की गाढ़ी कमाई का लाखों रुपये मेले के आयोजन के दौरान खर्च करते रहेंगे, लेकिन आगामी वर्ष में वह पैसा कहां लगाया गया था? वह न तो दिखाई देगा और न ही उसका कोई फायदा दिखाई देगा। वहीं, निगम व जिला पंचायत दोनों की संयुक्त उदासीनता के चलते नौचंदी परिसर की काफी भूमि पर अवैध निर्माण तक हो गया।
मीटिंग के दौरान पंडित संजय शर्मा, अंकुर गोयल आदि ने बताया कि प्रत्येक वर्ष नौचंदी मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें एक बार नगर निगम तो दूसरी बार जिला पंचायत मेले का आयोजन करती है। जिसमें निगम व जिला पंचायत एवं शासन की तरफ से अच्छे खासे बजट का प्रावधान मेले के सफल आयोजन के लिये किया जाता है। जिसमें यदि रंगाई-पुताई के कार्य के खर्चे को छोड़ दिया जाये तो अधितर बजट स्थाई निर्माण पर ही खर्च किया जाता है।
जिसमें दीवार की मरम्मत, टायल्स खडंÞजा निर्माण, तारकोल वाली सड़क एवं दीवारों की मरम्मत एवं विद्युत पोल आदि की व्यवस्था पर खर्च किया जाता। रंगाई-पुताई पर यदि मान लिया जाये तो तीन से चार लाख रुपये खर्च होगा। बाकी बजट तो स्थाई निर्माण पर ही खर्च होता है, लेकिन स्थाई निर्माण पर दीवार की मरम्मत एवं विद्युत पोल एवं टायल्स आदि पर प्रत्येक वर्ष कम से कम माने तो 30 से 40 लाख रुपये से अधिक का खर्च कर दिया जाता है।
वहीं, अगले वर्ष फिर इन्ही निर्माण कार्यों के लिये फिर से बजट पास कर धन खर्च किया जाता है। यदि उस परिसर की बाउंड्री पर गेट लगा दिया जाये और दो गार्ड नगर निगम या जिला पंचायत के द्वारा रख दिये जायें तो गेट परिसर एवं भवन का रखरखाव भी अच्छे से हो सकेगा, जो लोग बस, ट्रक आदि वाहन खडेÞ करके विद्युत पोल आदि तोड़ देते हैं। वह भी पोल व तार टूटने से बच जायेंगे और जो वाहन वहां खडेÞ होंगे।
उनसे कुछ शुल्क नगर निगम या जिला पंचायत लगा सकती है, जोकि एक आमदनी का जरिया भी बन सकती है, यानि नौचंदी परिसर को यदि स्थानीय वाहनों जो आज बेरोकटोक खड़े रहते हैं, यदि उनसे कुछ चार्ज ले लिया जाये तो उससे फायदा ही होगा, नुकसान नहीं होगा। वहीं जो परिसर 11 महीने रखरखाव के अभाव में पड़ा रहता है। जिसमें मेले के दौरान लाखों रुपये खर्च करने होते हैं।
उसमें कुछ बजट कम ही खर्च करना पडेÞगा। इस सुझाव पर अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार एवं ममता मालवीय ने आलाधिकारियों से विचार कर ही आगे संज्ञान लेने की बात कही। लोगों को यह कहते भी सुना गया कि इस अच्छे प्रस्ताव पर काम इस लिये संभव नहीं है कि प्रतिवर्ष बजट से जो सेटिंग के खेल में फायदा होता है। इस फार्मूले से निगम या जिला पंचायत को तो फायदा होगा, लेकिन उन्हे क्या होगा? जिसके चलते यह प्रस्ताव शायद अधर में ही लटक जाये।