एक समय था, जब नारी का वजूद घर की चारदीवारी में ही सीमित था और उसकी जिंदगी का अंतिम लक्ष्य विवाह था। पुरुष प्रधान समाज में उसका अस्तित्व कुछ नहीं था और पुरूष के बिना तो उसके जीवन व्यतीत करने की बात तक नहीं सोची जाती थी। जन्म से लेकर मृत्यु तक वह आश्रित ही रहती थी, पर आज हालात बिल्कुल विपरीत हैं।
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आज नारी का स्वयं का एक स्वतंत्र अस्तित्व है और इसी स्वतंत्र अस्तित्व ने आज ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि वह अपने जीवन के अंतिम लक्ष्य विवाह से विमुख हो रही है। आज अगर कोई लड़की बिना विवाह किए अकेली भी रहे तो उसे अचरज भरी निगाहों से नहीं देखा जाता।
कई बार तो हालात ऐसे होते हैं कि उन्हें अविवाहित रहना पड़ जाता है। परिवार की जिम्मेदारियां, पैसों का अभाव, आदि के कारण मजबूरीवश उसे वैवाहिक बंधन में बंधने का मौका नसीब नहीं होता पर आज सिर्फ परिस्थितियों वश नहीं बल्कि लड़कियां यह फैसला लेते हुए कोई डर महसूस नहीं कर रही कि वह विवाह नहीं करेंगी। उन्हें न अपनी वृद्धावस्था की चिंता, न समाज का डर, न भविष्य का डर है। इस बारे में जब हमने ऐसी कुछ लड़कियों से बात की तो उन्होंने अपने-अपने कारण बताए।
रीमा अपने माता-पिता की इकलौती लड़की हैं। संपन्न परिवार की इकलौती बेटी रीमा को सुख-सुविधा की हर वस्तु उपलब्ध है। आज उसका अपना एक लाइफ-स्टाइल है। वह एक मॉडलिंग कंपनी में कार्यरत है। डिस्को, पब, पार्टियां, देर रात घर लौटना उसके लाइफ स्टाइल का अंग हैं। वह 30 वर्ष की हो चुकी हैं, पर उसने यह निर्णय कर लिया है कि वह विवाह नहीं करेगी। कारण यह कि वह अपने लाइफ स्टाइल को बदल नहीं सकती। उसे अपना यह उन्मुक्त लाइफ स्टाइल विवाह से अधिक प्रिय है। यह है रीमा का विवाह न करने का कारण।
मालविका एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है। वह आर्थिक रूप से समर्थ हैं। वह समझती हैं कि विवाह के पश्चात जिम्मेदारियां पड़ने पर उसकी जिंदगी घर की चारदीवारी तक सीमित हो जाएगी। विवाह के बाद पति के सामने पत्नी की हैसियत एक नौकरानी से अधिक नहीं होती। उन्हें यह भी डर है कि हो सकता है शादी के बाद पति उसका काम करना न पसंद करे। 35 वर्ष की हो जाने पर भी वह जिम्मेदारियों से दूर भाग रही हैं।
विवाह के बारे में एक प्रसिद्ध माडल का कहना है, विवाह से बंध कर मैं अपने कैरियर को स्वाहा नहीं करना चाहती। इसके अतिरिक्त लड़कियां विवाह इसलिए भी नहीं करती क्योंकि उन्हें उनका मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिलता और इस तलाश में उनकी काफी उम्र निकल जाती है और फिर वे अविवाहित रहने का निर्णय ही ले लेती हैं। एक और कारण, हमारे पुरुष प्रधान समाज ने महिलाओं पर इतने अत्याचार किए हैं कि लड़कियां सास-ससुर से घृणा करने लगी हैं।
कई लड़कियां इतनी पढ़-लिख चुकी हैं कि उन्हें अपने योग्य वर नहीं मिलता और वे अपने से कम पढ़े-लिखे युवक से विवाह नहीं करना चाहती, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके विचारों का तालमेल नहीं बैठ पाएगा। कारण जो भी हो पर समाज के लिए यह हितकर नहीं।
विवाह जैसे पवित्र बंधन से विमुखता के कारण अविवाहित लड़कियों की गिनती तो बढ़ ही रही है, साथ ही समाज में कई कुरीतियां जन्म ले रही हैं। बिना विवाह किए लड़के-लड़की का साथ रहना इन्हीं में से एक है। दूसरा कारण समलैंगिकता में भी इजाफा हो रहा है।
आज सबसे अधिक जरूरत है लड़कियों के मन से विवाह के प्रति हुए डर को निकालने की और उन्हें अपनी तरह से जीने की स्वतंत्रता देने की। इसके अलावा लड़कियों को भी अपने विचारों में परिवर्तन लाना पड़ेगा। भले ही आज वे आर्थिक रुप से स्वतंत्र व स्वावलंबी हो गई हैं|
उन्हें किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं पर विवाह जैसे पवित्र व प्यारे बंधन की इन सब के लिए आहुति देना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं। विवाह एक सामाजिक आवश्यकता भी है और एक पवित्र व प्यारा बंधन भी।
सोनी मल्होत्रा