- ग्रीन वर्ज में ग्रीन एबेेंसी पर एमडीए इंजीनियर मौन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ग्रीन वर्ज में ग्रीन एबेंसी पर आखिर प्राधिकरण के इंजीनियर क्यों मेहरबान हैं? दो दिन पहले ग्रीन वर्ज में बागपत रोड पर अभियान एमडीए ने चलाया था, तब इंजीनियरों की टीम ने ग्रीन एबेंसी को छोड़कर बाकी पर बुलडोर चला, लेकिन इसे छोड़ दिया गया।
आखिर ग्रीन एबेंसी पर मेहरबानी की वजह क्या हैं? कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी स्पष्ट कर चुके है कि ग्रीन वर्ज में तमाम अवैध निर्माणों को गिराया जाए। क्योंकि एनजीटी की एक टीम तीन दिन के लिए मेरठ में रहने वाली हैं। टीम ग्रीन वर्ज में बने अवैध निर्माणों पर एमडीए इंजीनियरों ने क्या कार्रवाई की? इसका मौका मुआयना करेगी।
यह देखा जाएगा कि एमडीए ने कितने अवैध निर्माण ग्रीन वर्ज में गिराये हैं। अब ग्रीन वर्ज में कितने निर्माण बाकी हैं। इसको लेकर एनजीटी की टीम दौरा करेगी तथा तीन दिन रहने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी में दाखिल करेगी। इसके बाद ही तय होगा कि अवैध निर्माणों के लिए एमडीए इंजीनियरों को भी इसके लिए दोषी माना जाता है या फिर नहीं।
दरअसल, ग्रीन वर्ज में पिछले तो निर्माण बड़ी तादाद में है ही, साथ ही वर्तमान में भी अवैध निर्माण चल रहे हैं, जिनको एमडीए के इंजीनियर नहीं रोक पा रहे हैं। पुराने निर्माण यदि नहीं तोड़ पा रहे है तो कम से कम नये निर्माणों पर तो रोक लगाई जाए। आखिर इसमें कंजूसी क्यों की जा रही हैं? एनएच-58 पर सुभारती से ठीक आगे जैन शिकंजी नाम से रेस्टोरेंट खुल गया हैं।
इसका उद्घाटन भी हो गया है। इसको कौन गिरायेगा? ये पूरा ही ग्रीन वर्ज में बना हैं, लेकिन इसमें इंजीनियरों की तरफ से ध्वस्तीकरण के आदेश भी कर दिये, मगर इसके बावजूद गिराने के लिए एमडीए कदम नहीं बढ़ा रहा हैं। आखिर माजरा क्या हैं? इंजीनियर ने ध्वस्तीकरण करने के लिए फाइल आगे बढ़ा दी।
फोर्स नहीं मांगी जा रही हैं। यही नहीं, हाइवे पर दो दर्जन से ज्यादा ऐसे निर्माण है, जो ग्रीन वर्ज में बना दिये गए हैं। इनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हो पा रही हैं। यही वजह है कि अवैध निर्माणकर्ता का दुस्साहस बढ़ रहा है, जिसके चलते अवैध निर्माण किये जा रहे हैं।