- सरूरपुर खेडकी के इंटर कालेज में विरासत स्वराज यात्रा का पहुंचने पर किया गया स्वागत
जनवाणी संवाददाता |
बागपत: विरासत स्वराज यात्रा इंटरमीडिएट कालेज सरूरपुर खेड़की और योगीनाथ डिग्री कालेज सरूरपुर में पहुुंचने पर स्वागत किया। जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक छात्रों ने भारतीय संस्कृति को अपनाया जब तक भारत विश्व गुरू बना रहा, लेकिन अब अपनी संस्कृति को छोड़ दिया है, जिससे युवा संस्कारविहिन होता जा रहा है।
विरासत स्वराज यात्रा के अंतर्गत जल पुरूष राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज कल की शिक्षा लाभ के लिए है, जबकि भारतीय संस्कृति की विद्या शुभ के लिए होती थी। हमारा देश विश्वगुरु तब तक ही था जब तक हमारी विद्या में पंचमहा•ाूतों को सम्मान देना सिखाया। शिक्षा और विद्या में अंतर है। शिक्षा पन्नों पर उतरी गई सूचनाओं के आधार पर चलती है, जिससे मानव का व्यक्तिगत लाभ होता है और विद्या अनुभवों के आधार पर चलती है।
जिससे मानव शुभ की राह पर चलता है। मेरा देश जब तक पंचमहाभूतों को सम्मान देता रहा तब तक यह प्रकृति खुशहाल रही, मगर जब से मानव ने आधुनिक शिक्षा ग्रहण की तब से उसने प्रकृति से लाबज लेना प्रारंभ कर दिया है और ये ही कारण है कि आज देश में एक लाख करोड़ से ऊपर का जल का व्यापार है उस जल का जिसे हम जल देवता कहते थे।
आज नदियों के जल से अधिक उसके रेत और पत्थरों से प्यार है तथा आज भूमि से अधिक उसकी मिट्टी से प्यार है, क्योंकि वह लाभ देती है। अगर समाज पुन: प्रकृति को पुर्नजीवित करना चाहता है तो उसे वापिस विद्या की ओर जाना होगा और पंचमहाभूतों को फिर से वही सम्मान देना होगा और अगर ऐसे नहीं होता तो भविष्य समाज और व्यवस्थाओं को माफ नहीं करेगा।
इस अवसर पर गोष्ठी को संजय राणा, कृष्ण पाल डौला और देशवीर नैन, प्रधानाचार्य राजबीर सिंह और डाक्टर प्रवीन कुमार ने विचार रखे। इस मौके पर संजय राणा (निदेशक, एस्रो), सुभाष नैन, कोमल नैन, नरेश नैन, बालेश देवी, प्रवेश कुमार, अरविंद कुमार, अंग्रेज पाल, शिवकुमार शास्त्री आदि मौजूद रहे।