जनवाणी संवाददाता |
बिनौली: कोरोना महामारी से रक्षार्थ के लिए श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र बरनावा में चल रहे 41 दिवसीय अखंड शांतिनाथ विधान में गुरुवार को श्रद्धालुओ ने भक्तिभाव के साथ भगवान के समक्ष 120 श्रीफल समर्पित किये। विधान में पंडित प्रदीप, पीयूष शाश्त्री ने कहा कि वह जीव कभी नर्क और त्रियंच गति में उत्पन्न नहीं होता है। भूत प्रेत की बाधाएं उसके आसपास नहीं आ पाती है।
अल्पायु कम समय के लिए संसार सागर उसका नष्ट हो जाता है। सातिशय से पुण्य का अर्जन होकर चक्रवर्ती जैसे महान पदों को प्राप्त होता है। कामदेव से भी अधिक सुंदर रूप को प्राप्त होता है। उनकी मां 16 स्वप्न अपने अंतिम पहर के समापन में देखती है।
वह मां धन्य है जो तीर्थंकर जैसे महापुरुषों को धारण करते हैं जो शांतिनाथ विधान बरनावा अतिशय क्षेत्र की तपोभूमि पर मनोभावना लेकर आता है। उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती देखी गई है। रात्रि का घोर अंधकार सूर्य की पहली किरण आते ही नष्ट हो जाता है। ठीक उसी प्रकार शांतिनाथ भगवान की पूजा हमारे दोस्त अष्ट कर्मों का शीघ्र ही नष्ट कर देती है। विधान में निर्मला जैन ,राजीव जैन,ऋषभ जैन,रीना जैन,राघव जैन,बादामी देवी जैन,सरिता जैन, राजेन्द्र जैन,आदि रहे।