- आग लगने के बाद बड़ा हादसा होने से टल गया था
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ग्रांड-5 में लगी आग की जांच पूरी भी नहीं हुई कि जश्न शुरू हो गया है। पूर्णरूप से अवैध है। हाइवे की जमीन में मंडप की पार्किंग की जा रही है। इसके बावजूद संबंधित विभाग के अधिकारी मंडप संचालक पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। आखिर मंडप पर किसकी नजरें इनायत है। जिसके चलते जांच अधूरी है, फिर भी जश्न शुरू हो गया है। आखिर जिम्मेदार इसके लिए कौन है? कुछ दिन पहले भीषण आग लगी थी।
लोगों ने भागकर जान बचाई थी। तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सकता था। इतना बड़ा अग्निकांड हुआ और उस पर भी विभागीय अफसरों ने लीपापोती कर दी? यह विक्टोरियां पार्क जैसा ही अग्निकांड था, सिर्फ अंतर इतना था कि विक्टोरियां पार्क में बड़े स्तर पर लोगों की जान चली गई थी, लेकिन ग्रांड-5 में आग तो फैली, लेकिन जर्मन हैंगर आग पकड़ता इससे पहले ही आग पर काबू पा लिया गया था।
विक्टसोरियां पार्क में भी जर्मन हैंगर में ही आग लगी थी, जिसकी वजह से लोगों की जान गई। जर्मन हैंगर अस्थाई लगाया जाता हैं, लेकिन यहां तो स्थाई रूप से लगा दिया गया हैं। फिलहाल आग लगने के कारणों की जांच भी पूरी नहीं हुई, फिर विवाह समारोह करने की कैसे इजाजत दे दी गई?
आखिर फिर से आग लग गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जांच तो दूरी कार्रवाई भी कुछ नहीं की गई। कार्यक्रम शुरू हो गए। आखिर अग्निकांड जो हुआ था, उसके बाद जांच पूरी होने के बाद ही कार्यक्रमों के करने की अनुमति दी जानी चाहिए थी, लेकिन यहां तो फिर से मंडप सज गया है।
विवाह समारोह भी होने लगे हैं। यदि कुछ नहीं हुआ तो वह सिर्फ कार्रवाई? अग्निकांड की जांच परतापुर फायर स्टेशन आॅफिसर को सौंपी गई थी, लेकिन जांच पूरी भी नहीं हुई है और मंडप स्वामी ने कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। बड़ा सवाल यह है कि अग्निकांड की घटना विक्टोरिया पार्क में हुए बड़े हादसे की याद ताजा कर रही थी। फिर भी अग्निशमन अधिकारियों और प्रशासन ने सबक नहीं लिया, जिसके बाद ग्रांड-5 ने विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की यादें ताजा कर दी।
ग्रांड-5 में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन आग बड़ी लगी थी, जिसे समय रहते दमकल कर्मियों की टीम ने काबू में कर लिया था। यदि आग जर्मन हैंगर तक पहुंच गई होती तो बड़ी तबाही ग्रांड-5 में आग मचा सकती थी। इस बात को दमकल कर्मी भी मानते हैं, लेकिन आग बुझाने के यंत्र तक ग्रांड-5 में मौजूद ही नहीं थे। सिर्फ एक गेट खुला था। बाद में डिफेंस रेजीडेंसी में लोगों ने गेट खोल कर किसी तरह से भागकर जान बचाई थी।
बड़ा सवाल यह है कि जब अभी जांच पूरी नहीं हुई है तो फिर कार्यक्रम करने की मंडप में कैसे और किसने इजाजत दी? इसके लिए जवाबदेही किसकी बनती है। क्योंकि आग लगने के कारणों की जांच पड़ताल अभी पूरी नहीं हुई। ऐसे में मंडप फिर से आग लगी तो जवाबदेही किसकी होगी?
खनन अधिकारी को नहीं भेजी पुलिस ने रिपोर्ट
मेरठ: सिधावली के जंगल में एक सप्ताह पहले पुलिस ने मिट्टी खनन करते हुए चार वाहनों को जब्त कर लिया था। जब्त किये गए चारों वाहन योगी पुरम पुलिस चौकी पर खड़े हैं। अभी इसकी रिपोर्ट तैयार कर पुलिस ने प्रशासन और खनन अधिकारी को नहीं भेजी हैं। इस पर डीएम और खनन विभाग की तरफ से लाखों रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान भी हैं। अब इसकी रिपोर्ट शोभापुर (कंकरखेड़ा) थाने से आने का इंतजार किया जा रहा हैं।
बता दे, एक सप्ताह पहले किसानों ने सरकारी चकरोड़ से मिट्टी खनन करते हुए एक जेसीबी व डंपर के साथ दबोच लिया था। मौके पर पहुंची पुलिस ने खनन करने वाले आरोपियों को पकड़ लिया था। पुलिस ने एक जेसीबी मशीन और तीन डंपर जब्त कर लिये थे। जब्त की कार्रवाई तो पुलिस ने कर दी, लेकिन जुर्माना लगाने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई हैं।
दरअसल, इसकी रिपोर्ट पुलिस बनाकर डीएम और खनन विभाग को भेजती हैं, लेकिन अभी तक पुलिस ने इसकी रिपोर्ट तैयार करके नहीं भेजी। यही वजह है कि मिट्टी खनन करने वालों पर जुर्माना ही नहीं लगा हैं। इसमें एफआईआर भी नहीं हुई हैं। इसमें सेटिंग का खेल चल रहा हैं। मिट्टी से लदे डंपर पुलिस ने खाली करा दिये हैं। इसमें आगे कार्रवाई नहीं बढ़ रही हैं, जिसके चलते मिट्टी खनन माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं।