Sunday, January 26, 2025
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हत्यारा चाइनीज मांझा क्यों नहीं होता बैन?

Samvad

विश्व के सबसे बड़े बाजार के रूप में अपनी पहचान रखने वाले भारत में चीन जैसे पड़ोसी देश के अनगिनत उत्पाद पटे पड़े हैं। शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जिससे संबंधित सामग्री चीन निर्मित न कर रहा हो और भारत सहित पूरी दुनिया को उनकी आपूर्ति न कर रहा हो। छोटी से छोटी मामूली चीजों से लेकर बड़ी से बड़ी और भारी से भारी वस्तुएं चीन द्वारा निर्मित कर भारत भेजी जा रही हैं। इन्हीं चीन निर्मित सामग्रियों में कुछ सामग्री ऐसी भी हैं जिनका इस्तेमाल करना लोगों की जान से खिलवाड़ करने जैसा है। ऐसी ही मनोरंजन से जुड़ी एक सामग्री है चाईना मांझा। चाइनीज मांझे का प्रयोग पतंगबाजी में किया जाता है। और भारत पूरे विश्व में पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध है। वसंत पंचमी जैसे अनेक त्योहारों पर तथा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर और इसके अलावा छुट्टियों के दिनों में तमाम लोग अपने फुर्सत के लम्हे पतंगबाजी कर बिताना चाहते हैं। चीन जहां भारत को तरह तरह की रंग बिरंगी छोटी बड़ी पतंगें निर्यात करता है वहीं पतंग उड़ने में प्रयोग किया जाने वाला मांझा भी चीन से ही आता है।

पतंगबाजी में प्रयुक्त मांझा जो भारत में भी बनता है उसमें भी कुशाग्रता अथवा धार पैदा करने के लिए उसमें पिसे हुये कांच का पाउडर मिलाया जाता है। भारत में चाइनीज मांझे के आने की शुरुआत से पहले भी पतंग उड़ाने वाले मांझे में उलझकर अनेक लोग जख़्मी हो जाते थे। लेकिन आखिरकार वह भारतीय मांझा टूट जाया करता था। लेकिन जबसे भारतीय बाजार में चाइनीज मांझों ने अपनी दस्तक दी है तब से तो पतंगबाजी मनोरंजन से अधिक दहशत भरे व जानलेवा मनोरंजन के रूप में जाना जाने लगा है। हालत यह हो गई है कि शायद ही कोई दिन ऐसा होता हो जिस दिन देश के किसी न किसी कोने से चाइनीज मांझे के चलते होने वाले हादसों की खबरें न आती हों। दरअसल चाइनीज मांझे में प्रयुक्त धागा किसी ऐसी सामग्री का बना हुआ तेज धार वाला धागा है जो किसी व्यक्ति, वाहन पशु पक्षी से उलझने के बावजूद खिंचने पर आसानी से टूटता नहीं।

पिछले दिनों हद तो यह हो गयी कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन ही अकेले गुजरात में ही 6 लोग पतंगबाजी में मर गए। आश्चर्य तो यह कि स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मकर संक्रांति के अवसर पर उसी दिन गुजरात में ही स्थानीय लोगों के साथ पतंग उड़ाने का आनंद लिया। उन्होंने उत्तरायण पर्व (मकर संक्रांति) के अवसर पर शहर के मेमनगर इलाके में शांतिनिकेतन अपार्टमेंट की छत पर पतंग उड़ाई। पूरे देश में उसी दिन चाइनीज मांझे से अनेक लोगों की मौत हो गई। इसका तीखापन, धार व मजबूती ऐसी है कि आज के दौर में दुपहिया व चारपहिया वाहनों में इस्तेमाल होने वाले फाईबर या प्लास्टिक के बने बम्पर, लेग गॉर्ड अथवा अन्य एसेसरीज को भी यह काट देता है। जाहिर है, ऐसे में प्राणियों का बचने का सवाल ही नहीं है। उदाहरणार्थ गत दिनों लुधियाना में एक मोर के गले में यही प्लास्टिक टाइप चाइना मांझा फंस गया, जिससे उसकी मौत हो गई। समाचार यह भी है कि यह मांझा सुचालक होता है, जिसके कारण इसमें करेंट प्रवाहित हो जाता है। चाइनीज मांझे से करंट लगने से भी कई मौतें हो चुकी हैं। गले, कलाई और हाथों की नस कटना और अत्यधिक रक्त प्रवाह के चलते मौत होने की तो अनेकानेक घटनाएं घटित हो चुकी हैं।

पिछले दिनों अमृतसर व जालंधर में एक ही दिन में घटी दो अलग-अलग घटनाओं में 19 वर्षीय पवनदीप व 45 वर्षीय की मौत हो गई। इन दोनों की मौत चाइनीज मांझे से गले में सांस की नस कट जाने के कारण हुई। इस मामले में दोनों ही जगह पुलिस द्वारा कुछ अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध मुकददमा दर्ज किया गया है। सवाल यह है कि किस पर चलना चाहिए हत्या का मुकदमा? इस तरह के हादसों का जिम्मेदार कौन हो सकता है? ऐसी खतरनाक सामग्री बेचने वाला? इसे खरीद कर इस्तेमाल करने वाला? या फिर इसका निर्माण व आपूर्ति करने वाला? चाइनीज मांझे से कटकर जान गंवाने की खबरें दशकों से हमारे देश के अखबारों में सुर्खियों में रहती हैं। अब तो यह जानलेवा मांझा दुकानों के अलावा आॅन लाइन भी उपलब्ध है। लेकिन सरकार की तरफ से इस दिशा में कोई कदम उठाने का कोई समाचार नहीं है।

जनता को उसके हाल पर छोड़ने की यह कुछ ऐसी ही मिसाल है जैसे कि कहीं मेनहोल का ढक्कन खुला पड़ा है या सड़कों पर गड्ढे हैं तो उसके चलते होने वाले किसी भी हादसे या मौत की जिम्मेदारी सरकार की नहीं होती बल्कि मरने या घायल होने वाला ही अपनी गलती सहर्ष स्वीकार कर या तो यमराज के हमराह चला जाता है या अस्पतालों के चक्कर लगता रहता है और लाखों रुपए के चक्कर में पड़ जाता है। लेकिन सरकार को केवल अपने रोड टैक्स और कमेटी टैक्स से ही वास्ता है। हां, यदि आपसे टैक्स भरने में देर हो गई तो जुरमाना वसूलना जरूर सरकार का काम है। सड़कों, गड्ढे, मेनहोल आदि को दुरुस्त व सुचारु रखना हरगिज नहीं?

सरकार को चाहिए कि आम लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाली ऐसी जानलेवा सामग्रियों को तत्काल रूप से प्रतिबंधित करे। ऐसी सामग्रियों पर लगने वाले सीमा शुल्क अथवा जीएसटी से अधिक जरूरी है आम लोगों की जान सुरक्षित करना। पशु पक्षियों की जान बचाने की कोशिश करना तथा चाइनीज मांझे के चलते होने वाली दुर्घटनाओं को टालना। इसलिए सरकार को तत्काल प्रभाव से देश में चाइनीज मांझे के आयात को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। आश्चर्य है कि इतनी मौतों व दुर्घटनाओं के बावजूद अभी तक जानलेवा चाइनीज मांझा प्रतिबंधित क्यों नहीं हो रह है?

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