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शिक्षक दिवस 5 सितम्बर पर विशेष, संघर्ष से बड़ा नहीं कोई शिक्षक

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शिक्षक दिवस 5 सितम्बर पर विशेष, संघर्ष से बड़ा नहीं कोई शिक्षक


सिकंदर महान ने एक बार कहा था, ‘मैं खुद के जीवन के लिए अपने पिता के प्रति कृतज्ञ हूं और अच्छी तरह से जीने के लिए अपने शिक्षक के प्रति।’ आशय यह है कि किसी व्यक्ति के जीवन निर्माण में एक शिक्षक और प्रेरक की अतिमहत्वपूर्ण भूमिका होती है।

हमारे वेदों में कहा गया है, ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ जिसका सामान्य अर्थ होता है-मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो अर्थात एक शिक्षक का मुख्य कार्य विद्यार्थियों को सही राह पर ले चलना होता है। अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की तरफ दिशा दिखाना होता है। इस धरती पर ऐसे कई महापुरुषों का प्रादुर्भाव हुआ है, जिन्होंने अपने जीवन में बेशुमार कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों का धैर्य और साहस के साथ सामना करके अपने ज्ञान और कर्म से उपलब्धियों के ऐसे मीलस्तंभ और मुकाम स्थापित किए हैं जो भविष्य की पीढ़ियों को शाश्वत रूप से प्रेरित करती रहेंगी।

थॉमस अल्वा एडिसन

थॉमस अल्वा एडिसन संयुक्त राज्य अमेरिका के एक महान आविष्कारक और विचारक थे। उनके नाम से हजारों आविष्कार हैं जो उन्हें विश्व में ऐतिहासिक उपलब्धि प्रदान करती हैं। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने केवल तीन महीनों की स्कूली शिक्षा प्राप्त की थी? कहते हैं कि वे मंद बुद्धि के छात्र थे और इसके कारण स्कूल के हेडमास्टर ने उनके मां के नाम एक लैटर के साथ उसे यह कहते हुए स्कूल से वापस कर दिया था कि उनका बेटा फॉर्मल एजुकेशन के लिए फिट नहीं हैं। अत: बेहतर होगा कि आप अपने बेटे को अपने घर पर ही पढ़ाएं। किंतु एडिसन की मां बहुत ही साहसी थीं और इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाली थीं।

खुद एडिसन ने अपनी मां के अदम्य साहस और समर्पण के बारे में कहीं पर लिखा है, ‘ मैं आज जो कुछ हूं केवल अपनी मां के कारण हूं। मेरी मां एक सच्चे दिल की महिला थीं और और उसे मेरी प्रतिभा में इतना विश्वास था कि मैंने प्रण कर लिया कि मुझे अपनी मां के लिए जीना है और कम-से-कम मैं अपनी मां को निराश नहीं करूंगा।’

एडिसन को कम सुनाई देता था। वे अपनी मां की आर्थिक मदद के लिए अखबार बेचा करते थे। जीवन की कई गंभीर समस्याओं के बावजूद वो एक ऐसे महान वैज्ञानिक बनने में सफल हुए जिनके नाम से दुनिया में सबसे अधिक आविष्कार के पेटेंट राइट्स रजिस्टर्ड हैं।

ऐसा नहीं है कि उन्हें जीवन में बेशुमार ऐतिहासिक उपलब्धियां बिना किसी असफलता के मिल गयीं। कहा जाता है कि बिजली के बल्ब के आविष्कार की कोशिश में वे लगभग दस हजार बार असफल हुए। इन असफलताओं से संघर्ष करके वे सफलता के जिस मुकाम पर पहुंचे, उससे जुड़े उनका यह कथन आज भी लाखों असफल लोगों को सफल होने के लिए बार-बार कोशिश करने के लिए प्रेरित कर जाता है, ‘मैं असफल नहीं हुआ हूं। मैंने केवल इतना जाना है कि उन 10,000 तरीकों से बिजली का बल्ब नहीं बनाया जा सकता है।’

मार्क ट्वेन

संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वाधिक प्रसिद्ध लेखक और विदूषक मार्क ट्वेन जब महज 11 वर्ष के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। कहा जाता है कि मार्क ट्वेन ने अपने प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत एक प्रिंटर के जॉब से की थी। मार्क ट्वेन ने बहुत ऊंची शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। वे बहुत कम ही समय के लिए स्कूली शिक्षा प्राप्त कर पाए थे। किंतु वे काफी प्रतिभाशाली और जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। वे दिन भर के जॉब के बाद अपना अधिकांश समय लाइब्रेरी में बिताये करते थे। उनका संपूर्ण जीवन इस सत्य को उजागर करता है कि जीवन में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कठिन मेहनत और मजबूत इच्छा शक्ति के फलस्वरूप किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है।

स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स अमेरिका की प्रसिद्ध मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजिकल कंपनी एप्पल के सह संस्थापक थे। वे एक तीक्ष्ण बुद्धि के अत्यंत प्रतिभाशाली व्यक्ति थे क्या आपको इस बात पर आसानी से विश्वास होता है कि स्टीव जॉब्स कॉलेज की शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए थे? उन्होंने महज छह महीने की कॉलेज एजुकेशन प्राप्त की थी। अपनी प्रतिभा के दम पर उन्होंने कई तकनीकि डिवाइसों के रूप में आईपॉड, आईफोन, आईपैड का विकास किया जो आधुनिक जीवन के अभिन्न अंग के रूप में स्थापित हो चुके हैं।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

‘मिसाइल मैन’ से विख्यात और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का बचपन काफी गरीबी और कठिनाइयों में बीता। अपनी पढ़ाई के खर्च को पूरा करने के लिए वे अपने गृह शहर रामेश्वरम में अखबार बेचते थे। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्पेशलाइजेशन के साथ प्रसिद्धि प्राप्त महान वैज्ञानिक अपने बचपन में एक फाइटर पायलट बनना चाहते थे, किंतु उनका यह सपना साकार नहीं हो पाया, क्योंकि वे इंडियन एयर फोर्स के आठ स्लॉट्स में नौंवे स्थान पर आये थे। अपनी मजबूत इच्छा शक्ति और कठिन मेहनत के फलस्वरूप वे अंतरिक्ष विज्ञान में उस कीर्तिमान को स्थापित कर पाए जो सदियों तक आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।

हेनरी फोर्ड

हेनरी फोर्ड अपने समय के अमेरिका के मशहूर उद्योगपति और एंटरप्रेन्योर थे। वे एक उत्कृष्ट भविष्य द्रष्टा थे जो अपनी योग्यता के बल पर संयुक्त राज्य अमेरिका की एक बड़ी कार निर्माण कंपनी फोर्ड मोटर की स्थापना में सफल हो पाए। वे भी अपने जीवन में ऊंची शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए थे। उन्होंने महज 17 वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और अमेरिका के डेट्रॉइट सिटी में एक अपरेंटिस के रूप में नौकरी ज्वाइन कर ली थी। हेनरी फोर्ड का भी जीवन यही महत्वपूर्ण शिक्षा देता है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए यदि सच्चे मन से और पूरी लगन से कोशिश की जाए तो उच्च शिक्षा का अभाव और धन की कमी कभी भी कामयाबी के रास्ते में अड़चन नहीं बन सकती है।

अब्राहम लिंकन

संयुक्त राज्य अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति के रूप में अब्राहम लिंकन एक ऐसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व के रूप में प्रसिद्धि पाए जिन्होंने अपने जीवन में अनगिनत कष्टों का सामना किया और फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कहा जाता है कि अब्राहम लिंकन बचपन में काफी सुस्त थे और किसी काम को समय पर नहीं करते थे। उन्होंने अपने जीवन की पहली नौकरी किसी पुरानी किताबों के दुकान से शुरू की थी। कहते हैं कि उस दुकान पर एक दिन किसी वकील ने कानून की अपनी पुरानी किताबें बेच दी।

लिंकन ने वकील के द्वारा बेचे गये कानून की उन किताबों को काफी लगन से पढ़ा और अपने समय के प्रसिद्ध वकील बन गए। जीवन की कठिनतम परिस्थितियों का हिम्मतपूर्वक सामना करते हुए लिंकन अपने देश के राष्ट्रपति बनने में कामयाब हो पाए। लिंकन का जीवन और शीर्ष कामयाबी हमें यह सीखने के लिए प्रेरित करती है कि मुसीबतें हमारे संघर्ष करने की क्षमता को मजबूत करती है और यदि हम उन मुसीबतों से बिना घबराए हुए अपने लक्ष्य प्राप्ति की तरफ आगे बढ़ते जाएँ तो हमारी सफलता में कोई संदेह शेष नहीं रह जाता है।

अल्बर्ट आइंस्टीन

महान वैज्ञानिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और महान भौतिकविद अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रतिभा विश्व प्रसिद्ध है। उनके नाम से तीन सौ से भी अधिक रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हुए हैं। वे थ्योरी आॅफ रिलेटिविटी के माध्यम से अपनी लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचे। क्या आप जानते हैं कि अल्बर्ट आइंस्टीन एक हाईस्कूल ड्रॉपआउट थे? वे यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जामिनेशन में असफल रहे, लेकिन इस सच्चाई पर कि बीसवीं सदी का महान विद्वान और सुपर माइंड एक हाई स्कूल ड्रॉपआउट था, बड़ी मुश्किल से यकीन हो पाता है।

श्रीप्रकाश शर्मा