- मुंबई हादसे से सबक को तैयार नहीं अफसर और होर्डिंग्स ठेकेदार
- निगम अफसरों के संरक्षण में महानगर में पनप रहा अवैध होर्डिंग्स का जाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई के नाम पर नगर निगम अफसर अब तक 10 करोड़ का जुर्माना होर्डिंग्स ठेकेदारों पर ठोक चुके हैं, लेकिन रिकवरी एक पाई की नहीं की गयी है। जुर्माने की वसूली तो हो ही नहीं पा रही, होर्डिंग्स ठेकेदार नगर निगम के आदेशों को ठेंगा दिखाकर जहां चाहे, वहीं होर्डिंग्स व फ्लैक्स लगा रहे हैं। महानगर के होर्डिंग्स ठेकेदारों पर नगर निगम प्रशासन 10 करोड़ का जुर्माना बीते करीब एक दशक में लगा चुका है, लेकिन जुर्माना करने वाले निगम के अफसर वसूली करने का साहस जुटा नहीं पा रहे हैं।
10 करोड़ के जुर्माने की जानकारी देने वाले अफसरों से जब वसूली को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बगले झांकनी शुरू कर दी। अवैध होर्डिंग्स लगाने वाले ठेकेदार व कई ठेकेदार निगम अफसरों की मिलीभगत से केवल सूबे की योगी सरकार को ही चूना ही लगा रहे, बल्कि तमाम सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए अवैध होर्डिंग्स लगाकर हादसों को भी दावत दे रहे हैं। मुंबई के घाटकोपर इलाके में बीते माह हुए होर्डिंग्स हादसे के बाद शासन ने पूरे प्रदेश में अवैध रूप से लगे यूनिपोल और होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश सभी निकायों को दिए हैं।
अवैध व मानकों के विपरीत लगाए गए होर्डिंग्स मामले में शासन के निर्देशों को लेकर निगम अफसर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10 साल में किसी भी ठेकेदार से अवैध होर्डिंग्स या यूनिपोल में जुर्माना नहीं वसूला गया। अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल पर सीधे कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि चार विज्ञापन एजेंसियों पर 52.80 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है।
इनमें मैसर्स अभिनव एडवरटाइजिंग एजेंसी पर 13.80 लाख, मैसर्स ओशियन एडवरटाइजिंग सोल्यूशन पर 9.60 लाख, मैसर्स हीरा एडवरटाइजिंग पर 21.00 लाख रुपये और मैसर्स आरएस एटरप्राइजिज पर 8.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। नगर निगम 10 साल में 10 करोड़ रुपये से भी ज्यादा जुर्माना लगाना बताकर होर्डिंग्स ठेकेदार को नोटिस जारी कर चुका है। अभी तक एक रुपये भी निगम किसी से वसूल नहीं पाया।
शहर से लेकर देहात तक फैला अवैध धंधा
शहर से देहात तक होर्डिंग्स ठेकेदार का खुलेआम लूट का धंधा चल रहा है। अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल लगाकर सरकार को करोड़ों का नुकसान कराने में नगर निगम भी जिम्मेदार है। दरअसल, चौतरफा किरकिरी होने पर निगम ने फिर पहले की तरह जुर्माना नोटिस भेजकर खानापूर्ति करके होर्डिंग्स ठेकेदारों को खुली छूट दे दी है। जितने होर्डिंग्स तय हैं, उससे कई गुना होर्डिंग्स अवैध रूप से लगाए गए हैं। ऐसा नहीं कि कार्रवाई की हिम्मत ही नहीं जुटायी जाती। सूत्रों का कहना है कि जब अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, अफसरों के पास फोन आने शुरू हो जाते हैं, उसके बाद जिस टीम को कार्रवाई को भेजा जाता है, उसको अफसर वापस बुला लेते हैं।
ठेकेदारों के खिलाफ जारी होगी आरसी
अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया जारी है। नोटिस भेजे गए हैं। यदि इसके बाद भी रिकवरी नहीं हुई तो फिर जिन पर जुर्माना किया गया है, उन्हें नोटिस भेजा जाएगा।