Sunday, June 29, 2025
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कोचिंग सेंटर के नाम पर 500 गैस चेंबर

  • हादसे के बाद शहर के 70 कोचिंग सेंटर संचालकों को उच्च शिक्षा अधिकारी ने भेजा नोटिस

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर में कोचिंग सेंटरों के नाम पर 500 गैस चेंबर चल रहे हैं। तमाम कोचिंग सेंटर अवैध रूप से कॉम्प्लेक्सों, बेसमेंटों व कुछ तो पुराने मकानों के कबूतरों के दड़बेनुमा कमरों में चल रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर आईएएस की तैयारी कर रहे तीन अभ्यार्थियों की दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में मौत की घटना के बाद लगता है कि अधिकारियों की नींद टूटी है। उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने ऐसे करीब सत्तर बताए गए कोचिंग सेंटरों को नोटिस जारी किया है। वहीं, दूसरी ओर गैस चैंबर बने कोचिंग सेंटरों को लेकर संचालकों और उन्हें मिली खुली छूट के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को हाईकोट में घसीटने की तैयारी है।

आरटीआई एक्टिविस्टम मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि वह एक जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं। उन्होंने तमाम साक्ष्य व जानकारी आरटीआई की मार्फत जुटा ली हैं। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सभी कोचिंग सेंटर संचालकों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। एक जानकारी के मुताबिक शहर में 500 कोचिंग अवैध भवनों में बगैर किसी रजिस्ट्रेशन को कराए संचालित किए जा रहे हैं। कोचिंग सेंटर कराने के लिए केवल रजिस्ट्रेशन कराना ही जरूरी नहीं होता है बल्कि तीन साल इसका नवीनीकरण भी जरूरी होता है। इसके संचालक के लिए फायर एनओसी भी लेनी जरूरी है।

हालांकि सीएफओ संतोष राय ने बताया कि अभी किसी भी कोचिंग संचालक की फायर एनओसी का आवेदन उनके यहां नहीं है। यूं तो पूरे शहर में ही अवैध कोचिंग सेंटरों का जाल फैला है, लेकिन मनोज चौधरी बताते हैं कि मुख्य रूप से पीएल शर्मा रोड, नेहरू रोड, तिलक रोड, सिटी सेंटर, बच्चापार्क के अलावा तमाम आवासीय सोसाइटी व शहर के पुराने इलाकों में घरों में भी अवैध कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं।

पुलिस कस्टडी में भी सुरक्षित नहीं सीज की गयी गाड़ियां

मेरठ: पुलिस कस्टडी में यदि सीज वाहन सुरक्षित नहीं, उनका सामान चोरी हो जाएगा तो फिर ऐसे वाहनों की सुरक्षा की उम्मीद कहां की जा सकती है। ऐसा ही एक मामला थाना देहलीगेट से जुड़ा सामने आया है, जिसमें सीज किए गए वाहन का सामान पुलिस के यार्ड से चोरी हो गया। पीड़ित अदालत में जा पहुंचा। अदालत में फजीहत के बाद अब देहलीगेट पुलिस ने गाड़ी से जितना सामान गायब था वो सब लगवाकर दिया, लेकिन देहलीगेट पुलिस की मुसीबत अभी खत्म नहीं हुई है।

पीड़ित का कहना है कि जो इंजन था, उसका नंबर खुरचा हुआ है। जो इंजन लगा है वह भी बदल गया लगता है।
यह पूरा मामला रेलवे रोड थाना के मकबरा डिग्गी निवासी नदीम से जुड़ा है, जिसका आॅटो निक्की चलाता था। गत 21 दिसंबर, 2022 को निक्की एक जगह टेंपो खड़ा कर खाना खाने चला गया। बताया गया है कि देहलीगेट थाने की पुलिस आयी और पास ही खड़े दूसरे टेंपो की मदद से निक्की के टेंपो को खींचकर थाने ले गये। थाने ले जाकर दोनों टेंपो को पुलिस ने सीज कर दिया।

दूसरे टेंपो के मालिक कासिम के पिता जब थाने पहुंचे तो कांस्टेबल ने उनके साथ मारपीट कर दी। पुलिस ने दोनों टेंपो को चोरी दिखाकर तीनों पिता पुत्र पर मुकदमा दर्ज कर दिया। यहां से टेंपो परतापुर यार्ड पहुंच गए। कासिम ने कुछ महीने बाद ही टेंपो कोर्ट से रिलीज कराया लेकिन उसका सामान चोरी मिला। नदीम ने अपना टेंपो 12 फरवरी, 2024 को कोर्ट से रिलीज करा लिया। वह आदेश लेकर थाने पहुंचा तो ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ने बिना यार्ड ले जाए, वहीं पर रिसीविंग के कागज साइन करा लिए।

नदीम पर यार्ड पहुंचा तो देखा कि टेंपो का सारा सामान चोरी हो चुका है। उसने न्यायालय में शिकायत की। न्यायालय ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए देहलीगेट पुलिस को फटकार लगाई, जिसके बाद मंगलवार को देहलीगेट पुलिस ने टेंपो तैयार कराकर कोर्ट के समक्ष ही पीड़ित नदीम को सौंप दिया। नदीम का कहना है कि पुराने पार्ट्स लगाकर टेंपो दिया गया है। उसमें भी इंजन नंबर मिटा दिया गया है। नदीम का आरोप है कि इसमें बड़ा झोल है, लेकिन मामले की जांच तक वह चुप नहीं बैठने वाला।

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