Saturday, January 11, 2025
- Advertisement -

आज होगी होलिका दहन, जानिए- क्या करें और क्या न करें ?

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: प्रेम, भाईचारा, सदभाव और रंगों का त्योहार होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। होली के त्योहार के आरंभ से पूर्व होलिका दहन का विधान किया जाता है जो अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारे सभी धर्मग्रंथों में होलिका दहन में मुहूर्त का विशेष ध्यान रखने की बात कही गई है।

नारद पुराण के अनुसार अग्नि प्रज्ज्वलन फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रा रहित प्रदोषकाल में सर्वोत्तम माना गया है। वैसे तो होलिका दहन पर लोग अलग-अलग उपाय करते हैं परंतु इस खास दिन पर कुछ कार्य ऐसे हैं जिनको करने से सुख-समृद्धि आती है वहीं कुछ काम करना अशुभ माना गया है। आइए जानते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन क्या करें और क्या न करें।

ज्योतिष मान्यता है कि होली के दिन फटे, मैले, काले, नीले कपडे़ पहनने से व्यक्ति की शारीरिक क्षमता व सकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। ऐसे कपडे़ हमारे तन-मन को शिथिल बनाकर कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। साथ ही गंदे और फटे वस्त्र दुर्भाग्य लेकर आते हैं, घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता हैं। वहीं होलिका दहन के दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहता है इसलिए सफेद रंग के वस्त्र धारण करना भी अशुभ होता है। इस दिन शुभ रंगों के वस्त्र पहनें।

मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए किसी भी नवविवाहिता को ये अग्नि नहीं देखनी चाहिए,इसे अशुभ माना गया है। इससे उनके दांपत्य जीवन में दिक्कतें शुरू हो सकती हैं।

अक्सर देखा गया है कि बहुत से लोग होलिका दहन के लिए हरे पेड़ों की टहनियां तोड़ लेते है,ऐसा करना किसी भी दृष्टि से शुभ नहीं है। मान्यता है कि इस दिन होलिका दहन के लिए पीपल,बरगद या आम की लकड़ियों का प्रयोग न करें। इस मौसम में इन वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं, ऐसे में इन्हें जलाने से नकारात्मकता फैलती है। होलिका दहन के लिए गूलर, नीम या अरंड के पेड़ की सूखी लकड़ी या गोबर के कंडों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्रीकृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा कर इनको गुलाल लगाने से जीवन में प्रेम बना रहता है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से होलिका दहन के विधानों में आग जलाना,अग्नि परिक्रमा, नाचना, गाना आदि शामिल किए गए है। अग्नि की ताप जहां रोगाणुओं को नष्ट करती है, वहीं खेल-कूद की अन्य गतिविधियां शरीर में जड़ता नहीं आने देतीं इससे कफदोष दूर हो जाता है, शरीर की ऊर्जा और स्फूर्ति कायम रहती है एवं शरीर स्वस्थ्य रहता है।

होली के दिन होलिका दहन से पूर्व अग्निदेव की पूजा का विधान है। अग्निदेव पंचतत्वों में प्रमुख माने जाते हैं जो सभी जीवात्माओं के शरीर में अग्नितत्व के रूप में विराजमान रहते हुए जीवन भर उनकी रक्षा करते हैं।

होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ नया अन्न यानि गेहूं,जौ एवं चना की हरी बालियों को लेकर पवित्र अग्नि में समर्पित करना चाहिए ऐसा करने से घर में शुभता का आगमन होता है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

HMPV: अब असम में भी पाया गया है एचएमपीवी पॉजिटिव,10 महीने का बच्चा हुआ संक्रमित

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

करिश्मा तन्ना की ‘बेबी जॉन’ ने किया निराश

राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘संजू’ (2018) में रनबीर कपूर...

अनुपमा की नई ‘राही’ होंगी अद्रिजा रॉय

टीवी का सबसे पॉपुलर रह चुका रुपाली गांगुली का...
spot_imgspot_img