- पहले पौधों का पता नहीं, वन विभाग को फिर से मिला नया टारगेट
- वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार पांच साल में लगाए गए एक करोड़ 15 लाख 30 हजार पौधे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोई भी मेरठ को देखकर क्या यह कह सकता है कि वन विभाग ने पिछले पांच सालों में एक करोड़ 15 लाख 30 हजार पौधे लगाए हैं? ऐसे में अगर 50 फीसदी पौधे भी पनप गए होते तो शहर व जनपद हरा-भरा हो गया होता। 80 लाख पौधे लगने से ही मेरठ हरा-भरा हो जाता, मगर अफसोस ऐसा नहीं है। रैपिड, हाइवे और अन्य बड़े निर्माणों के कारण सड़के सुनी हो गई है और वन विभाग के आंकड़े मुंह चिढ़ा रहे हैं।
ऊपर से वन विभाग को शासन स्तर पर इस वर्ष फिर से 32 लाख 58 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि वन विभाग ने इस टारगेट को सभी सरकारी विभागों को आवंटित कर दिया हैं, लेकिन अन्य सरकारी विभागों में भी पौधों के जीवित रहने का अनुपात 10 फीसदी भी नहीं है। ऐसे में कागजों में दिखाए जाने वाले आंकड़े हकीकत की दुनिया से कोसो दूर है।
लगातार पेड़ कट रहे हैं, जंगल घट रहा है। जिसकी वजह से जीवन पर संकट मंडराने लगा है। इसकी मुख्य वजह दिन प्रतिदिन पेड़ों की संख्या का कम होना है। इससे पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। हर साल शासन के आदेशानुसार जुलाई से सितंबर माह के बीच वन महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान वन विभाग की ओर से लाखों में पौधे लगाए जाते हैं। वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले पांच सालों में एक करोड़ से अधिक पौधे रोपे जा चुके हैं।
जिसमें विभाग दावा कर रहा है कि 80 फीसदी पौधे सुरक्षित है। जबकि हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। सूत्रों की माने तो 40 फीसदी पौधे भी उनमें से शेष नहीं बचे हैं। इन पौधों में यदि 50 फीसदी का भी सही से रखरखाव किया जाता तो आज जिले की हवा इतनी खराब नहीं होती और मेरठ भी हरा भरा होता। वहीं, इस संबंध में डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि पौधों की मॉनिटरिंग के लिए उनकी जियो ट्रैकिंग की जाती है। जिसका सत्यापन समय-समय पर सभी विभाग करते है। पौधों का रखरखाव पूरे साल किया जा सके इसका प्रयास किया जा रहा है।
इस वर्ष का लक्ष्य
वन विभाग 7.90 लाख, ग्राम्य विकास विभाग 13.09, राजस्व विभाग 1.47 लाख, पंचायती राज 1.47 लाख, कृषि विभाग 2.51 लाख, उद्यान विभाग 1.63 लाख, नगर विकास को 0.99 लाख पौधों का लक्ष्य आवंटित किया गया है।
इस वर्ष मिला है 32 लाख का टारगेट
मेरठ को हरा भरा रखने और प्रदूषण रहित बनाने के लिए वन विभाग को हर साल की तरह इस साल भी शासन की ओर से 32 लाख 58 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है। जिसको लेकर विभाग की ओर से तैयारी भी शुरू कर दी है। रविवार को वन विभाग मुखिया ममता दुबे ने मेरठ वन विभाग का दौरा भी किया। मगर गौर करने वाली बात ये है कि गत वर्ष लगाए गए 29 लाख पौधों में से करीब 70 प्रतिशत पौधे लापरवाही की भेंट चढ़ गए हैं। मात्र 30 प्रतिशत पौधे ही हवा को शुद्ध करने का काम कर रहे हैं।
सात फीसदी वन क्षेत्र
पौधरोपण के लिए इस साल वन विभाग के पास केवल सात फीसदी भूमि है। जबकि 93 फीसदी भूमि निजी है। राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33 फीसदी भू-भाग पर वन क्षेत्र होना आदर्श मानक है। ऐसे में साल दर साल बढ़ रहा पौधरोपण महज खानापूर्ति साबित हो रहा है।
नहीं बढ़ रही हरियाली
नगर निगम द्वारा गत वर्ष 84,960 पौधे लगाए गए थे, लेकिन शहर की ग्रीन बेल्ट और पार्कों में लगाए गए अधिकतर पौधे सूख गए या फिर पशु खा गए। वहीं आवास विकास द्वारा जागृति विहार एक्सटेंशन में 7,920 पौधों का रोपण किया गया था। जिसमें से आज की तारीख में 30 प्रतिशत पौधे भी नहीं बचे हैं। कुछ ऐसा ही हाल शिक्षा विभाग, रोडवेज और रेलवे का भी है पानी न मिलने के कारण यह पौधे सूख जाते हैं।
मेरठ में वन क्षेत्र
- 2559 वर्ग किमी कुल भूभाग
- 30 वर्ग किमी अति घना वन क्षेत्र
- 34 वर्ग किमी मध्य घना वन क्षेत्र
- 34.4 वर्ग किमी खुला वन क्षेत्र
- 68.4 वर्ग किमी कुल वन क्षेत्र
- 2.66 फीसदी कुल क्षेत्रफल पर वन
पिछले पांच साल में पौधरोपण के आंकड़े
साल 2022 32.58 लाख
साल 2021 29.24 लाख
साल 2020 24.66 लाख
साल 2019 19.32 लाख
साल 2018 9.50 लाख