- समय सीमा हुई समाप्त, फिर भी चल रहे हैं खटारा वाहन
- सालों से नहीं हुई फिटनेस, इंश्योरेंस भी नहीं
- आरटीओ भी नहीं कर रहा कार्रवाई, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनसीआर में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों के संचालन पर रोक हैं, लेकिन खुलेआम ऐसे वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। यहां नियम कायदों की बात करें तो यह नियम कायदे सिर्फ आम आदमी के लिये बने दिखाई पड़ते हैं, लेकिन सरकारी विभागों में इन नियमों को खूब धज्जियां उड़ार्इं जा रही है।
शहर में कई सरकारी विभागों में समय सीमा समाप्त होने के बाद भी वाहनों का संचालन हो रहा है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। सबसे बड़ी लापरवाही तो नगर निगम की ओर की जा रही है। नगर निगम की ओर से सैंकड़ों की संख्या में जर्जर और अनफिट वाहनों से कूड़ा ढ़ोया जाता है जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है, लेकिन इन पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। न ही ट्रैफिक विभाग और न ही आरटीओ की ओर से कोई कार्रवाई की जाती है।
ट्रैफिक पुलिस के नियम और कायदे केवल आम आदमी पर चलते हैं, लेकिन जिन वाहनों पर न नंबर प्लेट है और न ही उनकी फिटनेस संबंधी प्रमाण पत्र है। वह शहर में सैकड़ों की संख्या में घूम रहे हैं और पुलिस कुछ नहीं कर रही है। जी हां! हम बात कर रहे हैं नगर निगम के कूड़ा उठाने वाले वाहनों की जिनकी हालत देख कर लगता है कि वह एक दिन भी सड़क पर न चले, लेकिन नियमों का उल्लंघन कर उन्हें सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है।
जिससे आम पब्लिक की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। नगर निगम लाख दावे करें विकास के, लेकिन विभाग शहर में तो क्या विकास करेगा। वह अभी अपने विभाग को ही ठीक नहीं कर पाया है। नगर निगम सीमा क्षेत्र में शहर में 90 वार्ड हैं और इन वार्डों से कूड़ा उठाने के लिये प्रत्येक वार्ड में नगर निगम की ओर से वाहनों को लगाया है, लेकिन इन वाहनों की हालत अगर आप देख लें तो कह सकते हैं कि इनसे कब बड़ा हादसा हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता उसके बावजूद इन पर लगाम नहीं लगी है।
न फिटनेस, न इंश्योरेंस, हो सकता है हादसा
नगर निगम में सभी वार्डों से कूड़ा उठाकर डंपिंग जोन में डाला जाता है। जिन वाहनों से कूड़ा ले जाया जा रहा है। उनकी हालत जर्जर स्थिति में है। इन वाहनों पर न तो नंबर प्लेट लगी है और न ही इन वाहनों के पास कोई फिटनेस प्रमाण पत्र है। उसके बावजूद यह वाहन सड़कों पर घूम रहे हैं और न ही पुलिस और न ही आरटीओ से इनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है।
वाहनों में कूड़ा इस कदर ओवरलोड कर लिया जाता है कि वह कूड़ा सड़कों पर गिरता जाता है, लेकिन इसके बावजूद इनमें कूड़ा भरा जाता है और ले जाया जाता है। अब इससे कोई हादसा हो या न हो इसे कोई देखने वाला नहीं है। इन वाहनों की फिटनेस की बात की जाये तो ओवरलोड होने के बाद यह चलने की स्थिति में नहीं रहते, उसके बावजूद ड्राइवर इन्हें तेज गति से भगाते हैं और पुलिस आंखें बंद कर खड़ी रहती है। इससे आये दिन कोई न कोई हादस होता रहता है, लेकिन कोई नहीं रोकता।
आम लोगों पर कार्रवाई, नगर निगम पर नहीं
बात फिटनेस की की जाये तो ट्रैफिक पुलिस आम आदमी के वाहन को पकड़कर उसका चालान करती है। नंबर प्लेट न होने पर उनका चालान काटा जाता है, लेकिन नगर निगम के यह वाहन लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। कहा जाये तो अपनों पर करम गैरों पर सितम वाली कहावत यहां सिद्ध होती है। यानि पुलिस विभाग भी नगर निगम पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जबकि इन वाहनों से हादसे हो रहे हैं।
समय सीमा समाप्त होने के बाद भी चल रहे वाहन
मेरठ एनसीआर क्षेत्र में आता है और यहां नियम है कि 10 साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का संचालन नहीं होगा, लेकिन यहां सरकारी विभागों में खेल चल रहा है। यहां नगर निगम में ही सैकड़ों की संख्या में ऐसे वाहन है। जिनकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
जिन ट्रैक्ट्रर-ट्रॉलियों और डंपरों व गाड़ियों से कूड़ा डंपिंग ग्राउंड तक ले जाया जा रहा है। उन वाहनों की हालत पूरी तरह से खस्ता हालत में है। उनकी समय सीमा समाप्त हुए भी बरसों हो चुके हैं। उसके बावजूद वह वाहन खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं। जिन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो कौन जिम्मेदार होगा?