- पंजाब और गुजरात पुलिस कई बार विवि में आकर करा चुकी है सत्यापन
- हर साल 40 से 50 फर्जी डिग्रियां आती है सत्यापन को
- कई राज्यों में चल रहा बड़ा जाल, जो बांट रहा फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां
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जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: यह किसी भी विवि के लिए गंभीर विषय है कि जालसाज लोग विवि का नाम लेकर पैसा कमाने में लगे हुए है। जी हां! हम बात कर रहे हैं चौधरी चरण सिंह विवि की जहां आजकल विवि के नाम का इस्तेमाल कर लोग फर्जीवाडा करने में लगे हुए हैं। हाल में विवि में एक बड़ा मामला सामने आया। जिसमें गुजरात पुलिस विवि परिसर पहुंची और फर्जी डिग्री का सत्यापन कराया।
हालांकि इससे पहले भी पंजाब और बिहार पुलिस की ओर से फर्जी डिग्रियों का सत्यापन कराया जा चुका है। ऐसे में फर्जी डिग्री के नेटवर्क का खुलासा धीरे-धीरे हो रहा है। बता दें सीसीएसयू के नाम पर फर्जी डिग्री व मार्कशीट का खेल इन दिनों चर्चा में हैं। विवि में विभिन्न राज्यों की पुलिस लगातार संपर्क कर रही है।
बताया जा रहा है कि फर्जी डिग्री के मामले को लेकर यहां कुछ पुलिस भी दबे पांव आकर जांच करवा रही है। सत्यापन के बाद ही सामने आ रहा है कि ये डिग्री व मार्कशीट वास्तव में फर्जी है। यह खेल यूपी नहीं अन्य राज्यों में किया जा रहा है। जिसमें सीसीएसयू के नाम से फर्जी डॉक्यूमेंट 40 से 50 हजार रुपये तक बेचे जा रहे हैं।
600 से अधिक है फर्जी डिग्री के मामले
गुजरात, बिहार व पश्चिमी बंगाल और अरुणाचल में मार्कशीट का खेल चल रहा है। इन राज्यों से विवि में जांच के लिए सर्वाधिक मार्कशीट पहुंच रही है। इस साल जनवरी से लेकर अभी तक विवि में इन राज्यों की 600 से अधिक मार्कशीट फर्जी निकल चुकी हैं।
हाल ही में गुजरात में पकड़ी गई विवि के नाम की मार्कशीट विपुल भाई, अमृत भाई पटेल हाइटेक कम्प्यूटर, अरुणजी कम्प्यूटर कोचिंग सेंटर, वंदना श्यामलकेतु बरुआ ट्योटोरियल एजुकेशन और सोशल नेटवर्क हेल्प एंड समर एंड कम्प्यूटर सेंटर की हैं, यह भी पता लग गया है। इन सेंटरों पर गुजरात पुलिस व बिहार पुलिस ने 132 मार्कशीट पकड़ी हैं। पश्चिमी बंगाल के छात्र खुद सीसीएसयू के नाम पर ली गई मार्कशीट का सत्यापन करा रहे हैं, इनकी रिपोर्ट विवि में जांचने के बाद सामने आई है।
विवि पहुंची थी पुलिस
सूत्रों के मुताबिक विवि परिसर में हाल ही में मार्कशीट सत्यापन रिपोर्ट लेने के लिए गुजरात व बिहार की पुलिस पहुंची थी। पुलिस ने प्रमाण पत्र की रिपोर्ट विवि से प्राप्त की। पश्चिमी बंगाल से भी पुलिस की टीम विवि के संपर्क में है, जल्द ही पश्चिमी बंगाल की पुलिस की टीम भी विवि आएगी इसका अंदाजा लगाया जा रहा है।
फैला रखा है जाल
विवि के नाम पर फर्जी मार्कशीट देने और छात्र-छात्राओं को पास कराने का यह खेल बिहार, गुजरात, पश्चिमी बंगाल जैसे राज्यों में चल रहा है। छात्र-छात्राओं को दी गई मार्कशीट पर गलत ढंग से सत्यापन कराने के लिए एनसीआर में नेटवर्क भी सक्रिय है। यह नेटवर्क इन राज्यों से आ रही मार्कशीट का विवि में आकर सत्यापन का काम कराता है।
हाल में ही विवि रजिस्ट्रार एवं विजिलेंस अधिकारी के नाम पर फर्जी सत्यापन रिपोर्ट बनाकर एंबेसी भेजी गई, लेकिन पता गलत होने से यह विवि में वापस पहुंच गई। जांच के बाद पता चला कि यह रिपोर्ट गलत ढंग से तैयार की गई थी। एनसीआर में काम कर रही एजेंसी भी छात्र-छात्राओं से सत्यापन के लिए सीधे संपर्क कर रही है।