Wednesday, August 13, 2025
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सरकारी भूमि पर नहीं लगेगी बकरा पैंठ

  • प्रशासन को पुराने कमेले के आसपास प्राइवेट जगह की तलाश

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ईद-उल-अजहा से पूर्व शहर में हापुड़ रोड पर हर साल लगने वाली जानवरों की पैंठ अब नहीं लगेगी। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि शासनादेश के अनुसार किसी भी सरकारी भूमि पर कोई पैंठ नहीं लगाई जाएगी। इस शासनादेश के बाद अब हापुड़ रोड पर ही किसी बड़ी प्राईवेट जगह की तलाश शुरु हो गई है।

इस संबध में शनिवार को हापुड़ रोड तिरंगा गेट के पास शाही महल में पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने मुस्लिम समाज के लोगों के साथ बैठक की जिसमें इस मुद्दे को प्रमुखता के साथ उठाया। बैठक में एडीएम सिटी, एसपी सिटी, सीओ सिटी व उप नगर आयुक्त के साथ कई थानों के प्रभारी भी मौजूद थे।

बैठक में नायाब शहर काजी जैनुल राशेदीन, मिल्ली काउंसिल के शहर अध्यक्ष कारी शफीकुर्रहमान कासमी, हापुड़ रोड स्थित मदरसा जामिया मदनिया के मोहतमिम कारी अफ्फान कासमी व जमीयत उलेमा ए हिन्द के कोषाध्यक्षा शीराज रहमान सहित मुस्लिम समाज से जुड़े अन्य लोग मौजूद थे। बैठक में विभिन्न लोगों ने प्रशासन के समक्ष जानवरों की पैंठ का मुद्दा प्रमुखता से उठाया।

इस पर अधिकारियों ने साफ किया कि शासन के आदेशों के अनुरूप सरकारी भूमि पर कोेई भी पैंठ नहीं लगाई जा सकती। इसके बाद कारी शफीकुर्रहमान कासमी व नायाब शहर काजी ने इस बात पर जोर दिया कि पैंठ शहर के अन्दर लगाने की ही इजाजत दी जाए क्योंकि पैंठ यदि शहर से बाहर किसी दूर स्थान पर लगेगी

तो इससे जानवरों को शहर तक लाने में परेशानी होगी और असमाजिक तत्वों द्वारा बीच रास्ते में जानवरों की गाड़ी को रोकने का डर भी रहेगा। इस पर कुछ लोगों ने प्रशासन के सामने प्रस्ताव रखा कि जानवरों की पैंठ के लिए वो हापुड़ रोड पर उनकी जमीन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

बैठक में तय हुआ कि पहले पुराने कमेले के आस पास कोई बड़ी जगह चिन्ह्ति कर ली जाए और उसके बाद प्रशासन उसका मौैका मुआयना कर ले। प्रशासन यदि संबधित स्थान से सहमत हुआ तो उसी पर पैंठ लगाने की इजाजत दे दी जाएगी।

वायरल मैसेज का भी लिया संज्ञान

बैठक के दौरान पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि कुर्बानी को लेकर सोशल मीडिया पर जो मैसेज वायरल हो रहा है वो पूरी तरह से फेक है। एडीएम सिटी व एसपी सिटी ने लोगों को भरोसा दिलाया कि बकरीद के अवसर पर कोई नई परम्परा शुरु नहीं होगी और जानवरों की कुर्बानी की जो व्यवस्था पूर्व की भांति हुआ करती थी वो ऐसे ही रहेगी।

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