- व्यापारियों के बीच भ्रांति दूर करने को विशेषज्ञों के संदेश वाट्सऐप पर किए शेयर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में की गई सिफारिशों के अनुसरण में जीएसटी दर से संबंधित परिवर्तन सोमवार से लागू हो गए हैं। ब्रांडेड में प्री-पैकेज्ड और लेबल वाले खाद्यान्न विशेष रूप से चावल, दाल, आटा, अनाज आदि के संबंध में बदलाव को लेकर दिन भर व्यापारियों के बीच भ्रांति दूर करने के लिए जारी किए गए विशेषज्ञों के संदेश वाट्सऐप पर शेयर किए जाते रहे। इसके साथ महंगाई का पारा भी पांच प्रतिशत चढ़ने के लिए रफ्तार पकड़ने लगा है।
कई दिन से खाद्यान्न पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने के सरकार के निर्णय की खबरें व्यापारी वर्ग के बीच तैर रही थी। हालांकि इसके लिए अधीकृत रूप से अधिसूचना रविवार को जारी की गई। जिसका गहन अध्ययन करने के उपरांत कर विशेषज्ञों ने व्यापारियों के लिए इसे आसान भाषा में समझाने के लिए सरकुलेट किया गया।
दिन भर सोशल मीडिया के जरिये शेयर किए जाने वाले इस संदेश में बताया गया कि 18 जुलाई, 2022 से पहले, जीएसटी निर्दिष्ट वस्तुओं पर लागू होता था, जब उन्हें एक यूनिट कंटेनर में रखा जाता था और एक पंजीकृत ब्रांड नाम होता था। या जिस ब्रांड का नाम होता था। जिसके संबंध में कानून की अदालत में एक कार्रवाई योग्य दावा या लागू करने योग्य अधिकार होता है। इस प्रावधान में बदलाव करके जीएसटी कर के दायरे में लाया गया है
कानूनी माप विज्ञान अधिनियम के प्रावधानों को आकर्षित करने वाली ऐसी प्री-पैकेज्ड और लेबल वस्तुओं जैसे दालें, अनाज, चावल, गेहूं और आटा (आटा) आदि पर पहले पांच प्रतिशत की दर से तभी जीएसटी लगता था जब ब्रांडेड और यूनिट कंटेनर में पैक किया जाता था। लेकिन सोमवार से प्रीपैकेज और लेबल होने पर जीएसटी लगेगा। इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य वस्तुएं जैसे दही, लस्सी, फूला हुआ चावल आदि पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू कर दिया गया है। इसमें सबसे खास यह रही कि 25 किलोग्राम के पैकेट तक जीएसटी लागू रहेगी।
जबकि इससे अधिक भार वाले पैक की आपूर्ति को जीएसटी से छूट दी जाएगी। हालांकि, 50 किलोग्राम (एक व्यक्तिगत पैकेज में) युक्त चावल के पैकेज को जीएसटी लेवी के उद्देश्यों के लिए प्री-पैकेज्ड और लेबल वाली वस्तु नहीं माना जाएगा। भले ही लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 के नियम 24 में कहा गया हो। ऐसे थोक पैकेज पर कुछ घोषणाएं की जाएंगी।
वहीं औद्योगिक उपभोक्ता या संस्थागत उपभोक्ता द्वारा उपभोग के लिए पैकेज्ड कमोडिटी को लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 के अध्याय- के नियम 3 (सी) के आधार पर लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया है। इसलिए, यदि ऐसे में आपूर्ति की जाती है उक्त नियम 3 (सी) के तहत प्रदान किए गए बहिष्करण को आकर्षित करने के तरीके के रूप में, इसे पूर्व-पैक नहीं माना जाएगा।
बहरहाल जीएसटी को लेकर जारी की गई इस तकनीकी भाषा का सार यही है कि 25 किग्रा से अधिक भार वाले पैकेट को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इससे यही कयास लगाए जा रहे हैं कि अब कंपनियां छोटे पैकेट के बजाय 25 किग्रा से अधिक भार वाले पैकेट उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में जुट जाएंगी। जिन्हें खुदरा दुकानों पर अनपैक्ड करके एक-दो किग्रा के ग्राहकों को बेचा जा सकेगा। हालांकि इससे बढ़ने वाली संभावित पांच प्रतिशत महंगाई पर अंकुश लग सकेगा, इसकी उम्मीद कम ही जताई जा रही है।