Saturday, December 21, 2024
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सामूहिक गुरुवाणी कीर्तन उच्चारण, कार्यक्रम में गूंजे वाहे गुरु वाहे के जयकारे

  • गुरुओं के उपदेशों एवं गुरुवाणी के संदेशों को आत्मसात करने का किया आह्वान

जनवाणी संवाददाता |

धामपुर: गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में आयोजित सामूहिक गुरबाणी कीर्तन उच्चारण कार्यक्रम में प्रस्तुत किए गए गुरु वाणी शब्दों से कार्यक्रम स्थल गुरुवाणी मय बना रहा। इस मौके पर माता सुंदरी दल के जत्थेदार ज्ञानी जसवीर सिंह खालसा ने गुरमुख परिवारों का आह्वान किया कि वह गुरुओं के उपदेशों एवं गुरुवाणी के संदेशों को आत्मसात करते हुए उनको जीवन में स्थान दिलाने का संकल्प लें।

गुरुद्वारा के दीवान हाल में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत गुरु महाराज के वजीर ज्ञानी रघुवीर सिंह ने रहि रास साहिब जी के पाठ से की। कार्यक्रम में माता सुंदरी दल के जत्थेदार ज्ञानी जसवीर सिंह खालसा ने दल से संबंधित गुरु घर के अमृतधारी सेवकों एवं सेविकाओं के सहयोग से गुरुवाणी कीर्तन की विभिन्न प्रस्तुतियां दी और न केवल स्वय वाहेगुरु वाहेगुरु का उच्चारण किया, बल्कि उपस्थित गुरमुख परिवारोंं से भी वाहेगुरु का उच्चारण कराया।

उन्होंने कहा कि जो भी सांसारिक प्राणी अपना अधिकांश समय वाहेगुरु के सिमरन एवं भक्ति में व्यतीत करता है, उस पर न केवल वाहेगुरु की अपार कृपा ही बनी रहती है। उन्होंने कहा कि वह सांसारिक प्राणी बहुत ही खुशनसीब होता है, जिन्हे वाहे गुरु के चरणों में हाजिरी भरने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

उन्होंने गुरमुख परिवारों से गुरु घर में  नियमित रूप से हाजिरी भरने तथा अपने बच्चों को गुरु घर में दस्तार सजा कर भेजने का आहवान किया। उन्होंने बताया कि माता सुंदरी दल का मुख्य उद्देश्य गुरमुख परिवारों के बच्चों को गुरुवाणी कीर्तन उच्चारण के माध्यम से गुरुघर से जोड़ना है, ताकि वह गुरुओं के इतिहास गुरुवाणी विचार पंजाबी भाषा आदि के प्रति जागरूक रहते हुए अपने दायित्वों का संस्कृति व संस्कारों के अनुरूप निर्वहन कर सके।

कार्यक्रम में गुरुद्वारा की प्रबंध समिति के अध्यक्ष सरदार सतवंत सिंह सलूजा व सचिव सरदार अमरजीत सिंह सिडाना ने माता सुंदरी दल के जत्थेदार ज्ञानी जसवीर सिंह खालसा तथा उनके जत्थे के सहयोगियों द्वारा अपनी स्थापना से लेकर वर्तमान तक के लगभग 27 वर्षों से निस्वार्थ रूप से गुरु घर की जा रही सेवाओं की सराहना करते हुए पूरे जत्थे को वाहे गुरु के चरणों से चढ़दी कला में बनाए रखने की अरदास भी की।

गुरु घर में आगामी 17 अक्टूबर को आयोजित किए जाने वाले संगराद कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुवार से गुरु घर के सेवकों सरदार मनमोहन सिंह मोगा, सरदार तरजीत सिंह मोगा एवं सरदार जगजीत सिंह मोगा के परिवारों की ओर से अपने पिता स्वर्गीय सरदार बूटा सिंह मोगा की पावन स्मृति में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के तीन दिवसीय अखंड पाठ से करा दिया गया है। उत्तराखंड पाठ आगामी 17 अक्टूबर तक नियमित रूप से चलेगा।

कार्यक्रम में गुरुद्वारा की प्रबंध समिति के सचिव सरदार अमरजीत सिंह सिडाना ने बताया कि आगामी 23 अक्टूबर को गुरु घर में ब्रह्म ज्ञानी बाबा बूडढा जी का जन्म दिवस बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस संबंध में आगामी 21 अक्टूबर को गुरुद्वारा के दीवान हाल में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का तीन दिवसीय अखंड पाठ भी प्रारंभ हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस अखंड पाठ की विशेषता यह रहेगी कि पाठ करने वाले सभी पाठी एवं गुरु महाराज के वजीर ज्ञानी रघुवीर सिंह जी भी इस अखंड पाठ को ध्वनि रूप में मुख से उच्चारित करते हुए संगत को सुनाएंगे ताकि पूरी संगत इस अखंड पाठ को सुन सके और अखंड पाठ आयोजित करने संबंधी उद्देश्यों व लक्ष्यों की भी पूर्ति हो सके सचिव सरदार अमरजीत सिंह सिडाना ने 21 अक्टूबर से प्रारंभ होने वाले अखंड पाठ में गुरमुख परिवारों से बारी बारी के साथ गुरु घर में हाजिरी भर कर भाग लेने तथा पाठ को श्रद्धा पूर्वक सुनते हुए वाहे गुरु की कृपा पात्रता ग्रहण करने का भी आह्वान किया है गुरु घर में संपादित हुए सामूहिक गुरुवाणी कीर्तन उच्चारण कार्यक्रम का समापन माता सुंदरी दल की ओर से आयोजित प्रसाद वितरण कार्यक्रम के साथ किया गया इस दौरान कार्यक्रम स्थल गुरमुख परिवारों द्वारा उच्चारित किए जा रहे जयकारो बोले सो निहाल सत श्री अकाल तथा वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह से गुंजायमान रहा।

कार्यक्रम की सफलता में गुरुद्वारा की प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष सरदार रविंद्र सिंह सिडाना, सह सचिव सरदार त्रिलोचन सिंह चावला, एसपी सलूजा सतपाल सिंह चावला, गुलशन राय छाबड़ा, जसप्रीत सिंह चावला, बलजीत सिंह गांधी जोगा, देवेंद्र सिंह सलूजा, वेद प्रकाश जुनेजा, जसविंदर सिंह कालड़ा, हरपाल सिंह चावला, डा. अमरजीत सिंह चावला, गुरुचरण सिंह चावला, राजेंद्र सिंह चावला, कुलदीप सिंह मोगा, सुरेंद्र सिंह मोगा, डा. गुरमीत सिंह जुनेजा आदि अनेक गुरमुख परिवारों का योगदान रहा।

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