- भ्रष्टाचार की चेकिंग में मशगूल रहती है शहर की ट्रैफिक पुलिस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भ्रष्टाचार और शहर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था को कौन सुधरेगा? यह बड़ा सवाल है। ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने में जिन पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगी है, वह भ्रष्टाचार में संलिप्त रहते हैं। ‘जनवाणी’ फोटो जर्नलिस्ट ने शहर के कई स्थानों पर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की तस्वीर को कैमरे में कैद कर लिया, जहां पर ट्रैफिक नाम मात्र के लिए रहता है, लेकिन वहां पर ट्रैफिक पुलिस का भ्रष्टाचार का खेल चलता हुआ मिला।
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ड्यूटी कहीं अन्यंत्र लगी होती हैं और चेकिंग के नाम पर वसूली किसी दूसरे स्थान पर की जाती हैं। जहां पर ट्रैफिक होता ही नहीं, वहां पर ड्यूटी क्यों लगी है? यह भी बड़ा सवाल हैं। जब ट्रैफिक नहीं है तो फिर वहां ड्यूटी क्यों लगाई गई? यह भी विचारणीय प्रश्न हैं। आखिर उन स्थानों पर जब वाहनों का ट्रैफिक नहीं है तो फिर पुलिस कर्मियों की तैनाती क्योंकि की गई है?
यहां से एकांत में वाहन गुजरते हैं तो पुलिस कर्मियों को यहां वाहन रोककर भ्रष्टाचार करने का मौका मिल जाता हैं, जिसके बाद किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। यही वजह है कि ड्यूटी कहीं दूसरी जगह होती है और पुलिसकर्मीअन्ययंत्र वसूली करते रहते हैं। भ्रष्टाचार में संलिप्त पुलिस कर्मियों की विजिलेंस जांच आज तक पुलिस के आला अफसर नहीं पाये। यह हाल उस मेरठ सिटी का है, जहां पर एडीजी, आईजी और एसएसपी बैठते हैं, मगर ट्रैफिक पुलिस कर्मी बेलगाम हैं।
किसी तरह का उन्हें भय नहीं हैं, जिसके चलते वाहनों की चेकिंग के नाम पर भ्रष्टाचार बढ़ रहा हैं। आखिर ट्रैफिक पुलिस कर्मी जिम्मेदारी का निर्वहन क्यों नहीं कर रहे हैं? यह तो जांच का विषय है। माल रोड पर वैसे ही वाहनों की स्पीड कम रहती है। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस वहां पर स्पीड रडार सिस्टम लगाकर जांच करती हुई देखी जा सकती है। यातायात व्यवस्था एक तरह से बेपटरी हैं।
इसकी चिंता पुलिस कर्मियों को नहीं है। ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की जिम्मेदारी है कि शहर के ट्रैफिक को संभाले, लोगों को जाम से मुक्ति दे, लेकिन वो मोबाइल में व्यस्त रहते हैं या फिर वसूली में। मोबाइल पर लगे हुए आमतौर पर देखा जा सकता है। इसकी तस्वीर ‘जनवाणी’ फोटो जर्नलिस्ट ने कैमरे में भी कैद भी की है। एक जगह नहीं, बल्कि जगह जगह पर पुलिसकर्मी मोबाइल को ही देखते रहते हंै।
ट्रैफिक में क्या हो रहा है जाम है या पब्लिक परेशान हैं। उनको इससे कोई लेना देना नहीं है। यही नहीं, होमगार्ड को चौराहे पर ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में पुलिसकर्मी लगा देते हैं। पूरा दिन होमगार्ड ही ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगे रहते हैं। पुलिसकर्मी मोबाइल में व्यस्त होते हैं या फिर वसूली में।
पिछले दिनों कैंट भाजपा विधायक अमित अग्रवाल ने भी गैर राज्यों के वाहनों को रोककर चेकिंग करना, फिर डराकर उनसे वसूली का मामला पकड़ा था। कैंट विधायक ने इसकी शिकायत भी की थी। कैंट विधायक का कहना है कि रोहटा बाइपास, बागपत बाइपास, सरधना बाइपास ऐसी एंट्री हैं, जहां पर वाहनों को रोककर भ्रष्टाचार हो रहा हैं।
इस भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पा रहा हैं। ट्रैफिक पुलिस की करतूत से भाजपा सरकार की छवि धूमिल हो रही हैं। इस बात को भाजपा नेता भी स्वीकार करते हैं, मगर इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस की वसूली पर अंकुश नहीं लग पा रहा हैं।