Friday, December 27, 2024
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जलभराव और गंदगी का दंश झेल रहा नौचंदी मैदान

  • सीवर लाइन में अवरोध और अतिक्रमण करता है जलनिकासी को बाधित
  • नगर निगम तिरंगा गेट के अंदर डंपिग यार्ड बनाकर कर रही भावनाओं से खिलवाड़

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: उत्तर भारत के मशहूर नौचंदी मेले से मन्सूब नौचंदी मैदान और इसके आसपास की बस्तियों में जलभराव और गंदगी का साम्राज्य स्थापित है। नगर निगम के वार्ड-67 में नौचंदी मैदान के अलावा कई बस्तियों में रहने वाले नागरिक इसी तरह सीवर लाइन के अवरोध और अतिक्रमण के चलते जलनिकासी सुचारू न होने के कारण लंबे समय से परेशानी का सामना करने के लिए विवश हैं।

शहर का नौचंदी मेला अपनी सांस्कृतिक विरासत को लंबे समय से संजोये हुए हैं, और उत्तर भारत के प्रमुख मेलों में इसका शुमार होता है। करीब एक महीना नौचंदी मेला चलने के दौरान भले ही इस क्षेत्र पर नगर निगम की ओर से साफ-सफाई और अन्य सुविधाओं पर ध्यान दिया जाता हो, लेकिन बाकी के 11 महीने नौचंदी मैदान की दुर्दशा इस क्षेत्र में रहने वाले और गाहे-बगाहे इधर से गुजरने वालों पर भारी पड़ती है।

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नौचंदी मैदान के प्रमुख प्रवेश द्वार में हापुड़ रोड की ओर से तिरंगा गेट बनाया गया है। इस तिरंगे गेट को देखकर जहां राष्ट्रीय ध्वज के प्रतीक को देखकर श्रद्धा के भाव जागृत होते हैं, वहीं इसके आसपास मौजूद गंदगी को देखकर नगर निगम के अधिकारियों के प्रति उतनी ही तेजी के साथ आक्रोश भी पैदा हो जाता है। दरअसल नगर निगम ने तिरंगा गेट के भीतर ही रोड पर डंपिंग यार्ड बनाया हुआ है। जहां आसपास के क्षेत्रों से लाकर कूड़ा डाल दिया जाता है।

यह कूड़ा न केवल पूरे मार्ग पर फैला रहता है, बल्कि बरसात के दौरान आने-जाने वालों के लिए भारी मुसीबत का कारण बन जाता है। तिरंगा गेट से होकर नौचंदी मैदान में प्रवेश करने वालों को इस कूड़े और यहां फैली गंदगी के कारण जहां सामान्य दिनों में नाक पर कपड़ा रखने के लिए मजबूर होना पड़ता है, वहीं बरसात के दिनों में दूसरे रास्तों का प्रयोग करने के लिए भी विवश होना पड़ता है।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यहां डंपिंग मार्ग बनाने वाले नगर निगम के अधिकारियों को तिरंगा गेट की गरिमा तक का ख्याल नहीं रह गया है। तिरंगा गेट को देखकर जहां उनके मन में राष्ट्रीयता की भावना जागृत होती है, वहीं यहां गंदगी और जलभराव देखकर नगर निगम के प्रति आक्रोश भी पैदा हो जाता है।

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शंभूदास गेट भी हापुड़ अड्डे के निकट ही है। इस गेट पर जहां गहरे गहरे गड्ढों में सामान्य दिनों में पानी और गंदगी देखी जा सकती है, वहीं बारिश हो जाने पर पूरा इलाका तालाब का रूप ले लेता है। इस इलाके से जलनिकासी का कोई समाधान नगर निगम आज तक नहीं कर पाई है। शंभूदास गेट से नौचंदी मैदान के भीतर जाने वालों को जगह-जगह टूटी सड़क, जलभराव और कीचड़युक्त रास्ते से रूबरू होना पड़ता है।

बारिश होने के बाद यहां की चिकनी मिट्टी में बनने वाले कीचड़ के दौरान दोपहिया वाहन चालकों के फिसलकर गिरने की घटना आए दिन होती रहती हैं। इसके अलावा नौचंदी मैदान में महात्मा गांधी समेत अनेक महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित हैं, लेकिन इनके आसपास जमा पानी और कीचड़ के चलते समूचा नौचंदी मैदान साफ-सफाई और जलनिकासी को तरसता दिखाई देता है।

शंभुदास गेट से लेकर तिरंगा गेट तक अतिक्रमण के कारण जलनिकासी बाधित हो रही है। माधोनगर में बिना बरसात ही जगह-जगह जलभराव के हालात बने रहते हैं। इसका कारण यह है कि यहां की नालियों को सीवर लाइन से जोड़ा गया है, जो अकसर चोक होती रहती हैं। इनकी नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था नगर निगम की ओर से नहीं की जा सकी है।

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हालांकि नगर निगम की ओर से दो पम्प जरूर लगाए गए हैं, लेकिन यह आए दिन खराब पड़े रहते हैं। प्रीत विहार के हालात भी कमोबेश ऐसे ही हैं। नौचंदी मैदान में दूसरे वार्डों का कूड़ा लाकर डाला जा रहा है।
-राकेश शर्मा, पार्षद वार्ड-67, नगर निगम मेरठ

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