- कोरोना को लेकर अग्रवाल मंडी टटीरी के सर्वोदय स्कूल को बनाया था अस्थायी कोविड सेंटर
- स्कूल खुलने पर मरीज नहीं होने पर प्रबंधन ने लगा दिया था ताला, देर शाम अधिकारियों ने तोड़ा ताला
मुख्य संवाददाता |
बागपत: अग्रवाल मंडी टटीरी स्थित सर्वोदय पब्लिक स्कूल में बने अस्थायी कोविड सेंटर को लेकर विवाद बढ़ गया है। स्कूल प्रबंधन ने स्कूल खुलने पर कोविड सेंटर को दूसरी जगह स्थापित करने की मांग की थी, जिस पर आश्वाशन भी मिला था, लेकिन कार्यवाही नहीं की गई थी।
जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने गेट पर ताला लगा दिया था। देर शाम पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने स्कूल पहुंचकर ताला तोड़ दिया। इसका प्रबंधन ने खूब विरोध किया, लेकिन अधिकारी नहीं माने और ताला तोड़ने की कार्यवाही कर दी।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की शुरुआत के साथ मरीजो को भर्ती करने के लिए कोविड सेंटर भी बनाये गए थे। इनमें कुछ अस्थायी भी बनाये गए थे। अग्रवाल मंडी टटीरी के सर्वोदय पब्लिक स्कूल को भी अस्थायी कोविड सेंटर बनाया था। कोविड सेंटर बनने के बाद स्कूल प्रबंधन ने भी खूब सहयोग किया।
कोरोना की रफ्तार कम होने और अनलॉक होने के बाद अब स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं को संचालित किया जा रहा है। स्कूल में बच्चे आने पर पिछले दिनों स्कूल प्रबंधन ने अधिकारियों से कोविड सेंटर को दूसरी जगह स्थापित करने की मांग की थी।
क्योंकि यहां वर्तमान में एक भी मरीज भर्ती नहीं है। प्रबंधन ने कहा था कि अभिभावक कोविड सेंटर के होते बच्चे नहीं भेजेंगे। कई अभिभावकों ने इसका विरोध भी जताया है। अधिकारियों ने उस समय तो आश्वाशन दे दिया था, लेकिन मामले को लेकर कोई प्रक्रिया नहीं की और कोविड सेंटर का दूसरी जगह नहीं बनाया।
स्कूल प्रबंधन ने अस्थायी कोविड सेंटर की बिल्डिंग के गेट पर ताला लगा दिया था। जिसे गुरुवार की देर रात्रि तोड़ दिया गया। एसडीएम अनुभव सिंह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ स्कूल पहुंचे और ताला तुड़वा दिया। स्कूल प्रबंधन ने इसका खूब विरोध किया, लेकिन प्रबंधन की एक नहीं सुनी और ताला तोड़ दिया।
स्कूल प्रबंधन अधिकारियों से गुहार लगाता रहा और बच्चो के बारे में सोचने तक कि दुहाई लगाई, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई और अधिकारियों ने शासनादेश का हवाला देते हुए कार्यवाही कर दी। एसडीएम का कहना है कि शासन के आदेश पर अस्थायी अस्पताल बनाया गया था। स्कूल प्रबंधन को ताला खोलने के लिए कई बार कहा, लेकिन उन्होंने नहीं खोला। जिसके बाद कार्यवाही की गई।
बच्चों को क्यों डाला जा रहा खतरे में?
एक तरफ तो कोरोना महामारी से बच्चों को बचाने के लिए तमाम आदेश और नियम बनाये जा रहे है। स्कूलों के लिए भी आदेश अलग से है, लेकिन यहां बच्चों के बीच में ही कोविड का अस्थायी सेंटर हटाने से अधिकारियों को परहेज है। अधिकारी शासनादेश का हवाला दे रहे है।
अब स्कूल प्रबंधन बच्चों को बचाने के लिए तमाम प्रबन्ध तो कर रहा है, लेकिन सेंटर होते हुए वह चिंतित है। अधिकारियों से लगातार मांग भी कर रहे है, लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं कि जा रही है। यहां तक बताया जा रहा है कि एक अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि भले ही स्कूल बंद हो जाये, सेंटर नहीं हटेगा।
अब सवाल यह है कि क्या जनपद में कोई दूसरी जगह अधिकारियों को नहीं मिल रही है? बच्चों को क्यों खतरे में डाला जा रहा है? अगर यहाँ किसी मरीज से कोरोना बच्चों व स्टाफ में पहुंच गया तो कौन जवाब देगा? जबकि आगे अन्य कक्षाओं के खुलने की भी उम्मीद है। अगर स्कूल नहीं खुला तो हजारों बच्चो का भविष्य अंधकार में चला जायेगा। उनकी पढ़ाई के नुकसान की कैसे भरपाई होगी? इसकी सिस्टम को चिंता नहीं।
स्कूल खुलने पर कक्षा 9 से 12 तक के बच्चे आ रहे है, लेकिन कोविड सेंटर होने के कारण अभिभावक विरोध करते है और बच्चों को भेजने में हिचकते है। वह बच्चों के हित के लिए लगातार मांग कर रहे है कि सेंटर को दूसरी जगह स्थापित कर दिया जाए। लेकिन अधिकारियों ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की और जबरदस्ती ताला तोड़ दिया। अगर यहां अस्थायी कोविड सेंटर रहेगा तो बच्चों की पढ़ाई कैसे कराएंगे? -जयचंद, प्रबंधक सर्वोदय पब्लिक स्कूल