- सिलेबस में होंगे शामिल, खो-खो और गिल्ली-डंडा को पढ़ाई में शामिल करने की तैयारी
- नई शिक्षा नीति के तहत सिलेबस में होने जा रहा बदलाव
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों से उच्च शिक्षा के स्तर तक परंपरागत और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के बीच उपयुक्त तालमेल की अद्भुत संगति देखने को मिलेगी। क्षेत्रीय भाषाओं को पहले ही प्राथमिकता पर लिया गया है। अब इससे एक कदम आगे बढ़कर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने खोखो, गिल्ली डंडा, लंगड़ी, पतंग उड़ान जैसे देसी खेलों को स्कूली खेल पाठ्यक्रम का अहम हिस्सा बनाया जाएगा। भारत के हर घर और गली की पहचान इन खेलों के जरिए बच्चों को आयकर जैसे कठिन और जटिल विषयों तक को समझाया जाएगा।
बता दें कि खिलौने और खेलों से बच्चों में बौद्धिक विकास की वैज्ञानिक प्रमाणिकता सिद्ध होने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने अब इसे स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाने का फैसला लिया है। इसके तहत न सिर्फ पारंपरिक खेल और खिलौनों से उन्हें जोड़ने की पहल की गई है, बल्कि ऐसे खिलौने और खेलों की मैपिंग भी की गई है जो बच्चों को स्कूली स्तर पर विज्ञान और गणित जैसे विषयों में मदद भी करेंगे। पारंपरिक खेलों में गिल्ली-डंडा, कंचा, लट्टू व कागज के विमान, गुड्डा-गुड़िया और गाड़ी आदि शामिल हैं, लेकिन राज्यों के हिसाब यह अलग-अलग हैं।
इन पारंपरिक खेलों से बच्चों में एकाग्रता, संख्या ज्ञान, कौशल आदि का विकास हो सकता है। एनसीईआरटी की ओर से तैयार किए गए खिलौना आधारित इस पाठयक्रम को सभी राज्यों को भेज दिया गया है। सभी से अपनी जरूरत और उपलब्धता के हिसाब से खिलौनों को चुनने की स्वतंत्रता दी गई है। इस पूरी पहल का मकसद स्कूली शिक्षा को रुचिकर बनाने सहित बच्चों का बौद्धिक विकास करना है।
विज्ञान और गणित में बच्चा कमजोर तो इन खिलौनों से जोड़ें
स्कूली स्तर यदि किसी का बच्चा गणित और विज्ञान जैसे विषयों में कमजोर है या फिर उसका रुझान नहीं है तो इसके लिए आइआइटी गांधीनगर ने कुछ ऐसे खिलौनों की मैपिंग की है जिसके जरिए उनमें उन विषयों से जुड़ी रुचि को बढ़ाया जा सकता है। या फिर वह उनकी मदद से उन विषयों में दक्ष हो सकते हैं।
इनमें गणित के क्यूब, नंबर स्ट्रिप, फ्लेक्स 2डी, 3डी, टावर पजल और विज्ञान के लिए अर्जुन का लक्ष्य आदि जैसे इनोवेटिव खिलौने सुझाए हैं। इसी तरह इतिहास के लिए हड़प्पा कालीन खिलौनों से जोड़ने आदि जैसे सुझाव शामिल हैं। इसके साथ ही बच्चों में अंकों की समझ को विकसित करने के लिए भी खिलौने सुझाए गए हैं।