- पहले कमाई का कुछ हिस्सा देता था सुंदर भाटी को
- अवैध वसूली को लेकर साथी बदमाशों से टूट रहा था नाता
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गैंगस्टर अनिल दुजाना शुरू से जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह नहीं था। जिस कुख्यात सुंदर भाटी का सहारा लेकर वो अपराध जगत में खतरनाक चेहरा बना उसी सुंदर भाटी पर एके 47 से जानलेवा हमला किया था। इस हमले में तीन लोग मारे गए थे और सुंदर भाटी बाल बाल बच गया था।
वर्ष 2000 से पूर्व अनिल दुजाना, सुन्दर भाटी के लिए अवैध सरिया का कारोबार का कार्य करता था तथा अवैध सरिया कारोबार से हुयी कमाई का कुछ हिस्सा सुन्दर भाटी को देता था। उस वक्त अनिल दुजाना कुख्यात किस्म का अपराधी नही था, इसलिए अपराध जगत में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए इसने सुंदर भाटी के नाम का सहारा लिया और धीरे-धीरे अपराध करता रहा।
किन्त कुछ समय पश्चात अनिल दुजाना एवं सुन्दर भाटी के मध्य अवैध सरिये के कारोबार को लेकर अनबन हो गयी और फिर अनिल दुजाना, सुंदर भाटी से अलग हो गया तथा धीरे-धीरे अनिल दुजाना का झुकाव रणदीप भाटी गैंग की तरफ हो गया। प्रारम्भ में अनिल दुजाना शौकिया तौर पर नरेश भाटी गैंग के साथ रहने लगा था और इसी गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर धीरे-धीरे लूटपाट करना एवं धनाढ्य वर्ग के लोगों से रंगदारी वसूलने का काम करने लगा था।
अपराध में सक्रिय होने पर यह अपने साथियों के साथ भाड़े पर हत्या भी करने लगा था। इस दौरान गत 28 मार्च 2004 को सुन्दर भाटी ने स्वचालित हथियारों से हमला कर नरेश भाटी की हत्या कर दी थी। इसके बाद नरेश भाटी गैंग की कमान नरेश भाटी के छोटे भाई रणपाल भाटी ने संभाल ली थी। इसके पश्चात नरेश भाटी की हत्या के विरोध में नरेश भाटी के छोटे भाई रणपाल भाटी ने सुंदर भाटी के भतीजे लाला फौजी की हत्या वर्ष 2005 कर दी थी।
इस घटना के पश्चात शासन द्वारा रणपाल भाटी की गिरफ्तारी पर शासन द्वारा 50 हजार रुपये का पुरस्कार घोषित किया गया था। वर्ष 2006 में थाना सिकन्द्राबाद जनपद बुलंदशहर की पुलिस द्वारा रणपाल भाटी को एनकाउंटर में मार गिराया गया। नरेश भाटी एवं रणपाल भाटी के मारे जाने के पश्चात नरेश भाटी गैंग की कमान नरेश भाटी के छोटे भाई रणदीप भाटी एवं
उसके भांजे अमित कसाना द्वारा संभाल ली और फिर नये सिरे से गैंग को संगठित करने का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया, जिसके फलस्वरूप इस गैंग में अनिल दुजाना एवं नरेन्द्र उर्फ नंदू उर्फ रावण पुत्र चतर सिंह निवासी ग्राम नंगला नैनसुख थाना दादरी जनपद गौतमबुद्धनगर सम्मिलित हो गये और तभी से ही अनिल दुजाना एवं सुंदर भाटी गैंग के मध्य गैंगवार चली आ रही है।
जेल में रहते हुए की थी शादी
फरवरी 2019 में महाराजगंज जेल में रहते हुए ही अनिल दुजाना के साथी योगेश डाबरा व वीरेन्द्र पुत्र गोपीचन्द नागर निवासी चपरगढ़ थाना दनकौर, गौतमबुद्धनगर ने गिटोरा निवासी प्रिया पुत्री लीलू से अनिल दुजाना की शादी करा दी है। लीलू निवासी गिटोरा का अपने गांव के राजू पहलवान से सम्पत्ति का विवाद चल रहा है। राजू पहलवान ने अपनी पुत्री की शादी हरेंद्र खड़खड़ी के साथ कर दी थी जिसके प्रतिस्पर्धा में बड़े बदमाश होने के कारण लीलू मे अपनी पुत्री की शादी अनिल दुजाना से की है।
अवैध वसूली को लेकर साथी बदमाशों से झगड़ा
अनिल दुजाना विवादित सम्पत्ति के विवादों में अधिकतर धन वसूली करता था जिसमें शहजाद व चन्द्रपाल बम्बावड इसके प्रमुख सहयोगी थे जो विवादित सम्पत्तियों की पार्टियों को लेकर अनिल दुजाना से सम्पर्क करते थे। बादलपुर कस्बे में तहबाजारी की वसूली बिल्लू दुजाना, अनिल दुजाना के लिए करता था जिसमें उसके द्वारा बेईमानी कर लेने पर भी अनिल दुजाना से अनबन हो गयी है।
इसी प्रकार करवा सिकन्द्राबाद में एक विवादित सम्पत्ति को लेकर खिज्जू ने अनिल दुजाना को पूरे पैसे नहीं दिये तो खिज्जू से भी अनिल दुजाना की अनबन हो गयी है। वर्तमान में अनिल दुजाना का काम उसका भाई मैनपाल, बबलू पुत्र रमेश दुजाना, चन्द्रपाल बम्बावड, हरेन्द्र प्रधान, शालू व सुनील निवासी दुजाना, अनिल पुत्र सुभाष दुजाना, कुलदीप पुत्र रूप सिंह मेजर नागर निवासी दुजाना प्रमुख रूप से देख रहे हैं तथा वकील जितेन्द्र नागर भी लेन-देन में व पैरोकारी में अनिल दुजाना का सहयोग करते हैं।
अनिल दुजाना का मुख्य जुड़ाव रणदीप भाटी निवासी रिठौरी गैंग से था साथ ही मुकीम काला गैंग एवं इसके सदस्यों से भी अनिल दुजाना की घनिष्ठता थी। प्रारंभिक रूप से अपराध में यह रणदीप भाटी गैंग के लिए हत्याएं करता था परन्तु बाद में अपना स्वयं का मजबूत गैंग बना लिया तथा अन्य उपरोक्त गैंग के साथ भी गठजोड़ कर लिया था ।अनिल दुजाना को मुकदमा 267/12 धारा 174ए के अभियोग में न्यायालय द्वारा चार साल की सजा सुनाई गयी थी।