Sunday, June 1, 2025
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बायकॉट ट्रेंड को धता बता रही फिल्में

CINEWANI


यदि कहा जाए कि आज हम भारतीय मनोरंजन के सबसे रोमांचक चरण में हैं, तो कुछ गलत नहीं होगा। पिछले तीन दशक से लगभग एक ही ढर्रे पर चले आ रहे मनोरंजन जगत की नजर अब उन सब्जेक्ट और कहानियों पर है जो भारतीयों के द्वारा भारत के लिए हैं। फिल्में हो या ओटीटी पिछले कुछ समय से ऐसी कहानियां फिल्माए जाने का प्रयास हो रहा है जो न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि एक सामाजिक उद्देश्य भी रखती हैं।

मनोरंजन जगत एक बड़े परिवर्तन के दरवाजे पर खड़ा है। नई और अनौखी चीजों को पसंद किया जा रहा है वही बार बार दोहराई जाने वाली भव्य चीजों को ठुकराया जा रहा है। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की सबसे बड़ी ट्रेजडी यही है कि कामयाबी हो या नाकामी दोनों में से कोई भी उन्हैं आसानी से हजम नहीं हो पाती। कामयाबी उनमें जहां खुद को खुरा समझने का भाव लाती है, वही नाकामी को वह जल्द से जल्द किसी ‘कारक’ पर थोप कर खुद को बरी कर लेते हैं।

पिछले कुछ समय से ‘नाकामी’ के लिए बॉलीवुड का बायकॉट ट्रेड बली का बकरा बन रहा है। शायद फिल्मों का बायकॉट करने वाले भी अब इस चीज को समझने लगे हैं इसलिए उन्होंने यह सिलसिला बंद करने का निश्चय किया है। बीते समय में इस ‘बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड’ का काफी बोलबाला रहा है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि शाहरूख की इस साल प्रदर्शित फिल्म ‘पठान’ ने इस इस ट्रेंड को धता बताते हुए धूल चटा दी है। हमेशा कहा गया कि इस बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड से हिंदी सिनेमा को काफी मार झेलनी पड़ी।

इसके चलते बड़े-बड़े स्टार्स की फिल्में बुरी तरह प्रभावित हुईं और फ्लॉप रहीं हैं। आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चडढा’ को इस ट्रेंड का सबसे बड़ा शिकार बतलाया गया। लेकिन क्या कभी इस बात पर विचार किया गया कि यदि ‘लाल सिंह चडढा’ इस ट्रेंड का शिकार हुई तो फिर रनबीर कपूर की ‘ब्रम्हास्त्र’ और शाहरूख की ‘पठान’ कैसे बच गईं । काफी लोगों ने आमिर को समझाने की कोशिश की कि आपकी ‘लाल सिंह चड्ढा’ महा बकवास फिल्म थी, इसलिए आॅडियंस को रास नहीं आ सकी।

लेकिन आमिर हैं कि इस बात को समझने और मानने के लिए तैयार ही नहीं है। उन्हैं तो अभी भी यही लगता है कि उन्होंने इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की सबसे बड़ी क्लासिक फिल्म बनाई थी, जो बायकॉट ट्रेंड की भैंट चढ गई। ‘बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड’ पर अनुपम खेर ने खुलकर बात करते हुए कहा कि ‘मुझे पर्सनली लगता है कि इस ट्रेंड का फिल्म पर कोई असर नहीं होता। अगर आपकी फिल्म अच्छी है, तो चलेगी. और यदि अच्छी नहीं है तो नहीं चलेगी।

आमिर एक बहुत अच्छे एक्टर हैं, लेकिन उनकी ‘लाल सिंह चड्ढा अच्छी फिल्म नहीं थी। अगर वह अच्छी फिल्म होती, तो कोई ताकत उसे चलने से रोक नहीं पाती। मुद्दा ये है कि आपको सच्चाई को स्वीकार करने की जरूरत है।

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