Saturday, June 10, 2023
- Advertisement -
- Advertisement -
Homeसंवादसिनेवाणीसपनों के पीछे भागने वाले ही बड़ी सफलता पाते हैं-पिया बाजपेयी

सपनों के पीछे भागने वाले ही बड़ी सफलता पाते हैं-पिया बाजपेयी

- Advertisement -


साउथ और हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री पिया बाजपेयी की पहचान वेंकट प्रभु की कॉमेडी तमिल फिल्म ‘गोवा’ (2010) की रोशनी और 2011 की के.वी. आनंद की पॉलिटिकिल थ्रिलर ‘को’ के किरदारों के लिए होती है। पिया बाजपेयी का जन्म वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश के इटावा में हुआ था। इटावा में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा करने दिल्ली आ गई।

पढाई पूरी करने के बाद जब एक्टिंग में कोई अवसर नहीं मिला तो एक कंपनी में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करने लगीं। लेकिन मन में कहीं न कहीं फिल्मों में एक्टिंग की चाहत थी। एक साल तक नौकरी करने के बाद जब, दिल में बेचैनी बढी तो नौकरी में जमा किए पैसों के साथ मुंबई आ गई।

मुंबई आकर उन्होंने छोटे पर्दे के धारावाहिकों के लिए एक डबिंग कलाकार के रूप में काम करना शुरू किया। लेकिन जब इससे भी संतुष्टि नहीं हुई, तब उन्होंने एड और म्यूजिक वीडियो के लिए ट्राई करना शुरू किया। अंतत: उन्हें प्रियदर्शन की एक एड फिल्म मिल गई। जब उन्हें कैडबरी की एड फिल्म में अमिताभ बच्चन और सोनाटा के एड में क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के साथ स्क्रीन शेयर करने के अवसर मिले, तो उनके ख्वाबों को जैसे पंख लग गए। एएल विजय व्दारा निर्देशित कॉमेडी फिल्म, ‘पोई सोला पोरोम’ (2008) के जरिये उन्होंने तमिल फिल्मों में डेब्यू किया।

इसमें पिया, कार्तिक कुमार और नासर जैसे कलाकारों के साथ मेन लीड में थीं। उसी साल उन्होंने एक और तमिल फिल्म राजू सुंदरम की ‘एगन’ (2008) की, जिसमें उनके साथ अजित कुमार, नयनतारा और नवदीप भी थे। उनका किरदार एक एक कॉलेज स्टूडेंट का था। ‘निन्नू कालीसाका’ (2008) पिया बाजपेयी की तेलुगु डेब्यू फिल्म थी। इसमें उनके व्दारा निभाये गये किरदार की काफी प्रशंसा हुई।

उसके बाद उन्होंने ‘बेकबेंच स्टूडेंट’ (2013) और ‘दलम’ (2013) जैसी तेलुगु फिल्में कीं। ‘मास्टर्स’ (2012) के जरिये पिया बाजपेयी ने मलयालम फिलमों में डेब्यू किया। इसमें उन्होंने पृथ्वीराज के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी। ‘लाल रंग’ (2016) से पिया ने हिंदी फिल्मों में डेब्यू किया। उसके बाद शोर्ट फिल्म ‘द वर्जिन’ (2016) ‘मिर्जा जूलियट’ (2018) और इस साल आई ‘लॉस्ट’ (2023) जैसी हिंदी फिल्में कीं। वह एक इंग्लिश और दो बंगाली भाषा की फिल्में भी कर चुकी हैं। पिया का मानना है कि ‘सपनों के पीछे भागने वाले लोग ही बड़ी सफलता पाते हैं’।

यदि आप तमाम बाधाओं का सामना करते हुए अपने सपनों का पीछा करते हुए अपने काम में जुटे रहें तब दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। साउथ सिनेमा में अपने काम के लिए पहचानी जाने वाली पिया बाजपेयी हिंदी फिल्मों को लेकर काफी अधिक उत्साहित हैं। ‘लॉस्ट’ में यामी गौतम के साथ काम करने के बाद पिया, उनकी फिटनेस से काफी इम्प्रेस हुई हैं।

वह अब नियमित वर्कआउट करने लगी हैं। उनका कहना है कि ‘यामी से मिलने के बाद ही उन्हैं पता चला कि अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग तरह का वर्कआउट काम करता है।


What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -
- Advertisment -
- Advertisment -
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -

Recent Comments