- पूरे प्रकरण की रिपोर्ट एसई को भेजी, कई अफसरों की फंस सकती है गर्दन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नंगला कबूलपुर में तालाब की खुदाई के मामले में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद एक जांच कमेटी गठित की गई थी। ये जांच कमेटी विभाग के ही अधिकारी मौजूद थे, जिसमें जांच के नाम पर लीपापोती कर दी गई। जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट में लिखती है कि तालाब में जलकुंभी उगा हुआ मिला। ये जलकुंभी एक दिन में नहीं उग पाता है। इसकी खुदाई ही नहीं हुई, जिसके चलते मिट्टी के ढेर लगे हुए मिलने चाहिए थे, लेकिन जांच टीम को बता दिया गया कि मिट्टी के तालाब के चारों तरफ बांध बनाए गए हैं।
मिट्टी खुदाई जिस हिसाब से टेंडर के अनुसार दर्शाई गई है, इतनी मिट्टी के ढेर होने चाहिए थे, लेकिन टीम ने बता दिया कि श्मशान घाट और अन्य स्थलों पर भी तालाब की मिट्टी का प्रयोग किया गया है। यही नहीं, जांच कमेटी ने यह कहकर भी लीपापोती की है कि कुछ जगह वर्षा के कारण बांध क्षतिग्रस्त हो गए, जिनकी मरम्मत कर ड्रेसिंग कराया जा रहा है, जिस समय इस प्रकरण की जांच करने के लिए टीम पहुंची तो तालाब के दोनों छोर लबालब पानी भरा हुआ था। भीतर से उसकी पैमाइश कर पाना संभव ही नहीं था। फिर कैसे इसकी पैमाइश कर दी गई? यह भी बड़ा सवाल है।
पशुओं के रैंप का निर्माण और 15 बेंच स्थापित होना बताया गया, लेकिन वहां मौके पर बेंच अभी तक नहीं बनाई गई है। आरसीसी ह्यूम पाइप का दबाना भी बताया गया है। मौके पर ह्यूम पाइप पड़े तो है, लेकिन उनको लगाया नहीं गया। टेंडर में जो खुदाई दर्शाई गई है वह मौके पर खुदाई हुई ही नहीं। ऐसा ग्रामीणों का आरोप है। 24011.63 घन मीटर मिट्टी का खुदाई कराया जाना प्रस्तावित था। यही नहीं, यहां पर झंडारोहण स्थल का निर्माण किया जाना था, लेकिन मौके पर झंडा स्थल निर्मित ही नहीं किया गया।
बताया गया कि यहां पर साइट को लेकर विवाद चल रहा है, ऐसा कहकर पूरे प्रकरण पर लीपापोती करने की कोशिश की गई। हालांकि लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जो जांच रिपोर्ट भेजी है, उसमें कहा गया है कि झंडारोहण स्थल निर्मित नहीं करने का भुगतान अभी ठेकेदार को नहीं किया गया है। जांच रिपोर्ट में सार्वजनिक स्थलों श्मशान घाट, मंदिर की भूमि एवं निजी भूमि पर मिट्टी डालने का दावा किया गया है, जबकि ग्रामीणों ने इस बात से इनकार किया है कि मंदिर के लिए सरकारी स्तर पर कोई मिट्टी नहीं डाली गई।
ठेकेदार को वर्तमान में अब तक कुल धनराशि 6500178.60 का भुगतान आॅन रिकॉर्ड करना दर्शाया गया है। कहा गया है कि 75 लाख रुपये का अनुबंध ठेकेदार के साथ लघु सिचाई वृत्त मेरठ ने अनुबंध किया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब काम अधूरा है तो फिर 65 लाख रुपये का ही भुगतान क्यों किया गया? शिकायतकर्ता ने लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों की बजाय दूसरी एजेंसी से इसकी जांच कराने की मांग की है। क्योंकि इसमें लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अपने ही विभाग के अफसरों को बचाने का पूरा प्रयास किया।
जांच टीम में महेंद्र सिंह अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई प्रखंड सहारनपुर भी मौजूद नहीं थे। बताया गया कि वह अस्वस्थ है, जिसके चलते उनकी जगह रजत रोहिल्ला सहायक अभियंता लघु सिंचाई विभाग मुजफ्फरनगर को नामित किया गया था। जांच के दौरान मोहन प्रकाश पासवान अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई प्रखंड मेरठ, कु. रितु अवर अभियंता लघु सिंचाई मुजफ्फरनगर, पवन कुमार अभियंता लघु सिंचाई मेरठ, विवेक त्यागी ठेकेदार उपस्थित रहे। महत्वपूर्ण बात यह है कि शिकायतकर्ता ने अवर अभियंता पवन कुमार और ठेकेदार विवेक त्यागी पर गंभीर आरोप लगाये थे।
इसके बावजूद ये जांच के दौरान टीम के साथ मौजूद रहे। यही वजह है कि लीपापोती करने के आरोप लग रहे हैं। पूरे प्रकरण पर लीपापोती की गई तथा जांच शासन को भेज दी गई। इसकी रिपोर्ट एसई को भेजी गई, जहां से इसकी जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई। जांच रिपोर्ट 25 जुलाई को भेजी गई, जो जांच संजय कुमार अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई प्रखंड हापुड़, जिला सहायक अभियंता लघु सिंचाई जनपद मुजफ्फरनगर के हस्ताक्षर से भेजी है। किसी दूसरी एजेंसी से जांच हुई तो कई अफसरों की इसमें गर्दन फंस सकती हैं।