Friday, June 13, 2025
- Advertisement -

महीन आत्म रेखा

Amritvani


टालस्टाय ने एक संस्मरण लिखा है। एक दिन सुबह-सुबह नींद खुल गई और टालस्टाय चर्च की ओर चल पड़े। पूरे मास्को में कुहासा छाया हुआ था, और चारों तरफ अंधेरा था। टालस्टाय चर्च के भीतर चले गए। एक आवाज सुनी। उन्हें यह आवाज पहचानी हुई लगी। सोचा कोई परिचित है। टालस्टाय धीरे-धीरे चलकर उसके पीछे पहुंच गए। देखा, मास्को का सबसे धनाढ्य व्यक्ति प्रार्थना कर रहा है, हे प्रभु, मैंने बहुत पाप किए हैं, बेईमान हूं। मुझसे बुरा कोई भी नहीं है। टालस्टाय ने सोचा अरे, यह आदमी इतना बुरा है। इसको तो सारे लोग धर्मवीर कहते हैं। यह चर्च भी उसी का बनाया हुआ है। और यह आदमी इतना बुरा। उस आदमी की प्रार्थना पूरी हुई। पीछे मुड़ा तो देखा, लिओ टालस्टाय खड़े थे। वह घबरा गया और बोला, देखिए महाशय, जो कुछ आपने सुना है, उसे भूल जाइए। मैंने कुछ कहा ही नहीं है। टालस्टाय ने कहा, आप क्या कह रहे हैं। अगर कुछ नहीं कहा है, तो क्या भूलने के लिए कह रहे हैं। धनाढ्य ने कहा कि यह समझ लो कि मैंने यह शब्द कहे ही नहीं। और कहीं इन शब्दों को मैंने सुन लिया, तो तुम पर मानहानि का मुकदमा चलाऊंगा। बात खत्म हो गई। टालस्टाय ने सोचा, यह आदमी मुकदमा चलाने को उत्सुक है। अभी प्रायश्चित करने को उत्सुक था। क्या हो रहा है? ऐसा विषम मन कभी भी आत्मा में प्रवेश नहीं कर सकता। आत्मा में प्रवेश की पतली सी द्वार रेखा है। वह रेखा संतुलन की है, समत्व की है। जिसमें यह रेखा नहीं है, वह महीन आत्मा में प्रवेश नहीं कर सकता।


janwani address 8

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

विमान हादसे, वैश्विक तनाव और कमजोर रुझानों के बीच Share Bazar में भारी गिरावट

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img