Wednesday, July 16, 2025
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जी का जंजाल बनी वर्चुअल मीटिंग

  • लखनऊ से होने वाली वर्चुअल मीटिंग से अधिकारियों की रात की नींद, दिन का गया चैन
  • प्रतिदिन सुबह 6 बजे से रात करीब 11 बजे तक किसी भी समय अधिकारी, कर्मचारी को रहना पड़ता है अलर्ट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लखनऊ से होने वाली वर्चुअल (वीसी) मीटिंग अधिकारी एवं कर्मचारियों के जी का जंजाल बन गई है। जिसमें सरकारी अवकाश के दिन को यदि छोड़ दिया जाए तो प्रतिदिन कार्यदिवस में अधिकारी एवं कर्मचारियों को प्रात: छह बजे से रात्रि करीब 10 से 11 बजे तक किसी भी समय वर्चुअल मीटिंग में जुड़ने के लिए अलर्ट रहना पड़ता है।

शुरू में तो अधिकारियों को ज्यादा कोई खास परेशानी नहीं हुई, लेकिन अब धीरे-धीरे उनकी परेशानी बढ़ने लगी है। नगर निगम हो या फिर सिंचाई विभाग सभी विभागों के अधिकारियों को लखनऊ से मांगी गई जानकारी एवं धरातल पर होने वाले कार्य को भी मौके पर उपस्थित होकर दिखाना पड़ता है।

नगर निगम में नगरायुक्त या फिर अपर नगरायुक्त तमाम अधिकारी एवं कर्मचारियों को अब जिले से होने वाली समीक्षा हो या फिर मंडल एवं लखनऊ स्तर से होने वाली समीक्षा, सभी के लिए फील्ड में उपस्थित होकर वर्चुअल मीटिंग में जुड़ने के लिए अलर्ट रहना पड़ता है। जिसमें अवकाश के दिनों को यदि छोड़ दें तो जनपद के अधिकारियों से लेकर लखनऊ से प्रमुख सचिव तक वर्चुअल मीटिंग में जुड़ जाते हैं।

प्रदेश में 17 नगर निगम हैं, सभी के नगरायुक्त एवं अन्य अधिकारी एकसाथ जुड़ते हैं। इसमें बुधवार को भी वर्चुअल मीटिंग हुई यह मीटिंग एक या दो घंटे नहीं चली, बल्कि पांच से अधिक घंटे तक चली, जिसमें अधिकारी लखनऊ में प्रमुख सचिव के सवालों के जवाब देते हुए ऊब से गए एक तो घंटों तक वर्चुअल मीटिंग से जुड़े रहना। दूसरे धरातल पर होने वाले कार्यों की वास्तविक स्थिति की लाइव फोटो भी मांगी गई। उधर, शहर की सफाई व्यवस्था के लिए प्रात: सुबह छह बजे ही नगर स्वास्थ्य अधिकारी हो

या फिर सफाई परिवेक्षक या फिर कर्मचारी सभी को लखनऊ की वीसी में जुड़ना होता है। अब अधिकारी फील्ड में हो या फिर कार्यालय में उसे जनता की शिकायतों को सुनकर उनकी समस्याओं का निस्तारण कराना या वर्चुअल मीटिंग में उपस्थित होकर प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को जानकारी उपलब्ध कराना। दोनों को लेकर अधिकारी पसोपेश में हैं कि आखिर करें तो क्या करें। अधिकारी अब अधिकारी शायद ही कार्यालय में बिना कामकाज के पहले की तरह से गप्पे लड़ाते दिखाई दें,

अब उन्हें धरातल पर कार्य कराने के साथ उसके बारे में विस्तृत जानकारी फोटो एवं वीडियो द्वारा साक्ष्य के रूप में भेजनी पड़ती है। अब अधिकारियों को गोलमोल जवाब देने का जो पुराना ढर्रा था, वह भी छोडना पड़ रहा है। फिलहाल अधिकारियोें के दिन का चैन और रात की नींद उड़ रही है। इसी तरह से सिंचाई विभाग हो या फिर तहसील स्तर के अधिकारी एवं कर्मचारी सभी के लिए वर्चुअल मीटिंग जी का जंजाल बन गई है।

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