जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: अरब सागर में हाईजैक हुआ कार्गो शिप एमवी लीला नोर्फोक शिप जिसमें 15 भारतीयों समेत सभी 21 क्रू सदस्यों मौजूद थे। उनको बचाने के लिए भारत ने अपनी सबसे ताकतवर फोर्स मार्कोज को भेजा था। बता दे मार्कोज टीम को शिप में मौजूद हाईजैकर्स को मार गिराने के साथ सभी क्रू मेंबर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई। इस जहाज में नौसेना की मार्कोज टीम ने सैनिटाइजेशन ऑपरेशन चलाया। हालांकि, शिप में सोमालियाई आतंकियों की मौजूदगी नहीं मिली। माना जा रहा है कि भारतीय नौसेना की ओर से चेतावनी जारी होने के बाद हाईजैकर्स खतरे को भांपते हुए जान बचाकर भाग निकले। गौरतलब है कि ब्रिटेन के मैरिटाइम ट्रैफिक ऑर्गनाइजेशन ने बताया था कि शिप पर पहले 5-6 हाईजैकर्स मौजूद हैं।
बात करते है भारत की सबसे ताकतवर और खतरनाक फोर्स मार्कोज जिनको मरीन कमांडो फोर्स भी कहा जाता है। यह सुरक्षाबल देश के अग्रिम सुरक्षाबल नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी),वायुसेना की गरुड़ और थलसेना की पैरा स्पेशल फोर्स की तर्ज पर गठित किए गए। मार्कोज या मरीन कमांडो फोर्स में नौसेना के उन सैनिकों से बना बल है, जिनकी ट्रेनिंग सबसे कठिन होती है। मार्कोज के काम करने का तरीका बिल्कुल अमेरिका की इलीट नेवी सील्स जैसा है, जिसने समुद्र में पाइरेसी की कई कोशिशों को नाकाम किया है।
नौसेना की इस स्पेशल टुकड़ी का मकसद कांउटर टेररिज्म, किसी जगह का खास निरीक्षण, अनकंवेंशनल वॉरफेयर जैसे केमिकल-बायोलॉजिकल अटैक, बंधकों को छुड़ाना, जवानों को बचाना और इस तरह के खास ऑपरेशनों को पूरा करना है। समुद्र में डकैती, समुद्री घुसपैठ और हवाई जहाज की हाईजैकिंग तक के लिए मार्कोज के जवान ट्रेन किए जाते हैं। इस फोर्स की सबसे खतरनाक बात होती है इनकी खुफिया पहचान। यानी नौसेना के आम ऑपरेशन के अलावा ये जवान गुपचुप तरीके से विशेष अभियानों का हिस्सा बनते हैं।
मार्कोज का नारा है- द फ्यू, द फियरलेस है। इस इलीट फोर्स के नाम ऑपरेशन कैक्टस, लीच, पवन और चक्रवात के खतरों से निपटने के कई उपलब्धियां हैं। ऑपरेशन कैक्टस के तहत मार्कोज ने मालदीव में रातोंरात तख्तापलट की कोशिशों को रोक दिया था। इस दौरान इस फोर्स ने आम लोगों के साथ बंधक बनाए गए लोगों को छुड़ाया था। भारत में मुख्यधारा में इस फोर्स की चर्चा 26/11 मुंबई हमलों के बाद शुरू हुई, जब इस फोर्स ने ताज होटल से आतंकियों के सफाए में मदद के लिए ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेटो शुरू किया था। इतना ही नहीं इस इलीट फोर्स ने 1980 के दौर में श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान ऑपरेशन पवन चलाया था, जिसके जरिए लिट्टे के कब्जे वाले कई क्षेत्रों को छुड़ाने में मदद मिली थी।